नई दिल्ली:
सरदार सरोवर नर्मदा बांध परियोजना आजादी के बाद से ही एक महत्वकांक्षी योजना रही है, लेकिन कई कारणों से इसका काम बार-बार बाधित होता रहा. रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इसके लोकार्पण के साथ ही यह परियोजना पूरी हो गई. इस परियोजना से गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र को लाभ मिलेगा.
सरदार सरोवर नर्मदा बांध परियोजना के महत्वपूर्ण घटनाक्रम
- 'लौह पुरुष' सरदार वल्लभाई पटेल ने गुजरात में सिंचाई के संकट को देखते हुए नर्मदा पर बांध बनवाने की योजना बनाई थी तथा आजादी के पहले ही 1946 में उन्होंने अंतरिम सरकार में आने के बाद इस परियोजना के लिए अध्ययन करवाया.
- 1959 में बांध के लिए औपचारिक प्रस्ताव बना.5 अप्रैल, 1961 को तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने इसकी आधारशिला रखी.
- राज्यों के बीच विवाद होने पर गुजरात एवं मध्य प्रदेश के बीच नवंबर 1963 में समझौता हुआ तथा सितंबर 1964 में डॉ एएन खोसला ने अपनी रिपोर्ट सौंपी.
- जुलाई 1968 में गुजरात ने अंतर-राज्यीय जल विवाद कानून के तहत पंचाट गठित कराने की मांग की. अक्टूबर, 1969 में नर्मदा जल विवाद पंचाट बना.12 जुलाई, 1974 को गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र एवं गुजरात के बीच बांध को लेकर समझौता हुआ.
- 12 सितंबर, 1979 को पंचाट का अंतिम निर्णय.अप्रैल, 1987 में बांध निर्माण का ठेका दिया गया. 1995 में सुप्रीम कोर्ट ने बांध की ऊंचाई 80.3 मीटर से अधिक करने पर रोक लगाई.1998-99 में बांध को 85 मीटर तक ऊंचा बनाने की अनुमति दी गई.
- सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर, 2000 में परियोजना के चरणबद्ध तरीके से तेजी से निर्माण की अनुमति दी. 2001 में बांध की ऊंचाई 90 मीटर कर दी गई.जून, 2004 तक बांध की ऊंचाई 110.4 मीटर की गई.
- 8 मार्च, 2006 को नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण (एनसीए) ने बांध की उंचाई बढ़ाकर 121.92 मीटर करने की अनुमति दी.
- मार्च, 2008 में बांध से निकलने वाली मुख्य नहर राजस्थान तक पहुंची. 12, जून 2014 को नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण (एनसीए) ने बांध को पूरी ऊंचाई तक बनाने एवं गेट लगाने की अनुमति दी.
- 10 जुलाई, 2017 को बांध के सभी 30 गेट लगाए गए. सुप्रीम कोर्ट ने 8 फरवरी, 2017 को परियोजना से प्रभावित लोगों के पुनर्वास के काम को तीन माह में पूरा करने का निर्देश दिया.
- सितंबर, 2017 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सरदार सरोवर नर्मदा बांध परियोजना का लोकार्पण