
- कबीर खान ने कहा, 'हर व्यक्ति की विचारधारा होनी चाहिए'
- उन्होंने कहा, 'मेरा मानना है कि फिल्में बहुत प्रभावशाली माध्यम हैं
- 'ट्यूबलाइट' 1962 के भारत-चीन युद्ध की पृष्ठभूमि पर आधारित है
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नई दिल्ली:
'ट्यूबलाइट' के निर्देशक कबीर खान का कहना है कि वह यह बात जानते हैं कि एक फिल्म समाज में कोई बदलाव नहीं ला सकती, लेकिन सिनेमा की ताकत लोगों की सोच पर असर डाल सकती है. निर्देशक कबीर खान की ज्यादातर फिल्मों 'बजरंगी भाईजान', 'एक था टाइगर', 'न्यूयॉर्क ' और 'काबुल एक्सप्रेस' में यह झलक दिखी है, जो राजनीतिक संघर्ष के इर्द-गिर्द रही और जिन्होंने बड़े स्तर पर लोगों को प्रभावित किया है. कबीर खान की 'ट्यूबलाइट' 1962 के भारत-चीन युद्ध की पृष्ठभूमि पर आधारित है. उनकी फिल्मों में राजनीतिक झलक दिखने संबंधी सवाल पर कबीर ने न्यूज एजेंसी आईएएनएस से कहा, 'बिल्कुल! जैसे एक पेंटर अपने विचारों को पेंटिंग के माध्यम से प्रकट करता है, उसी तरह एक फिल्म निर्देशक के रूप में, मैं अपने विचारों और चीजों पर अपने दृष्टिकोण को प्रकट करने के लिए फिल्म बनाता हूं. मेरी विचारधारा मेरी फिल्मों में दिखाई देती है और मैं विश्वास करता हूं कि हमारी अपनी विचारधारा होनी चाहिए, बिना इसके हम जानवर बन जाएंगे.' 
कबीर ने कहा, 'मैं जानता हूं कि एक फिल्म समाज नहीं बदल सकती, लेकिन यह संवाद शुरू कर सकती है. मैं विश्वास करता हूं कि एक फिल्म बहुत प्रभावशाली माध्यम है, आपकी सोच को बनाने के लिए कम से कम एक बार. यह समाज को बदलने जितना ताकतवर माध्यम नहीं है. तथ्य यह है कि एक फिल्म लोगों को सोचने और बातचीत करने के लिए प्रेरित करती है, जोकि अपने आप में एक पर्याप्त रूप से शक्तिशाली है. 
कबीर खान का मानना है कि 'ट्यूबलाइट' जैसी फिल्में समाज में सकारात्मक संदेश देने में मदद करती हैं. हाल ही में संवाददाताओं से बात करते हुए कबीर ने कहा था, 'युद्ध और अन्य ज्यादातर हमारी समस्याएं राजनीति द्वारा खड़ी की गयी है. यदि लोगों के बीच में सीधा संवाद हो और राजनीति बीच में ना आये तो ये समस्याएं कभी पैदा नहीं हो सकती. ये सब कुछ हमने 'बजरंगी भाईजान' में भी दिखाया है और अब एक बार फिर हम 'ट्यूबलाईट' में भी दिखाने जा रहे है. जहां भी आमजन का आपस में सीधा संपर्क और संवाद हो, वहां ये समस्याएं कभी नहीं हो सकती.'
उनकी 'ट्यूबलाइट' दो देशों की सीमाओं और कैसे भारत-चीन युद्ध के बाद वहां रहने वालों की जिंदगी प्रभावित होती है, के इर्दगिर्द घूमती है. यह फिल्म शुक्रवार को सिनेमाघरों में रिलीज हो रही है.
(इनपुट आईएएनएस से भी)

फिल्म 'ट्यूबलाइट' की म्यूजिक नाइट में सलमान, सोहेल और मातिन के साथ कबीर खान.
कबीर ने कहा, 'मैं जानता हूं कि एक फिल्म समाज नहीं बदल सकती, लेकिन यह संवाद शुरू कर सकती है. मैं विश्वास करता हूं कि एक फिल्म बहुत प्रभावशाली माध्यम है, आपकी सोच को बनाने के लिए कम से कम एक बार. यह समाज को बदलने जितना ताकतवर माध्यम नहीं है. तथ्य यह है कि एक फिल्म लोगों को सोचने और बातचीत करने के लिए प्रेरित करती है, जोकि अपने आप में एक पर्याप्त रूप से शक्तिशाली है.

कबीर खान की यह सलमान खान के साथ तीसरी फिल्म है.
कबीर खान का मानना है कि 'ट्यूबलाइट' जैसी फिल्में समाज में सकारात्मक संदेश देने में मदद करती हैं. हाल ही में संवाददाताओं से बात करते हुए कबीर ने कहा था, 'युद्ध और अन्य ज्यादातर हमारी समस्याएं राजनीति द्वारा खड़ी की गयी है. यदि लोगों के बीच में सीधा संवाद हो और राजनीति बीच में ना आये तो ये समस्याएं कभी पैदा नहीं हो सकती. ये सब कुछ हमने 'बजरंगी भाईजान' में भी दिखाया है और अब एक बार फिर हम 'ट्यूबलाईट' में भी दिखाने जा रहे है. जहां भी आमजन का आपस में सीधा संपर्क और संवाद हो, वहां ये समस्याएं कभी नहीं हो सकती.'
उनकी 'ट्यूबलाइट' दो देशों की सीमाओं और कैसे भारत-चीन युद्ध के बाद वहां रहने वालों की जिंदगी प्रभावित होती है, के इर्दगिर्द घूमती है. यह फिल्म शुक्रवार को सिनेमाघरों में रिलीज हो रही है.
(इनपुट आईएएनएस से भी)
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