नई दिल्ली:
ये पुरानी दिल्ली का एक सिंगल स्क्रीन थिएटर है. सवा दस बजे 'जब हैरी मेट सेजल' का पहला शो शुरू होना था. लेकिन बाहर का नजारा एकदम ठंडा था. इस नजारे को देखकर यही कहा जा सकता था कि क्या यह किंग खान की फिल्म का पहला दिन का पहला शो है? इस तरह पहला धक्का लगा और अंदर पहुंचे तो यह सीन किसी भी फैन के लिए दिल तोड़ने वाला था. दर्शकों की संख्या यही 20-25 फीसदी रही होगी.
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सिनेमा हाल में सन्नाटा पसरा था और जैसे ही शाहरुख ने गाने के साथ एंट्री की, थोड़ी सीटियां बजीं और उनके चाहने वालों ने शोर मचाया. लेकिन जैसे-जैसे फिल्म आगे बढ़ती गई, यह सन्नाटा बढ़ता गया. शाहरुख के फैन्स अपने किंग खान को मिस कर रहे थे. शाहरुख के पंजाबी बोलने पर जरूर थोड़ी तालियों का शोर सुनाई दिया लेकिन फिर सन्नाटा. पूरी फिल्म के दौरान माहौल पूरी तरह से ठंडा ही रहा. दर्शक ऐसे बैठे थे जैसे उन्हें सांप सूंघ गया हो. 'जब हैरी मेट सेजल' की टी-शर्ट पहनकर एक युवा दर्शकों का ग्रुप बाहर सेल्फी खिंचवाने और जोश दिखाने के बाद, अंदर आकर थोड़ा सुस्त हो गया था.
शाहरुख और इम्तियाज अली की जोड़ी से युवाओं दर्शकों को धमाकेदार प्रेम कहानी की उम्मीद थी, लेकिन इस तरह की सुस्त फिल्म की उन्होंने उम्मीद नहीं की होगी. स्कूल बंक करके फिल्म देखने आए बच्चे आपस में बात कर रहे थे कि तुझे पहले ही बोला था मॉल चलते हैं. पैसे भी खराब किए, मजा भी नहीं आया.
एक ग्रुप ने बाहर निकलते ही गुस्से के साथ टिकट कूड़ेदान में फेंकी और बोले टाइम खराब हो गया. उनसे पूछा कि फिल्म कैसी है तो उन्होंने मुस्कराते हुए इतना ही कहा ठीक है. शायद वे अपने किंग खान की बुराई हमारे सामने नहीं करना चाहते थे. फिल्म देखकर बाहर निकल रहे कपल से बातचीत में उन्होंने कहा कि कहानी रिफ्रेशिंग नहीं है. बहुत धीमे चलती है. कुल मिलाकर दर्शकों का रवैया और उनकी प्रतिक्रिया एसआरके के लिए बहुत हौसले बढ़ाने वाली नहीं है. किंग खान को थोड़ा होशियार हो जाना चाहिए, डायरेक्टर चुनने के साथ ही उन्हें कहानी पर फोकस करना शुरू कर देना होगा.
...और भी हैं बॉलीवुड से जुड़ी ढेरों ख़बरें...
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शाहरुख और इम्तियाज अली की जोड़ी से युवाओं दर्शकों को धमाकेदार प्रेम कहानी की उम्मीद थी, लेकिन इस तरह की सुस्त फिल्म की उन्होंने उम्मीद नहीं की होगी. स्कूल बंक करके फिल्म देखने आए बच्चे आपस में बात कर रहे थे कि तुझे पहले ही बोला था मॉल चलते हैं. पैसे भी खराब किए, मजा भी नहीं आया.
एक ग्रुप ने बाहर निकलते ही गुस्से के साथ टिकट कूड़ेदान में फेंकी और बोले टाइम खराब हो गया. उनसे पूछा कि फिल्म कैसी है तो उन्होंने मुस्कराते हुए इतना ही कहा ठीक है. शायद वे अपने किंग खान की बुराई हमारे सामने नहीं करना चाहते थे. फिल्म देखकर बाहर निकल रहे कपल से बातचीत में उन्होंने कहा कि कहानी रिफ्रेशिंग नहीं है. बहुत धीमे चलती है. कुल मिलाकर दर्शकों का रवैया और उनकी प्रतिक्रिया एसआरके के लिए बहुत हौसले बढ़ाने वाली नहीं है. किंग खान को थोड़ा होशियार हो जाना चाहिए, डायरेक्टर चुनने के साथ ही उन्हें कहानी पर फोकस करना शुरू कर देना होगा.
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