तीन दिन में 60 करोड़ का कारोबार कर चुकी है 'एमएस धोनी'.
नई दिल्ली:
क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी के जीवन पर बनी फिल्म 'एमएस धोनी- द अनटोल्ड स्टोरी' साल की सबसे चर्चित फिल्मों में से एक है. पिछले शुक्रवार को रिलीज़ हुई यह फिल्म लोगों को खूब पसंद आ रही है और तीन दिनों में इसने 60 करोड़ का कारोबार भी कर लिया है. फिल्म में धोनी के एक आम लड़के से भारतीय क्रिकेट टीम के सबसे सफल कप्तान बनने की कहानी को विस्तार से दिखाया गया है.
अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत ने धोनी की बॉडी लैंग्वेज, उनका स्टाइल और बोलने के तरीके को हू-ब-हू अपनाया है और निर्देशक ने इस बात का पूरा ध्यान रखा है कि तीन घंटे की इस पूरी फिल्म के दौरान दर्शक बोर न हों. फिल्म को सभी तरफ से अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है लेकिन इसके बाद भी कोई यह नहीं कह सकता कि इस बायोपिक में कोई गलती नहीं थी. आइए नज़र डालते हैं फिल्म में हुई गलतियों पर...
धोनी के भाई नरेंद्र सिंह धोनी को दिखाया ही नहीं गया
फिल्म में अनुपम खेर धोनी के पिता का किरदार निभाया है, भूमिका चावला उनकी बहन के रोल में दिखी हैं, फिल्म में उनकी मां और दोस्तों को भी दिखाया गया है. लेकिन उनके बड़े भाई नरेंद्र सिंह धोनी को कहीं पर भी नहीं दिखाया गया. नरेंद्र सिंह रांची में अपनी पत्नी और जो बच्चों के साथ रहते हैं और वहां के चर्चित राजनेता है. वह साल 2013 में समाजवादी पार्टी में शामिल हुए थे, उससे पहले वह भाजपा के सदस्य थे. कहा जा रहा है कि उनके राजनीति में सक्रिय होने की वजह से फिल्म में उनका ज़िक्र नहीं किया गया.
साक्षी धोनी और महेंद्र सिंह धोनी की मुलाकात
फिल्म में दिखाया गया है कि साक्षी धोनी कोलकाता के होटल ताज में इंटर्नशिप कर रही थीं और उन्हें महेंद्र सिंह धोनी के बारे में कुछ भी मालूम नहीं था. यह भी नहीं कि वह क्रिकेट टीम के कप्तान हैं. लेकिन मीडिय रिपोर्ट्स के मुताबिक, धोनी और साक्षी एक दूसरे को बचपन से जानते थे क्योंकि धोनी के पिता पान सिंह और साक्षी के पिता रांची में एक साथ काम करते थे. इतना ही नहीं धोनी और साक्षी ने एक ही स्कूल से पढ़ाई की है. बाद में साक्षी का परिवार देहरादून शिफ्ट हो गया था, जिसके बाद दोनों के बीच लंबे समय तक कोई बातचीत नहीं हुई थी. साल 2007 में कोलकाता में पाकिस्तान के खिलाफ टेस्ट मैच के दौरान होटल ताज बंगाल में साक्षी और धोनी की मुलाकात हुई और उसके बाद दोनों की बातचीत दोबारा शुरू हुई. दोनों की साल 2010 में शादी हुई थी.
लावा के ब्रैंड एम्बेसडर
फिल्म में दिखाया गया है कि महेंद्र सिंह धोनी साल 2008 में लावा मोबाइल के ब्रांड एंबेसडर बने थे जबकि इस मोबाइल ब्रांड की स्थापना साल 2009 में हुई थी. धोनी को इसी साल अप्रैल में लावा का ब्रांड एंबेसडर बनाया गया है. इसके फिल्म में धोनी संजय घोड़ावत इंस्टिट्यूट, गार्नियर मेन्स क्रीम और फिनोलिक्स पीवीसी पाइप का विज्ञापन करते नजर आ रहे हैं जबकि असल जिंदगी में उन्होंने इनका विज्ञापन नहीं किया है.
धोनी का हेलमेट
फिल्म के आखिरी के एक दृश्य में वानखेड़े स्टेडियम में उतरते वक्त महेंद्र सिंह धोनी कैप लगाए होते हैं. लेकिन बैटिंग करते वक्त वह हेलमेट पहने दिखाए गए हैं. इस सीन में उन्होंने मुरलीधरन की बॉल में छक्का लगाया है.
धोनी ने दो महीने में बढ़ाए बाल
फिल्म के मुताबिक, टीटी की नौकरी के पहले दिन और रेलवे की तरफ से धोनी के पहले मैच के बीच 2 महीनों का अंतर होता है. पहले दिन उनके बाल बेहद छोटे होते हैं जबकि मैच में उनके बाल काफी लंबे दिखाए गए हैं. लेकिन दो महीने में बाल का इतना बढ़ना संभव नहीं है.
अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत ने धोनी की बॉडी लैंग्वेज, उनका स्टाइल और बोलने के तरीके को हू-ब-हू अपनाया है और निर्देशक ने इस बात का पूरा ध्यान रखा है कि तीन घंटे की इस पूरी फिल्म के दौरान दर्शक बोर न हों. फिल्म को सभी तरफ से अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है लेकिन इसके बाद भी कोई यह नहीं कह सकता कि इस बायोपिक में कोई गलती नहीं थी. आइए नज़र डालते हैं फिल्म में हुई गलतियों पर...
धोनी के भाई नरेंद्र सिंह धोनी को दिखाया ही नहीं गया
फिल्म में अनुपम खेर धोनी के पिता का किरदार निभाया है, भूमिका चावला उनकी बहन के रोल में दिखी हैं, फिल्म में उनकी मां और दोस्तों को भी दिखाया गया है. लेकिन उनके बड़े भाई नरेंद्र सिंह धोनी को कहीं पर भी नहीं दिखाया गया. नरेंद्र सिंह रांची में अपनी पत्नी और जो बच्चों के साथ रहते हैं और वहां के चर्चित राजनेता है. वह साल 2013 में समाजवादी पार्टी में शामिल हुए थे, उससे पहले वह भाजपा के सदस्य थे. कहा जा रहा है कि उनके राजनीति में सक्रिय होने की वजह से फिल्म में उनका ज़िक्र नहीं किया गया.
साक्षी धोनी और महेंद्र सिंह धोनी की मुलाकात
फिल्म में दिखाया गया है कि साक्षी धोनी कोलकाता के होटल ताज में इंटर्नशिप कर रही थीं और उन्हें महेंद्र सिंह धोनी के बारे में कुछ भी मालूम नहीं था. यह भी नहीं कि वह क्रिकेट टीम के कप्तान हैं. लेकिन मीडिय रिपोर्ट्स के मुताबिक, धोनी और साक्षी एक दूसरे को बचपन से जानते थे क्योंकि धोनी के पिता पान सिंह और साक्षी के पिता रांची में एक साथ काम करते थे. इतना ही नहीं धोनी और साक्षी ने एक ही स्कूल से पढ़ाई की है. बाद में साक्षी का परिवार देहरादून शिफ्ट हो गया था, जिसके बाद दोनों के बीच लंबे समय तक कोई बातचीत नहीं हुई थी. साल 2007 में कोलकाता में पाकिस्तान के खिलाफ टेस्ट मैच के दौरान होटल ताज बंगाल में साक्षी और धोनी की मुलाकात हुई और उसके बाद दोनों की बातचीत दोबारा शुरू हुई. दोनों की साल 2010 में शादी हुई थी.
लावा के ब्रैंड एम्बेसडर
फिल्म में दिखाया गया है कि महेंद्र सिंह धोनी साल 2008 में लावा मोबाइल के ब्रांड एंबेसडर बने थे जबकि इस मोबाइल ब्रांड की स्थापना साल 2009 में हुई थी. धोनी को इसी साल अप्रैल में लावा का ब्रांड एंबेसडर बनाया गया है. इसके फिल्म में धोनी संजय घोड़ावत इंस्टिट्यूट, गार्नियर मेन्स क्रीम और फिनोलिक्स पीवीसी पाइप का विज्ञापन करते नजर आ रहे हैं जबकि असल जिंदगी में उन्होंने इनका विज्ञापन नहीं किया है.
We have d captain with us now! LAVA announces a new brand ambassador @msdhoni
— Lava Mobiles (@LavaMobile) April 10, 2016
Stay tuned for more #captainiswithus pic.twitter.com/FS9XIr3bww
धोनी का हेलमेट
फिल्म के आखिरी के एक दृश्य में वानखेड़े स्टेडियम में उतरते वक्त महेंद्र सिंह धोनी कैप लगाए होते हैं. लेकिन बैटिंग करते वक्त वह हेलमेट पहने दिखाए गए हैं. इस सीन में उन्होंने मुरलीधरन की बॉल में छक्का लगाया है.
धोनी ने दो महीने में बढ़ाए बाल
फिल्म के मुताबिक, टीटी की नौकरी के पहले दिन और रेलवे की तरफ से धोनी के पहले मैच के बीच 2 महीनों का अंतर होता है. पहले दिन उनके बाल बेहद छोटे होते हैं जबकि मैच में उनके बाल काफी लंबे दिखाए गए हैं. लेकिन दो महीने में बाल का इतना बढ़ना संभव नहीं है.
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