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This Article is From Dec 09, 2011

लंका : रामायण के संदर्भ के अलावा कुछ भी नहीं...

डायरेक्टर मकबूल खान की लंका अच्छी शुरुआत लेती है। कुछ अच्छे डायलॉग्स हैं लेकिन, धीरे-धीरे लंका से दिलचस्पी खत्म होने लगती है।
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नई दिल्ली:

रावण और उसके भाई विभीषण से प्रेरित फिल्म लंका भी रिलीज़ हो गई। मनोज बाजपेयी यूपी के बाहुबली नेता जसवंत भाईसाब यानी आज के रावण बने हैं….जो लेडी डॉक्टर अंजू को डराकर अपने घर में रखता है और उसका शोषण करता है। अर्जुन बजवा इस रावण के विभीषण हैं। दोनों भाईयों में जान से ज़्यादा प्यार है लेकिन मुसीबत तब खड़ी होती है जब माडर्न विभीषण सीता की तकलीफ से पिघलकर रावण के खिलाफ चला जाता है। यहां हल्का सा लव एंगल भी है। डायरेक्टर मकबूल खान की लंका अच्छी शुरुआत लेती है। भाईयों के रोल में मनोज बाजपेयी और अर्जुन बजवा के बीच अच्छी केमिस्ट्री है। बैकग्राऊंड म्यूज़िक डर और भाईसाब के आतंक का माहौल बनाता है। कुछ अच्छे डायलॉग्स हैं। लेकिन धीरे-धीरे लंका से दिलचस्पी खत्म होने लगती है। लगता है जैसे रामायण के रेफरेंस के अलावा इसमें कुछ भी नया नहीं। कई सवालों के जवाब ढूंढते रह जाएंगे। क्यों एमडी कर रही डॉक्टर भाईसाब के घर से भागती नहीं। भाईसाब जिले के एसपी को जान से मारते हैं, शहर में खून की होली खेलते हैं, लेकिन मीडिया गायब है। भाईसाब लेडी डॉक्टर से दिलजान से प्यार करते हैं लेकिन शादी नहीं करते… क्यों? लंबे-लंबे डायलॉग बोलती हुई टिया बाजपेयी डॉक्टर से ज्यादा शायर लगती हैं। इस फिल्म को देखकर मेरी उम्मीदें लंका की तरह ढह गई। लंका के लिए मेरी रेटिंग है 2 स्टार।कलाकार − मनोज बाजपेयी, अर्जुन बजवा, टिया बाजपेयी, यशपाल शर्मा

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लंका, रामायण, संदर्भ
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