हॉरर फिल्मों की कड़ी में एक नया नाम जोड़ती हुई 'पिज़्ज़ा' एक डिलीवरी ब्वॉय की कहानी है, जो पिज़्ज़ा पहुंचाने के चक्कर में एक भुतहे बंगले में फंस जाता है... वैसे, फिल्म की कहानी पर इससे ज़्यादा बात नहीं कर सकता, क्योंकि उससे फिल्म देखने का मज़ा चला जाएगा...
हम सब जानते हैं कि 'पिज़्ज़ा' हॉरर फिल्म है, और यह भी जानते हैं कि यह तमिल भाषा में बनी एक सुपरनेचुरल थ्रिलर का हिन्दी रीमेक है, जिसे 3-डी तकनीक से बनाया गया है... सो, वैसे 'पिज़्ज़ा' का प्लॉट अच्छा है, मगर फिल्म डराने में नाकाम रही है... हां, 3-डी चश्मे से देखते हुए कुछ सीन्स ने मुझे थोड़ा झटका ज़रूर दिया... अगर आपने तमिल फिल्म नहीं देखी है, तो फिल्म में आपको सस्पेंस मिलेगा... खासतौर से ऐसा क्लाईमेक्स शायद आपके ज़हन में भी न आए...
हॉरर फिल्म होने के बावजूद 'पिज़्ज़ा' की कमज़ोर कड़ी इसका डरावना हिस्सा ही है... इसमें ऐसा कुछ नहीं था, जिससे मुझे डर लगा हो... भूत द्वारा डराने का वही पुराना अंदाज़, वही साउंड, जो आप पहले भी कई बार सुन चुके हैं... इसके अलावा कुछ सीन ज़रूरत से ज़्यादा लंबे लगने लगते हैं, लेकिन हां, पार्वती ओमानाकुट्टन और खासतौर से अक्षय ओबेरॉय ने अच्छी एक्टिंग की है...
इस फिल्म में एक डायलॉग है, जिसमें हीरोइन कहती है, "हर डर का एक पल होता है..." लेकिन डर का वह पल मेरे सामने कभी आया ही नहीं, और इस लिहाज़ से मेरी नज़र में 'पिज़्ज़ा' एक ऐवरेज फिल्म है, लेकिन फिर भी एक बार इसे देखा जा सकता है, क्योंकि फिल्म का प्लॉट और कुछ 'ट्विस्ट्स एंड टर्न्स' आपको पसंद आ सकते हैं... इस फिल्म के लिए मेरी रेटिंग है - 2.5 स्टार...
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