Mokshada Ekadashi 2019: 8 दिसंबर को है मोक्षदा एकादशी, जानें शुभ मुहूर्त, व्रत कथा, पूजा विधि और आहार से जुड़ी बातें

Mokshada Ekadashi 2019: मोक्षदा एकादशी 2019 (Mokshada Ekadashi 2019) कब है. अगर आप यही सोच रहे हैं तो हम आपको इस लेख में बताएंगे साल 2019 की मोक्षदा एकादशी की तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इस दौरान व्रत में आहार से जुड़ी खास बातें.

Mokshada Ekadashi 2019: 8 दिसंबर को है मोक्षदा एकादशी, जानें शुभ मुहूर्त, व्रत कथा, पूजा विधि और आहार से जुड़ी बातें

मोक्षदा एकादशी 2019 तिथि : 8 दिसंबर 2019.

Mokshada Ekadashi 2019: हिंदू धर्म में एकादशी का अपना अलग ही महत्व होता है. हर महीने में एकादशी आती है. लेकिन साल में आने वाली कुछ एकादशी बेहद खास महत्व रखती हैं. ठीक इसी तरह है मोक्षदा एकादशी (Mokshada Ekadashi). माना जाता है कि मोक्षदा एकादशी पितरों के लिए मोक्ष के द्वार खोलने वाली एकादशी होती है. मोक्षदा एकादशी के मौके पर व्रत रखने का प्रावधान है. माना जाता है कि इस एकादशी (Ekadashi) के दिन व्रत रखने से पूर्वजों के लिए स्वर्ग के रास्ते खुल जाते हैं. इसके साथ ही साथ यह व्रत रखने वालों को भी शुभ फलदायक मानी जाती है. मोक्षदा एकादशी 2019 (Mokshada Ekadashi 2019) कब है. अगर आप यही सोच रहे हैं तो हम आपको इस लेख में बताएंगे साल 2019 की मोक्षदा एकादशी की तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इस दौरान व्रत में आहार से जुड़ी खास बातें. एक मान्यता यह भी है कि मोक्षदा एकादशी के दिन ही भगवान श्रीकृष्ण के मुख से श्रीमदभगवद् गीता (Shrimad Bhagwat Geeta) का जन्म हुआ. यही वजह है कि मोक्षदा एकादशी के दिन ही गीता जयंती (Gita Jayanti) भी मनाते हैं.

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Mokshada Ekadashi 2019: कब है मोक्षदा एकादशी, तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि (Mokshada Ekadashi, Gita Jayanti 2019: Date, Time, Shubh Muhurt, Vrat and Puja Vidhi) 

कब मनाई जाती है मोक्षदा एकादशी?

मान्यता के अनुसार चंद्र मार्गशीर्ष के महीने में चांद्र (शुक्ल पक्ष) के 11वें दिन मोक्षदा एकादशी मनाते हैं. अंग्रेजी महीनों के हिसाब से मोक्षदा एकादशी नवंबर या दिसंबर के महीने में आती है. इस साल यह रविवार 8 दिसंबर को मनाई जा रही है.

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मोक्षदा एकादशी के शुभ मुहूर्त (Mokshada Ekadashi Shubh Muhurt)

मोक्षदा एकादशी 2019 तिथि : 8 दिसंबर 2019 
मोक्षदा एकादशी प्रारंभ : 7 दिसंबर 2019, सुबह 6 बजकर 34 मिनट से 
मोक्षदा एकादशी समाप्त : 8 दिसंबर 2019, सुबह 8 बजकर 29 मिनट पर 
पारण का समय : 9 दिसंबर 2019, सुबह 7 बजकर 6 मिनट से 9 बजकर 9 मिनट तक.

मोक्षदा एकादशी व्रत: पूजा विधि (Mokshada Ekadashi Puja Vidhi) 

माना जाता है कि मोक्षदा एकादशी के दिन व्रत रखने से पितरों की आत्मा को मोक्ष प्राप्त होता है. इस दिन व्रत रखने के लिए दशमी की रात से शुरू कर द्वादशी की सुबह तक व्रत रखते हैं. व्रत रखने के लिए पूजा की जाती है. तो इसके लिए सबसे पहले आपको सुबह स्नानआदि के बाद पूजा करनी होगी. पूजा के लिए धूप, दीप और तुलसी से भगवान विष्णु और कृष्ण की पूजा की जाती है. पूजा के बाद से अपना व्रत प्रारंभ माने. पूजा और आरती के बाद प्रसाद बांटें. 

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मोक्षदा एकादशी व्रत कथा (Mokshada Ekadashi Vrat Katha)

वैसे तो मोक्षदा एकादशी की बहुत सी कथाएं सुनाई जाती हैं, लेकिन हम यहां आपको सबसे ज्यादा प्रचलित कथा के बारे में बताते हैं. तो कथा इस प्रकार है- 

चंपा नाम की एक नगरी में प्रजा बेहद खुशहाल रहती थी. इस नगरी में चारों वेदों के ज्ञाता राजा वैखानस राज करते थे. वे धार्मिक थे. एक बार राजा ने सपना देखा कि उनके पिता नरक की आग में जल रहे हैं. राजा ने सपने के बारे में अपनी पत्नी को बताया. पत्नी ने राजा को गुरुओं से सलाह लेने की बात की. 

बैखानस आश्रम गए और वहां तपस्या में लीन गुरुओं के पास जाकर बैठ गए. राजा को देख पर्वत मुनि ने उनके आने का कारण पूछा. राजा ने बहुत ही दुखी मन से अपने सपने के बारे में उन्हें बताया. इस पर पर्वत मुनि ने राजा से कहा- 'तुम्हारे पिता को उनके कर्मों का फल मिल रहा है. उन्होंने तुम्हारी माता को यातनाएं दी थीं. इसी कारण वे पाप के भागी बने और अब नरक भोग रहे हैं.' 

इस पर मुनि ने उन्हें मोक्षदा एकादशी व्रत करने की सलाह दी. राजा ने पूर्वक व्रत किया और व्रत का पुण्य अपने पिता को अर्पण कर दिया. व्रत के प्रभाव से राजा के पिता को नरक से मुक्ति मिल गई. तभी से मोक्षदा एकादशी पर व्रत रखने का प्रावधान है.

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Mokshada Ekadashi 2019: मोक्षदा एकादशी की बहुत सी व्रत कथा प्रचलित हैं.

व्रत के दौरान ध्यान रखें खाने से जुड़ी ये बातें - 

1. व्रत के दिन एक समय भोजन किया जाता है जिसमें बगैर लहसुन, प्याज के खाना खाया जाता है. खाना भी जबतक सूर्य है जबतक ही किया जा सकता है सूर्य अस्त होने बाद नहीं ऐसा कहा जाता है.

2. कई लोग एक समय भोजन और एक समय साबूदाने की खिचड़ी या मीठे साबूदाने बनाकर खा लेते हैं. कुछ लोग दोनों ही समय भरपेट साबूदाने की खिचड़ी खा लेते हैं. माना जाता है कि ऐसा उपावास करना सही नहीं होता है. उपवास में एक समय या दोनों समय भूखे रहना की सलाह दी जाती है. 

3. यह तो सभी जानते हैं कि हिंदू धर्म में तामसिक भोजन को नहीं ग्रहण किया जाता. खासकर व्रत वाले दिन तामसिक आहार न लें. 

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