पंजाब कांग्रेस प्रमुख कैप्टन अमरिंदर सिंह (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
पंजाब में शनिवार को मतदान होना है. भारत के सबसे अमीर राज्यों में से एक में 117 विधानसभा सीटें हैं, जिसका मतलब है कि यहां सरकार बनाने के लिए किसी पार्टी को 59 सीटों की जरूरत है. यहां सत्तारूढ़ अकाली दल-बीजेपी गठबंधन, अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी या आप और कांग्रेस के बीच मुकाबला है और ऐसा लग रहा है कांग्रेस यहां जीत दर्ज करने जा रही है....
10 खास बातों में जानिए कांग्रेस को कैसे मिल सकती है जीत
- किसके जीतने की ज्यादा संभावना है? 45% कांग्रेस की, आप की 35% और अकाली-बीजेपी गठबंधन की 20%. पंजाब में हाल ही में किए गए अलग-अलग सर्वे में यह संभावित अनुमान सामने आया है.
- हालांकि कैप्टन 74 वर्षीय अमंरिदर सिंह चुनाव प्रचार के लिए कांग्रेस का निर्विवाद चेहरा रहे हैं, लेकिन पार्टी ने पिछले हफ्ते ही सार्वजनिक रूप से उनको मुख्यमंत्री पद का संभावित उम्मीदवार घोषित किया. भीड़ खींचने के लिए जाने जाने वाले पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू भी इस बार पार्टी में शामिल हुए हैं. जो लोग उनकी रैलियों में आ रहे हैं उनका नारा है, 'सिद्धू आ गया, सिद्धू छा गया.'
- सिख मतदाताओं का रुझान अकाली दल की तरफ है जबकि हिंदू कांग्रेस के समर्थन में हैं, लेकिन यह कोई बड़ा विभाजन नहीं है.
- हकीकत में पंजाब में बड़ा फर्क धार्मिक आधार पर नहीं है बल्कि यहां के शहरी और ग्रामीण हिस्सों के बीच है. ज्यादातर ग्रामीण सिख अकालियों की समर्थन करते हैं जबकि शहरी की पसंद कांग्रेस है.
- ग्रामीण पंजाब में 85 विधानसभा सीटें हैं. शहरी क्षेत्रों में 32. वर्ष 2014 के आम चुनावों में कांग्रेस ने 19 शहरी सीटों के बराबर जीत दर्ज की जबकि अकालियों ने 39 ग्रामीण सीटों के बराबर जीत दर्ज की थी.
- जब 2012 में पंजाब के मतदाताओं ने अकाली दल को दोबारा चुना तब आम आदमी पार्टी अस्तित्व में नहीं थी. उसके 2 साल बाद ही राज्य की 13 संसदीय सीटों में से 4 पर उसने जीत दर्ज की जो कि एक अनुभवहीन पार्टी के लिए अप्रत्याशित जीत थी.
- आम आदमी पार्टी के लिए पंजाब में बड़े पैमाने पर प्रचार करने वाले अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में आज 'आप' ने अकाली और कांग्रेस दोनों के ही वोट बैंक में लगभग समान रूप से सेंध लगाई है.
- कैडर द्वारा संचालित 'आप' की लोकप्रियता सिख बहुलता वाले और ग्रामीण इलाकों में बहुत तेजी से बढ़ी है.
- 'आप' के समर्थन विशेष रूप से पूर्वी मालवा इलाके में केंद्रित हैं जहां से 36 विधायक चुने जाते हैं. तीन अन्य क्षेत्रों में से प्रत्येक से 27 सदस्य आते हैं.
- प्रत्येक 100 वोट जो 'आप' को मिलते हैं, उनमें से 35 कांग्रेस से, 45 अकाली दल से और 20 मायावती की बीएसपी व अन्य पार्टियों से हैं.