मुंबई:
इस शुक्रवार रिलीज़ हुई है भट्ट कैंप की फ़िल्म 'हमारी अधूरी कहानी'। फ़िल्म के निर्देशक हैं मोहित सूरी, जिन्होंने महेश भट्ट की रियल लाइफ़ स्टोरी को पर्दे पर पेश करने की कोशिश की है। फ़िल्म में मुख्य भूमिकाएं निभाई हैं इमरान हाशमी, विद्या बालन और राजकुमार राव ने।
फ़िल्म में इमरान हाशमी यानी आरव एक बड़े बिज़नेसमैन बने हैं। वहीं विद्या यानी वसुधा प्रसाद सिंगल मदर हैं और आरव के होटल में काम करती हैं। होटल में एक हादसा होता है और आरव, वसुधा को चाहने लगता है।
खूब ड्रामे के बाद विद्या, इमरान के प्यार को स्वीकारती हैं, पर इस प्यार के बीच अचानक एंट्री होती है विद्या के पति हरि पांडे यानी राजकुमार राव की। हरि, विद्या का सिरफिरा पति है, जो पांच सालों से लापता है और उस पर आतंकी संगठन से जुड़े होने का आरोप है। इससे आगे की कहानी जानने में अगर आपको दिलचस्पी है, तो सिनेमाघर जाकर फ़िल्म देखें।
अब बात फ़िल्म की ख़ामियों और खूबियों की। 'अर्थ', 'सारांश', 'ज़ख्म' जैसी सफल फ़िल्में बना चुके फ़िल्मकार महेश भट्ट की ये स्क्रिप्ट पर्दे पर ज़रा कमजोर पड़ती है, जिसके कारण विद्या, इमरान और राजकुमार राव जैसे अच्छे कलाकारों का काम भी फीका दिखता है। शायद आज से 10 साल पहले इस फ़िल्म को दर्शक पचा पाते।
मोहित सूरी का निर्देशन इस बार ढ़ीला रहा। ऐसा लगता है मानो उन्होंने क़िरदारों को आपस में उलझा दिया हो। पूरी फ़िल्म के दौरान आप न कहानी से जुड़ेंगे, ना ही फ़िल्म के क़िरदारों से। यहां तक की फ़िल्म के कई गंभीर डायलॉग और सीन्स आपको हंसने पर मजबूर करेंगे। फ़िल्म पहले भाग में जहां धीमी रफ्तार का शिकार होती है, वहीं दूसरे भाग में एक प्रेम कहानी, नारी प्रताड़ना जैसे कई सीन्स में भटकती दिखती है। फ़िल्म में कहीं शायद आपको 'कहानी' वाली विद्या भी नज़र आएं, लेकिन इससे फ़िल्म को बल नहीं मिलता।
खूबियों की बात करें तो फ़िल्म का संगीत, संगीतप्रमियों के बीच पहले से ही चर्चा में है। एक्टर्स के अभिनय की बात करें, तो विद्या और इमरान की केमिस्ट्री अच्छी है, राजकुमार राव एक सरफिरे पति के क़िरदार में इंसाफ़ करते हैं,
पर जब फ़िल्म का ढांचा ही दमदार ना हो, तो क़िरदार भी चुभते हैं। मसाला फ़िल्मों के शौकीनों की कसौटी पर 'हमारी अधूरी कहानी' शायद फिट बैठ ना पाए। मेरी ओर से फ़िल्म को 1.5 स्टार्स...
फ़िल्म में इमरान हाशमी यानी आरव एक बड़े बिज़नेसमैन बने हैं। वहीं विद्या यानी वसुधा प्रसाद सिंगल मदर हैं और आरव के होटल में काम करती हैं। होटल में एक हादसा होता है और आरव, वसुधा को चाहने लगता है।
खूब ड्रामे के बाद विद्या, इमरान के प्यार को स्वीकारती हैं, पर इस प्यार के बीच अचानक एंट्री होती है विद्या के पति हरि पांडे यानी राजकुमार राव की। हरि, विद्या का सिरफिरा पति है, जो पांच सालों से लापता है और उस पर आतंकी संगठन से जुड़े होने का आरोप है। इससे आगे की कहानी जानने में अगर आपको दिलचस्पी है, तो सिनेमाघर जाकर फ़िल्म देखें।
अब बात फ़िल्म की ख़ामियों और खूबियों की। 'अर्थ', 'सारांश', 'ज़ख्म' जैसी सफल फ़िल्में बना चुके फ़िल्मकार महेश भट्ट की ये स्क्रिप्ट पर्दे पर ज़रा कमजोर पड़ती है, जिसके कारण विद्या, इमरान और राजकुमार राव जैसे अच्छे कलाकारों का काम भी फीका दिखता है। शायद आज से 10 साल पहले इस फ़िल्म को दर्शक पचा पाते।
मोहित सूरी का निर्देशन इस बार ढ़ीला रहा। ऐसा लगता है मानो उन्होंने क़िरदारों को आपस में उलझा दिया हो। पूरी फ़िल्म के दौरान आप न कहानी से जुड़ेंगे, ना ही फ़िल्म के क़िरदारों से। यहां तक की फ़िल्म के कई गंभीर डायलॉग और सीन्स आपको हंसने पर मजबूर करेंगे। फ़िल्म पहले भाग में जहां धीमी रफ्तार का शिकार होती है, वहीं दूसरे भाग में एक प्रेम कहानी, नारी प्रताड़ना जैसे कई सीन्स में भटकती दिखती है। फ़िल्म में कहीं शायद आपको 'कहानी' वाली विद्या भी नज़र आएं, लेकिन इससे फ़िल्म को बल नहीं मिलता।
खूबियों की बात करें तो फ़िल्म का संगीत, संगीतप्रमियों के बीच पहले से ही चर्चा में है। एक्टर्स के अभिनय की बात करें, तो विद्या और इमरान की केमिस्ट्री अच्छी है, राजकुमार राव एक सरफिरे पति के क़िरदार में इंसाफ़ करते हैं,
पर जब फ़िल्म का ढांचा ही दमदार ना हो, तो क़िरदार भी चुभते हैं। मसाला फ़िल्मों के शौकीनों की कसौटी पर 'हमारी अधूरी कहानी' शायद फिट बैठ ना पाए। मेरी ओर से फ़िल्म को 1.5 स्टार्स...
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