बचाव कार्य में जुटे कर्मी
नई दिल्ली:
एनडीआरएफ के कर्मी हादसे के एक दिन बाद 14 दिसंबर से खदान में बचाव कार्यों में जुटे हुए हैं. पहाड़ी के शीर्ष पर स्थित इस खदान में 13 दिसंबर को पानी भर गया था जब पास की लितेन नदी का पानी इसमें घुस गया था जिससे 15 खनिक अंदर ही फंसे रह गए. राहत और बचाव कार्य में कई संस्थाओं ने आगे हाथ बढ़ाया लेकिन समय बीतने के साथ श्रामिकों को बचाने की चुनौती बढ़ती जा रही है.
मेघालय ऑपरेशन से जुड़ी 10 बातें
- रविवार को खदान में भारतीय नौसेना और ओडिशा अग्निशमन के गोताखारों ने उतरने का प्रयास किया लेकिन पानी में प्रवेश करने में कामयाब नहीं हो पाए.
- नौसेना और एनडीआरएफ के गोताखोरों की टीम मेघालय में कोयला खदान में फंसे 15 मजदूरों को निकालने के लिए शनिवार को खदान के भीतर उतरी जहां उन्होंने पानी के लेवल का पता लगाया था.
- एनडीआरएफ के सहयाक कमांडेंट संतोष कुमार सिंह ने बताया कि पूर्वी जयंतिया पर्वतीय जिले की इस तंग खदान में पानी का स्तर 77 से 80 फुट तक ऊंचा होने का अनुमान है. सिंह ने कहा कि नौसेना के गोताखोर और मैं खदान के भीतर गए और प्रांरभिक तैयारी की गई.
- जिला प्रशासन ने बताया कि मानव श्रम और मशीनों से जुड़े तकनीकी कारणों के चलते अभियान को बढ़ाया नहीं जा सका. गोताखोरी के खास उपकरणों से लैस नौसेना की 15 सदस्यों की टीम शनिवार को सुदूर गांव लुमथारी में आपदा स्थल पर पहुंची थी. प्रशासनिक अधिकारियों ने बताया कि ओडिशा अग्निशमन और इमरजेंसी सेवाएं खदान से पानी निकालने के लिए अपने 10 बेहद शक्तिशाली पंप लगाए हैं.
- अधिकारी ने बताया कि धनबाद के इंडियन स्कूल ऑफ माइन्स से विशेषज्ञों की एक टीम भी शनिवार को यहां पहुंची. उनके साथ एक खदान दुर्घटना में कई लोगों की जान बचाने वाले पंजाब से विशेषज्ञ जसवंत सिंह गिल भी यहां पहुंचे हैं जो अभियान में मदद करेंगे.
- प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि 370 फुट गहरे खदान से पानी बाहर निकालने का काम शनिवार तक शुरू हीं हो पाया था क्योंकि पंप का संचालन देख रहे तकनीकी विशेषज्ञ इसकी तैयारी में जुटे हैं.
- शनिवार को एनडीआरएफ की टीम को 3 मजदूरों के हेलमेट मिले थे, लेकिन किसी भी मजदूर का कोई सुराग नहीं मिलने पर अधिकारियों के माथे पर चिंता की लकीरें उभर आई थी.
- बचाव के काम में लगी एजेंसियों के सामने सबसे बड़ी चुनौती है कि उनके पास खदान का मैप नहीं है. इसलिए विशेषज्ञ अंदाजा नहीं लगा पा रहे हैं कि श्रामिक कहां हो सकते हैं.
- इस हादसे में जीवित बचे एक व्यक्ति ने शनिवार को कहा कि फंसे हुए मजदूरों के जिंदा बाहर निकलने की कोई संभावना नहीं है. क्योंकि इतनी देर तक सास रोक पाना संभव नहीं है. उसने बताया कि जब मैं खादान के भीतर था तो मुझे कुछ आवाज सुनाई दी, जोकि अमूमन सुनाई नहीं देती थी. महसूस हुआ कि पानी मेरी तरफ तेजी से आज रहा है. मैंने किसी तरह अपनी जान बचाकर बाहर आ पाया.
- फंसे हुए सात मजदूरों का परिवार पहले ही उनके जिंदा बाहर निकलने की उम्मीद छोड़ चुका है और अंतिम संस्कार के लिए सरकार से उनके शव को बाहर निकालने का आग्रह किया है.