
फिल्म 'ढिश्कयाऊं' की कहानी एक ऐसे लड़के की है, जो बचपन से ही गैंगस्टर बनना चाहता है। वह आम गुंडों की तरह गाली-गलौज से बात नहीं करता है, क्योंकि पढ़ा-लिखा है, गोलियां नहीं चलाता, क्योंकि दिमाग से शातिर है।
'ढिश्कयाऊं' की कहानी गैंग्स और गैंगस्टर्स के इर्द-गिर्द ही घूमती है, जिसमें ढेर सारे सस्पेंस हैं, कई ट्विस्ट एंड टर्न्स हैं। मगर ये इतने ज्यादा हैं कि न ही फिल्म की कहानी समझ आती है और न प्लॉट।
कुल मिलाकर फिल्म की कहानी कमजोर और बिखरी हुई है। शुरू से लेकर आखिर तक फिल्म कोई पकड़ नहीं बना पाती। सनी देओल के लिए कहानी सुनने के अलावा कोई काम नहीं है। फिल्म का संगीत भी कमजोर है। हालांकि हरमन बावेजा की परफॉरमेंस अच्छी है, मगर उनका अभिनय कमजोर कहानी का शिकार है।
मैं तो यही कहूंगा कि बतौर निर्माता शिल्पा शेट्टी को इस फिल्म से शुरुआत करने का फैसला शायद घाटे का सौदा हो। हरमन बावेजा के लिए भी वापसी करना मुश्किल है। इस फिल्म के लिए मेरी रेटिंग है 1.5 स्टार...
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