'समाजवादियों' में झगड़ा भारी : परिवार में दरार के 10 बड़े मोड़

'समाजवादियों' में झगड़ा भारी : परिवार में दरार के 10 बड़े मोड़

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पिता मुलायम सिंह यादव के साथ फाइल फोटो

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश की सत्ताधारी समाजवादी पार्टी में जारी झगड़े को नया मोड़ देते हुए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपने चाचा शिवपाल यादव और उनके करीबी तीन मंत्रियों को कैबिनेट से बर्खास्त कर दिया. अखिलेश का यह कदम पार्टी में किसी बड़े घटनाक्रम का संकेत है.

मामले से जुड़ी अहम जानकारियां :

  1. पिछले करीब एक महीने के दौरान अखिलेश और शिवपाल के बीच जंग रह-रहकर तेज होती रही है. इस दौरान पार्टी नेतृत्व के स्तर पर ऐसे कई फैसले लिए गए जो अखिलेश को अखरे. शिवपाल की कैबिनेट से दूसरी बार बर्खास्तगी को अखिलेश यादव के जवाब के तौर पर देखा जा रहा है.

  2. इस सारे विवाद की शुरुआत एक तरह से कहा जाए तो बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल के समाजवादी पार्टी में विलय की खबरों से शुरू होती है. अखिलेश के पुरजोर विरोध की वजह से तब यह विलय टल गया था. शिवपाल यादव के मुताबिक, विलय की यह कोशिशें पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव की मंजूरी से हो रही थी.

  3. इसके कुछ दिनों बाद राज्य के तत्कालीन लोक निर्माणमंत्री शिवपाल ने मैनपुरी में कह दिया था कि पार्टी के लोग गरीबों की जमीनों पर कब्जा कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन उनके आदेश के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है. यही हाल रहा तो वो इस्तीफा दे देंगे. शिवपाल यादव ने अखिलेश से मैनपुरी से पार्टी के एक विधायक और एक एमएलसी की शिकायत की. ये दोनों नेता मुलायम के चचेरे भाई रामगोपाल यादव के करीबी माने जाते हैं, जो कि अखिलेश खेमे में हैं.

  4. वहीं करीब हफ्ते भर बाद अखिलेश यादव ने पहले अपने दो मंत्रियों और फिर अगले ही दिन मुख्य सचिव दीपक सिंघल को हटा दिया, जो कि शिवपाल के करीबी माने जाते थे. सिंघल को हटाने की कोई वजह नहीं सामने आई है. हालांकि सपा के कुछ नेताओं का मानना था कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव शायद सिंघल से खुश नहीं थे, क्योंकि वह सपा के राज्यसभा सदस्य अमर सिंह द्वारा दिल्ली में दिए गए डिनर में शामिल हुए थे, जबकि खुद मुख्यमंत्री इस कार्यक्रम में नहीं गए थे.

  5. जाहिर सी बात है राज्य में बड़ा जनाधार रखने वाले शिवपाल को मुख्यमंत्री का कदम अखर गया, हालांकि पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह ने उन्हें मनाने की कोशिशों के तहत उन्हें समाजवादी पार्टी की उत्तर प्रदेश यूनिट का अध्यक्ष बना दिया. इससे पहले यह पद अखिलेश के पास था.

  6. इसके बाद अखिलेश भी शांत नहीं बैठे और उन्होंने अपना चाचा शिवपाल यादव से सारे अहम मंत्रालय- लोक निर्माण (पीडब्ल्यूडी), राजस्व और सिंचाई छीन लिए. शिवपाल के पास तब कम महत्वपूर्ण माने जाने वाले भूमि विकास, जल संसाधन एवं समाज कल्याण विभाग रह गए हैं.

  7. हालांकि फिर सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह बीच-बचाव को आगे आए और उनकी दखल के बाद अखिलेश ने अपने चाचा से छीने मंत्रालयों में पीडब्ल्यूडी छोड़कर बाकी उन्हें लौटा दिया. इसके साथ ही गायत्री प्रजापति की मंत्रिमंडल में वापसी हो गई, जो कि मुलायम और शिवपाल के करीबी माने जाते हैं. तब ऐसा लगा कि यह विवाद खत्म हो गया है, लेकिन कुछ ही दिनों बाद पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव ने रामगोपाल यादव के भांजे और विधान परिषद सदस्य अरविंद प्रताप यादव सहित सीएम अखिलेश यादव के सात करीबियों को पार्टी से निकाला दिया.

  8. इसके बाद शिवपाल ने विधानसभा चुनाव के लिए टिकट बंटवारे में हत्या के आरोपी अमनमणि त्रिपाठी को टिकट दे दिया. इससे मुख्यमंत्री अखिलेश यादव नाखशु नजर आए और कहा कि वह इससे वाकिफ नहीं हैं. वहीं कौमी एकता दल का भी सपा में विलय हो गया, जो कि पिछली बार अखिलेश के विरोध की वजह से रद्द कर दिया गया था. उस वक्त ऐसा माना गया कि इस कदम से अखिलेश यादव को समाजवादी पार्टी में उनकी जगह बता ही दी गई है.

  9. परिवार में जारी इस कलह की वजह से समाजवादी पार्टी अपना चुनाव प्रचार भी शुरू नहीं कर पाई, जिसके बाद अखिलेश यादव ने कहा है कि वह किसी का इंतजार किए बगैर खुद चुनाव प्रचार शुरू करेंगे. पार्टी द्वारा पांच नवंबर को अपनी रजत जयन्ती मनाए जाने की जोरदार तैयारियों के बीच अखिलेश ने तीन नवंबर से अपनी 'समाजवादी विकास रथ यात्रा' शुरू करने का ऐलान कर दिया.

  10. इस बीच पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेता परिवार में जारी झगड़े को सुलझाने को आगे आए और बारी-बारी से मुलायम, शिवपाल और अखिलेश से मुलाकात की, लेकिन इससे कोई खास मदद मिलती नहीं दिखी और आज अखिलेश ने चाचा शिवपाल को दोबारा कैबिनेट से बर्खास्त कर एक तरह से मानो खुली बगावत कर दी है.