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This Article is From May 12, 2016

महिलाएं दें ध्यान! डिप्रेशन को दूर करने के लिए अपनाएं यह टिप्स

महिलाएं दें ध्यान! डिप्रेशन को दूर करने के लिए अपनाएं यह टिप्स
न्यूयॉर्क: ऐसा अक्सर देखा गया है कि अगर मां डिप्रेशन से पीड़ित रहती है, तो उसका सीधा असर परिवार पर पड़ता है। डिप्रेशन व्यक्ति में चिड़चिड़ाहट भर देता है। ऐसे में वह हर समय चिड़चिड़ा रहने लगता है। और अगर ऐसा किसी महिला के साथ होता है, तो इसका प्रभाव परिवार पर पड़ता है। एक महिला ही पूरे परिवार की चाबी होती है। उसी के हाथ में होता है घर को सही और सुचारू रूप से चलाना। ऐसे में महिला या मां का डिप्रेशन में रहना हानिकारक हो सकता है। खासकर घर में बच्चों के लिए ज़्यादा नुकसानदेह हो सकता है।

डिप्रेशन एक तरह की दीमक होती है, जो धीरे-धीरे शरीर और रिश्तों को खोखला कर देती है। अगर आप इससे बचना चाहते हैं, तो बच्चों के साथ संबंध में सुधार लाकर डिप्रेशन से बचा जा सकता है। जी हां, एक नए शोध में इस बात का पता चला है। शोध के निष्कर्षों से पता चला है कि बच्चों और उसकी मां के बीच बातचीत में अगर गर्मजोशी की कमी है तो इसका मतलब यह है कि उनका आपस में तालमेल नहीं है। 

अमेरिका के बिंघमटन विश्वविद्यालय के ब्रैंडन गिब ने बताया, "हम यह जानने की कोशिश कर रहे थे कि शरीर क्रिया विज्ञान के स्तर पर क्या आप मां और उनके बच्चों के बीच तालमेल देखते हैं और किस प्रकार यह अवसाद को प्रभावित करता है।"

यह शोध 'जर्नल ऑफ चाइल्ड साइकोलॉजी एंड साइकिएट्री' में प्रकाशित किया गया है।

शोध में 7 से 11 साल के बच्चों और उनकी मांओं को शामिल किया गया। शोध में शामिल महिलाओं में से 44 का अवसाद का इतिहास रहा था जबकि 50 के साथ ऐसी कोई बात नहीं थी। उनका आपस में सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह की बातचीत के दौरान उनके धड़कनों के उतार-चढ़ाव का अध्ययन किया गया। 

पहली बातचीत में मां और बच्चों की जोड़ी ने अपने पसंदीदा पर्यटन स्थल पर छुट्टियां बिताने को लेकर बातचीत की और दूसरी बातचीत में उनके बीच तनाव के मामलों को लेकर बातचीत हुई, जिसमें होमवर्क करना, टीवी या कम्प्यूटर का प्रयोग करना, स्कूल की समस्याएं, समय पर तैयार होना जैसे विषय शामिल थे। 

निष्कर्षों से पता चला कि वे मांएं जिनका अवसाद का कोई इतिहास नहीं है, उनका अपने बच्चों के साथ नकारात्मक बातचीत के दौरान उनके दिल की धड़कन में काफी उतार-चढ़ाव आ जाता है। 

शोध प्रमुख मैरी वूडी बताती हैं, "हमने पाया कि जिन मांओं में अवसाद का कोई इतिहास नहीं है, वे उस क्षण में अपने बच्चों की शारीरिक क्रिया के साथ तालमेल बिठा लेती हैं।"

वूडी आगे कहती हैं, "जिन महिलाओं का अतीत अवसाद से घिरा रहा था, हमने उनके साथ बिल्कुल विपरीत स्थिति देखी। उनका आपस में बिल्कुल तालमेल नहीं था। जब एक बातचीत में एक व्यक्ति अधिक शामिल होता था तो दूसरा दूर चला जाता था। इस तरह उनकी आपस में पटती नहीं थी।"

शोधकर्ताओं का कहना है कि खासतौर से जिन महिलाओं की मां के परिवार में अवसाद का माहौल रहा था, उनके साथ अवसाद के अगली पीढ़ी तक पहुंचने का खतरा रहता है।

(इनपुट्स आईएएनएस से)

 

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