फिल्म 'मर्दानी' में मुख्य भूमिका निभाई है अभिनेत्री रानी मुखर्जी ने और उनके साथ हैं, बांग्ला अभिनेता जीशू सेन गुप्ता, ताहीर भसीन और प्रियंका शर्मा। 'मर्दानी' का निर्देशन किया है, प्रदीप सरकार ने।
फिल्म की कहानी बड़ी ही सीधी-साधी-सी है, जहां शिवानी शिवाजी राव यानी रानी मुखर्जी क्राइम ब्रांच में इंस्पेक्टर हैं और एक बाल आश्रम में रहने वाली लड़की प्यारी से वह करीब हैं, पर अचानक एक दिन प्यारी गायब हो जाती है और शिवानी उस बच्ची की तलाश करती है।
क्या हुआ प्यारी के साथ, उसके गायब होने के पीछे किसका हाथ है, इन सब सवालों के जवाब शिवानी ढूंढती हैं। आपको भी अगर इन सवालों के जवाब जानने हैं तो फिल्म देखनी पड़ेगी।
अब बात फिल्म की खामियों और खूबियों की। फिल्म की कहानी सीधी है, जहां आपको ज्यादा ट्विस्ट-टर्न्स नहीं देखने मिलेंगे हालांकि इसकी वजह से आगे क्या होने वाला है दर्शक इसका अनुमान पहले से लगा सकते हैं। नतीजा दर्शक फिल्म में अपनी रुचि खो सकते हैं।
कहानी की तरह फिल्म का स्क्रीनप्ले भी सीधा है। मैं किसी भी किरदार के साथ या कहानी के साथ जुड़ नहीं पाया। प्रदीप सरकार का निर्देशन भी मुझे ठंडा लगा। मुझे लगता है कि रानी के स्टार पावर को प्रदीप सरकार ठीक से इस्तेमाल नहीं कर पाए। रानी का किरदार भी कहानी और स्क्रीनप्ले की तरह ही है, जो दर्शकों पर अपनी छाप छोड़ने में नाकामयाब रहा।
अब बात खूबियों की, प्रदीप सरकार ने 'मर्दानी' को वास्तविकता के करीब रखने की कोशिश की है। फिल्म में गाने नहीं है, अगर होते तो फिल्म की रफ्तार कमजोर पड़ जाती। फिल्म में सिर्फ एक गाना है, जिसे मर्दानी एंथम कहा गया है और इसका इस्तेमाल फिल्म की गति पर ब्रेक नहीं लगाता। कुछ हद तक फिल्म के विलेन ताहिर भसीन पर्दे पर अपनी मौजूदी का एहसास दिलाते हैं। सबसे अहम बात फिल्म में खास संदेश है। मेरी ओर से 'मर्दानी' को 2.5 स्टार्स।
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