'लिपस्टिक अंडर माई बुर्का' 21 जुलाई को रिलीज हो रही है.
नई दिल्ली:
एकता कपूर केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड से मंजूरी लेने के दौरान विवादों से घिरी रही फिल्म 'लिपस्टिक अंडर माई बुर्का' लेकर आने को तैयार हैं. उनका कहना है कि उन्हें बोर्ड से कोई शिकायत नहीं है क्योंकि बोर्ड समाज की मानसिकता ही दर्शाता है. रत्ना पाठक शाह और कोंकणा सेन शर्मा समेत कई कलाकारों से सजी यह फिल्म उस समय चर्चा में आ गई थी, जब सीबीएफसी ने इसके 'महिला आधारित' होने पर आपत्ति जताई थी. फिल्म प्रमाणन अपीली अधिकरण ने सीबीएफसी को निर्देश दिया कि वह प्रकाश झा निर्मित फिल्म को 'ए' प्रमाणपत्र दे और न्यायालय के दखल के बाद सेंसर बोर्ड ने इस फिल्म को भारत में रिलीज करने की इजाजत दी.
न्यूज एजेंसी भाषा के अनुसार एकता कपूर ने संवाददाताओं से कहा, 'मुझे सीबीएफसी से कोई परेशानी नहीं है. मुझे समस्या पूरे समाज से है, जो इसी चीज के बारे में अपने एक अलग तरीके से बात करता है. इसलिए असल में सीबीएफसी समाज का ही आईना है. अगर हम इसे सीबीएफसी से जोड़ देते हैं तो असल में हम समस्या को कम करके आंकेंगे. यह कहीं अधिक बड़ा मुद्दा है.' एकता कपूर ने कहा कि अगर आप किसी महिला से बात करें तो वह आपको हर दिन की कम से कम 5-10 घटनाएं ऐसी बता देगी. वह एक माह की ऐसी 5-10 घटनाएं गिनवा देगी, जहां उसे एक 'महिला' होने के नाते खुद को अधिक मजबूती से साबित करना पड़ा हो.
हाल ही में जारी फिल्म की पहली झलक में 'मिडल फिंगर' के स्थान पर लिपस्टिक दिखाई गई है. फिल्म का निर्देशन अलंकृत श्रीवास्तव ने किया है. एकता ने कहा, 'यह उंगली, यह लिपस्टिक उस समाज के लिए है, जो हमें बाहर नहीं आने दे रही है और हमारी आवाज दबा रही है'. यह सीबीएफसी के बारे में नहीं बल्कि एक विचारधारा के बारे में है. यह पुरूषों के बारे में भी नहीं है.' उन्होंने कहा, 'मैं 'लिपस्टिक फॉर मेन' नामक एक अभियान भी चलाना चाहती हूं. ऐसे बहुत से पुरूष हैं, जिन्होंने हमें ऐसी महिलाएं बनाया, जो आज हम हैं. ऐसे ही एक पुरूष मेरे पिता हैं. बहुत सी ऐसी महिलाएं हैं, जो चाहती हैं कि बेटा पैदा हो और इसलिए अपनी बहुओं को गर्भपात करवाती हैं. इसलिए यह सिर्फ पुरूषों या महिलाओं के बारे में नहीं है बल्कि विचारधारा के बारे में है. यह पितृसत्ता के बारे में है.' एकता कपूर ने यह बातें इस फिल्म के नए ट्रेलर की लॉन्चिंग पर कहीं. यह फिल्म 21 जुलाई को रिलीज होगी.
बता दें कि फिल्म का दूसरा ट्रेलर मंगलवार को जारी किया गया है. सवा दो मिनट का यह ट्रेलर उम्मीद से ज्यादा बोल्ड है, क्योंकि इसमें किसिंग सीन से लेकर बेडरूम सीन्स तक की भरमार है. शायद यही वजह थी कि सेंसर बोर्ड ने इसे पास करने से साफ इंकार कर, फिल्म को 'असंस्कारी' करार दिया था. 'लिपस्टिक अंडर माई बुर्का' की कहानी छोटे शहरों की चार महिलाओं पर आधारित है, जो आजादी की तलाश में है, लेकिन समाज इन्हें रोकने की कोशिश में लगा हुआ है. लेकिन ये चारों भी कम नहीं, जद्दोजहद कर समाज के बंधनों से मुक्त होने की लड़ाई लड़ती रहती हैं.
(इनपुट भाषा से भी)
न्यूज एजेंसी भाषा के अनुसार एकता कपूर ने संवाददाताओं से कहा, 'मुझे सीबीएफसी से कोई परेशानी नहीं है. मुझे समस्या पूरे समाज से है, जो इसी चीज के बारे में अपने एक अलग तरीके से बात करता है. इसलिए असल में सीबीएफसी समाज का ही आईना है. अगर हम इसे सीबीएफसी से जोड़ देते हैं तो असल में हम समस्या को कम करके आंकेंगे. यह कहीं अधिक बड़ा मुद्दा है.' एकता कपूर ने कहा कि अगर आप किसी महिला से बात करें तो वह आपको हर दिन की कम से कम 5-10 घटनाएं ऐसी बता देगी. वह एक माह की ऐसी 5-10 घटनाएं गिनवा देगी, जहां उसे एक 'महिला' होने के नाते खुद को अधिक मजबूती से साबित करना पड़ा हो.
हाल ही में जारी फिल्म की पहली झलक में 'मिडल फिंगर' के स्थान पर लिपस्टिक दिखाई गई है. फिल्म का निर्देशन अलंकृत श्रीवास्तव ने किया है. एकता ने कहा, 'यह उंगली, यह लिपस्टिक उस समाज के लिए है, जो हमें बाहर नहीं आने दे रही है और हमारी आवाज दबा रही है'. यह सीबीएफसी के बारे में नहीं बल्कि एक विचारधारा के बारे में है. यह पुरूषों के बारे में भी नहीं है.' उन्होंने कहा, 'मैं 'लिपस्टिक फॉर मेन' नामक एक अभियान भी चलाना चाहती हूं. ऐसे बहुत से पुरूष हैं, जिन्होंने हमें ऐसी महिलाएं बनाया, जो आज हम हैं. ऐसे ही एक पुरूष मेरे पिता हैं. बहुत सी ऐसी महिलाएं हैं, जो चाहती हैं कि बेटा पैदा हो और इसलिए अपनी बहुओं को गर्भपात करवाती हैं. इसलिए यह सिर्फ पुरूषों या महिलाओं के बारे में नहीं है बल्कि विचारधारा के बारे में है. यह पितृसत्ता के बारे में है.' एकता कपूर ने यह बातें इस फिल्म के नए ट्रेलर की लॉन्चिंग पर कहीं. यह फिल्म 21 जुलाई को रिलीज होगी.
बता दें कि फिल्म का दूसरा ट्रेलर मंगलवार को जारी किया गया है. सवा दो मिनट का यह ट्रेलर उम्मीद से ज्यादा बोल्ड है, क्योंकि इसमें किसिंग सीन से लेकर बेडरूम सीन्स तक की भरमार है. शायद यही वजह थी कि सेंसर बोर्ड ने इसे पास करने से साफ इंकार कर, फिल्म को 'असंस्कारी' करार दिया था. 'लिपस्टिक अंडर माई बुर्का' की कहानी छोटे शहरों की चार महिलाओं पर आधारित है, जो आजादी की तलाश में है, लेकिन समाज इन्हें रोकने की कोशिश में लगा हुआ है. लेकिन ये चारों भी कम नहीं, जद्दोजहद कर समाज के बंधनों से मुक्त होने की लड़ाई लड़ती रहती हैं.
(इनपुट भाषा से भी)
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