रणदीप हुड्डा का फोटो
मुंबई:
हम सभी जानते हैं कि फिल्म 'मैं और चार्ल्स' प्रेरित है बिकनी किलर चार्ल्स शोभराज की जिन्दगी से। फिल्म की शुरुआत भी वैसे होती है जब पहले ही सीन में समंदर के किनारे एक लड़की की लाश मिलती है थाईलैंड में। और इस हत्या का आरोप है चार्ल्स पर।
फिल्म 'मैं और चार्ल्स' में निर्देशक प्रवाल रमन ने चार्ल्स शोभराज की जिन्दगी के करीब-करीब सभी पहलुओं को पर्दे पर उतारा है, जिसमें उसका लोगों का विश्वास जीतने का तरीका, लड़कियों को अपनी ओर आकर्षित करने की शक्ति, ठगने की कला और चार्ल्स का तेज दिमाग शामिल है। मगर उन सबसे ज्यादा ये फ़िल्म बनाई गई है पुलिस कॉप आमोद कांत के नजरिये से जिनके समय में शोभराज दिल्ली के जेल से सबको बेहोश करके फरार हुआ था।
रणदीप की एक्टिंग बेहतरीन
चार्ल्स शोभराज की जिन्दगी को परदे पर रणदीप हुड्डा ने बेहतरीन तरीक़े से जिया है। उन्होंने जिस तरह चार्ल्स के हावभाव को पकड़ा है और चार्ल्स के अंदाज में बातचीत का लहजा दिखाया है वो बेहतरीन है।निर्देशक प्रवाल रमन ने बहुत ही स्टाइलिश फिल्म बनाने की कोशिश की है और उसमें बहुत हद तक वे कामयाब हुए हैं। मगर मेरे नज़रिये से कहीं न कहीं वही प्रयोग इस फिल्म को थोड़ा कमजोर भी कर रहा है। कहानी बहुत ही तेजी से रुख बदलती है। इतनी जल्दी-जल्दी फिल्म फ्लैशबैक में जाती है कि कंफ्यूजन होने लगता है।
पटकथा पर और ध्यान दिया जाना था
फिल्म का स्क्रीनप्ले भी कमजोर है। हमने चार्ल्स के कई पहलुओं को परदे पर देखा तो सही मगर कहीं न कहीं, कहानी या उसका बहाव दिल को नहीं छू रहा था। अगर फिल्म को स्टाइलिश बनाने से ज्यादा इसकी पटकथा पर ध्यान दिया गया होता तो बेहतर होता क्योंकि शोभराज की कहानी तो हम गूगल में भी पढ़ चुके हैं और पढ़ सकते हैं। मेरे नजरिये से ये एवरेज कहानी और स्क्रीनप्ले के साथ एक स्टाइलिश फिल्म है इसलिए मेरी तरफ़ से इस फिल्म को 2.5 स्टार्स।
फिल्म 'मैं और चार्ल्स' में निर्देशक प्रवाल रमन ने चार्ल्स शोभराज की जिन्दगी के करीब-करीब सभी पहलुओं को पर्दे पर उतारा है, जिसमें उसका लोगों का विश्वास जीतने का तरीका, लड़कियों को अपनी ओर आकर्षित करने की शक्ति, ठगने की कला और चार्ल्स का तेज दिमाग शामिल है। मगर उन सबसे ज्यादा ये फ़िल्म बनाई गई है पुलिस कॉप आमोद कांत के नजरिये से जिनके समय में शोभराज दिल्ली के जेल से सबको बेहोश करके फरार हुआ था।
रणदीप की एक्टिंग बेहतरीन
चार्ल्स शोभराज की जिन्दगी को परदे पर रणदीप हुड्डा ने बेहतरीन तरीक़े से जिया है। उन्होंने जिस तरह चार्ल्स के हावभाव को पकड़ा है और चार्ल्स के अंदाज में बातचीत का लहजा दिखाया है वो बेहतरीन है।निर्देशक प्रवाल रमन ने बहुत ही स्टाइलिश फिल्म बनाने की कोशिश की है और उसमें बहुत हद तक वे कामयाब हुए हैं। मगर मेरे नज़रिये से कहीं न कहीं वही प्रयोग इस फिल्म को थोड़ा कमजोर भी कर रहा है। कहानी बहुत ही तेजी से रुख बदलती है। इतनी जल्दी-जल्दी फिल्म फ्लैशबैक में जाती है कि कंफ्यूजन होने लगता है।
पटकथा पर और ध्यान दिया जाना था
फिल्म का स्क्रीनप्ले भी कमजोर है। हमने चार्ल्स के कई पहलुओं को परदे पर देखा तो सही मगर कहीं न कहीं, कहानी या उसका बहाव दिल को नहीं छू रहा था। अगर फिल्म को स्टाइलिश बनाने से ज्यादा इसकी पटकथा पर ध्यान दिया गया होता तो बेहतर होता क्योंकि शोभराज की कहानी तो हम गूगल में भी पढ़ चुके हैं और पढ़ सकते हैं। मेरे नजरिये से ये एवरेज कहानी और स्क्रीनप्ले के साथ एक स्टाइलिश फिल्म है इसलिए मेरी तरफ़ से इस फिल्म को 2.5 स्टार्स।
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