मुंबई:
इस शुक्रवार रिलीज़ हुई है 'बॉम्बे वेलवेट', जिसे बनाया है अनुराग कश्यप ने और स्टारकास्ट है, रणबीर कपूर, अनुष्का शर्मा, करण जौहर के अलावा सत्यदीप मिश्रा, केके मेनन, मनीष चौधरी, सिद्धार्थ बासु, विवान शाह और फिल्म में बतौर गायिका आपको रवीना टंडन भी नज़र आएंगी।
'बॉम्बे वेलवेट' की कहानी मुंबई के निर्माण पर आधारित है, और इसमें दिखाया गया है कैसे सात द्वीपों को जोड़कर मुंबई बनी और इसे बनाने में कितना भ्रष्टाचार हुआ। इसी किस्से के अलग-अलग किरदार हैं बलराज यानि रणबीर, खंबाटा यानि करण जौहर, रोज़ी यानि अनुष्का शर्मा और चिम्मन यानि सत्यदीप मिश्रा।
अब बात करते हैं फिल्म की खामियों और खूबियों की, सो, पहले खामियां... कहानी का विषय नया और अच्छा तो है, लेकिन वह मज़बूती से पर्दे पर नहीं आता। कहानी भटकती हुई दिखती है। भावनाओं के चरम पर पहुंचने में, किरदारों के कुछ सीन्स बाधा डालते हैं।
कहानी बयान करने का अंदाज़ ढीला है। स्क्रीनप्ले बिखरा हुआ है। कई हिस्सों में फिल्म ऊबाऊ है - मसलन, रणबीर-अनुष्का का रोमांटिक ट्रैक। कई जगह कुछ सीन्स में तर्क की भी कमी दिखती है, जैसे - 1969 के ब्लैक एंड व्हाइट दौर में रंगीन फोटो का खींचा जाना। कहानी में कई मोड़ आप हज़म नहीं कर पाएंगे, मसलन - पैसे आने के बावजूद रणबीर का फाइट न छोड़ना। शायद यह फिल्मकार को उनके किरदार के लिए ज़रूरी लगा हो, लेकिन पर्दे पर यह फिल्म की लंबाई बढ़ाने के अलावा कुछ नहीं कर पाता।
'बॉम्बे वेलवेट' देश के बंटवारे के दो साल बाद शुरू होती है। ज़ाहिर है, उस दौर की चंद असल तस्वीरें दिखाने की जद्दोज़हद होगी, लेकिन फिल्म में इसे नए सीन्स के साथ मिलाया नहीं गया। मसलन करण जौहर की रेसकोर्स में मौजूदगी की नई तस्वीरें, हॉर्स रेसिंग की पुरानी तस्वीरों से बिलकुल मेल नहीं खातीं। तो एडिटिंग में भी फिल्म की यह भूल चुभती है। साथ ही अगर आपकी ख्वाहिश पुराना बॉम्बे देखने की है, तो शायद उसमें भी आपको सफलता नहीं मिलेगी, क्योंकि ऐसे सीन्स फिल्म में बहुत कम हैं।
अब बात खूबियों की... '60 के दशक के राग फिल्म के गानों को ज़िन्दा करते हैं, सो, गाने आपको पसंद आ सकते हैं। लेकिन यहां भी एक खामी है, फिल्म में इनका इतना इस्तेमाल हुआ है कि एक वक्त के बाद ये अपना असर खोने लगते हैं।
अभिनय की बात करें तो सभी कलाकारों में मुझे सत्यदीप, केके मेनन, विवान का काम अच्छा लगा। फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर अच्छा है। रवीना सिर्फ एक जगह फिल्म में नज़र आती हैं, गाना गाते हुए। उनका यह ज़रा-सा रोल और चेहरे के भाव वाकई असरदार हैं। रवीना को देखकर उषा उत्थुप जैसी गायिकाओं का लाइव स्टेज परफॉर्मेंस याद आता है।
मेरी ओर से 'बॉम्बे वेलवेट' की रेटिंग है - 2 स्टार...
'बॉम्बे वेलवेट' की कहानी मुंबई के निर्माण पर आधारित है, और इसमें दिखाया गया है कैसे सात द्वीपों को जोड़कर मुंबई बनी और इसे बनाने में कितना भ्रष्टाचार हुआ। इसी किस्से के अलग-अलग किरदार हैं बलराज यानि रणबीर, खंबाटा यानि करण जौहर, रोज़ी यानि अनुष्का शर्मा और चिम्मन यानि सत्यदीप मिश्रा।
अब बात करते हैं फिल्म की खामियों और खूबियों की, सो, पहले खामियां... कहानी का विषय नया और अच्छा तो है, लेकिन वह मज़बूती से पर्दे पर नहीं आता। कहानी भटकती हुई दिखती है। भावनाओं के चरम पर पहुंचने में, किरदारों के कुछ सीन्स बाधा डालते हैं।
कहानी बयान करने का अंदाज़ ढीला है। स्क्रीनप्ले बिखरा हुआ है। कई हिस्सों में फिल्म ऊबाऊ है - मसलन, रणबीर-अनुष्का का रोमांटिक ट्रैक। कई जगह कुछ सीन्स में तर्क की भी कमी दिखती है, जैसे - 1969 के ब्लैक एंड व्हाइट दौर में रंगीन फोटो का खींचा जाना। कहानी में कई मोड़ आप हज़म नहीं कर पाएंगे, मसलन - पैसे आने के बावजूद रणबीर का फाइट न छोड़ना। शायद यह फिल्मकार को उनके किरदार के लिए ज़रूरी लगा हो, लेकिन पर्दे पर यह फिल्म की लंबाई बढ़ाने के अलावा कुछ नहीं कर पाता।
'बॉम्बे वेलवेट' देश के बंटवारे के दो साल बाद शुरू होती है। ज़ाहिर है, उस दौर की चंद असल तस्वीरें दिखाने की जद्दोज़हद होगी, लेकिन फिल्म में इसे नए सीन्स के साथ मिलाया नहीं गया। मसलन करण जौहर की रेसकोर्स में मौजूदगी की नई तस्वीरें, हॉर्स रेसिंग की पुरानी तस्वीरों से बिलकुल मेल नहीं खातीं। तो एडिटिंग में भी फिल्म की यह भूल चुभती है। साथ ही अगर आपकी ख्वाहिश पुराना बॉम्बे देखने की है, तो शायद उसमें भी आपको सफलता नहीं मिलेगी, क्योंकि ऐसे सीन्स फिल्म में बहुत कम हैं।
अब बात खूबियों की... '60 के दशक के राग फिल्म के गानों को ज़िन्दा करते हैं, सो, गाने आपको पसंद आ सकते हैं। लेकिन यहां भी एक खामी है, फिल्म में इनका इतना इस्तेमाल हुआ है कि एक वक्त के बाद ये अपना असर खोने लगते हैं।
अभिनय की बात करें तो सभी कलाकारों में मुझे सत्यदीप, केके मेनन, विवान का काम अच्छा लगा। फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर अच्छा है। रवीना सिर्फ एक जगह फिल्म में नज़र आती हैं, गाना गाते हुए। उनका यह ज़रा-सा रोल और चेहरे के भाव वाकई असरदार हैं। रवीना को देखकर उषा उत्थुप जैसी गायिकाओं का लाइव स्टेज परफॉर्मेंस याद आता है।
मेरी ओर से 'बॉम्बे वेलवेट' की रेटिंग है - 2 स्टार...
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