
- कर्नाटक में कई कांग्रेस विधायक उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनाने की मांग कर रहे हैं.
- डीके शिवकुमार खेमे में करीब 100 विधायक बताए जा रहे हैं.
- ऐसी अटकले हैं कि डीके शिवकुमार दशहरा तक मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाल सकते हैं.
- मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को अपने पद पर बने रहने का है.
कर्नाटक में कांग्रेस का संकट बढ़ता ही जा रहा है. कांग्रेस विधायकों की अंदरूनी कलह अब खुलकर सामने आ गई है. वहां ऐसी अटकलें हैं कि दशहरा तक मुख्यमंत्री की कुर्सी उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार को सौंपी जा सकती है. हालांकि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया अपनी सरकार का चट्टान की तरह अखंड बता रहे हैं. वो शिवकुमार के साथ किसी भी तरह के मतभेद से इनकार कर रहे हैं. इस बीच कर्नाटक कांग्रेस के प्रभारी रणदीप सुरजेवाला विधायकों का मन टटोलने के लिए बेंगलुरू पहुंच गए हैं. उम्मीद की जा रही है कि सुरजेवाला की रपट पर कांग्रेस आलाकमान कोई फैसला ले, जिसकी बात मल्लिकार्जुन खरगे कर रहे हैं.
कर्नाटक में कांग्रेस का संकट
इस समय देश के तीन राज्यों में कांग्रेस की सरकार है. इससे पहले हिमाचल प्रदेश में नेतृत्व का संकट आया था, जिसे आलाकमान ने सुलझा लिया था. लेकिन कर्नाटक में कांग्रेस सरकार उसी समय संकट में आ गई थी, जब यह बनी थी. दरअसल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार कैंप का दावा था कि उनकी मेहनत और चुनावी रणनीति की वजह से प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी है. शिवकुमार का खेमा मुख्यमंत्री पद की मांग कर रहा था. लेकिन आलाकमान ने सिद्धारमैया की लोकप्रियता और उनके नाम पर अहिंदा (दलित, मुसलमान और ओबीसी) मतदाताओं की एकजुटता को देखते हुए उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठाया. वहीं चुनाव परिणाम आने के बाद शिवकुमार ने कहा था कि हाईकमान अगर ढाई-ढाई साल के लिए सीएम पद के बंटवारे के फार्मूले पर विचार करेगा तो भी वो इसके लिए भी तैयार नहीं होंगे. लेकिन हाईकमान ने उन्हें उपमुख्यमंत्री बनाने के लिए राजी कर लिया था. उस समय शिवकुमार ने यह नहीं बताया था कि वो सिद्धारमैया को मुख्यमंत्री बनाने के लिए किस फार्मूले पर सहमत हुए हैं. उन्होंने पार्टी अनुशासन का हवाला दिया था.

कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष डीके शिवकुमार बहुत मुश्किल से उपमुख्यमंत्री पद के लिए राजी हुए थे.
कर्नाटक चुनाव के समय लोकनीति नेटवर्क और सीएसडीएस के एक सर्वे में मुख्यमंत्री पद के लिए 39 फीसदी लोगों ने सिद्धारमैया को पसंद किया था. वहीं इस सर्वे में केवल चार फीसदी लोग ही शिवकुमार को सीएम की कुर्सी पर देखना चाहते थे.
मुख्यमंत्री पद का बंटवारा
शिवकुमार खेमे का दावा है कि आलाकमान ने ढाई-ढाई साल के लिए दोनों नेताओं को मुख्यमंत्री बनाने की बात कही थी. इसके मुताबिक सिद्धारमैया अक्तूबर 2025 तक मुख्यमंत्री पद पर रहेंगे. लेकिन सिद्धारमैया खेमा ऐसे किसी फार्मूले से इनकार करता है. उसका कहना है कि सिद्धारमैया को पांच साल के लिए मुख्यमंत्री बनाया गया है.

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा है कि कर्नाटक में नेतृत्व पर फैसला पार्टी आलाकमान लेगा.
कर्नाटक कांग्रेस की दरारें सोमवार को उस समय और उभर कर सामने आईं, जब रविवार को कांग्रेस विधायक एचए इकबाल हुसैन ने दावा किया कि शिवकुमार को अगले दो-तीन महीनों में मुख्यमंत्री बनने का मौका मिल सकता है. उन्होंने कहा,''आप सभी जानते हैं कि इस सरकार के सत्ता में आने से पहले कांग्रेस की ताकत क्या थी. हर कोई जानता है कि इस जीत को हासिल करने के लिए किसने संघर्ष, पसीना, प्रयास और रुचि दिखाई.सितंबर के बाद क्रांतिकारी राजनीतिक घटनाक्रम के लिए कुछ नेता जिस तारीख का संकेत दे रहे हैं– वे उसी के बारे में बात कर रहे हैं. दो से तीन महीने में फैसला हो जाएगा.'' इससे पहले इस साल दो मार्च को कांग्रेस विधायक बसवराजू वी शिवगंगा ने दावा किया था कि डीके शिवकुमार आने वाले दिसंबर में मुख्यमंत्री बनेंगे.
इकबाल हुसैन ने दावा किया कि 100 से ज़्यादा विधायक बदलाव के पक्ष में हैं. उनमें से कई इस पल का इंतजार कर रहे हैं. वे सुशासन चाहते हैं और मानते हैं कि डीके शिवकुमार को एक मौका मिलना चाहिए. उन्होंने पार्टी के लिए अथक काम किया है. संगठन को मजबूत करने में शिवकुमार ने अहम भूमिका निभाई है.
कौन है कांग्रेस आलाकमान
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बयान ने भी इन अटकलों को बल दिया है. उन्होंने सोमवार को कहा,''यह फैसला हाईकमान के हाथ में है. किसी को नहीं पता कि हाईकमान के दिमाग में क्या चल रहा है. लेकिन बिना वजह कोई विवाद नहीं खड़ा किया जाना चाहिए.'' सिद्धारमैया और शिवकुमार खेमे की लड़ाई का असर 2024 के लोकसभा चुनाव में भी नजर आया, जब कांग्रेस उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर पाई.

विधायकों का मन टटोलन के लिए प्रदेश प्रभारी रणदीप सुरजेवाला कर्नाटक पहुंच गए हैं.
कांग्रेस आलाकमान की चिंता इस विधायकों की नाराजगी को दूर करना है. अगर विधायकों की नाराजगी दूर नहीं हुई तो उसका असर संगठन और सरकार दोनों पर पड़ सकता है.इसलिए कर्नाटक में पैदा हुए नेतृत्व संकट को संभालने के लिए प्रदेश प्रभारी रणदीप सुरजेवाला बेंगलुरु पहुंच गए हैं. वो विधायकों से एक-एक कर मिलेंगे और उनका फीडबैक लेंगे. सुरजेवाला हालांकि इसे रूटीन संगठनात्मक पहल बता रहे हैं, लेकिन वर्तमान संकट को देखते हुए उनका दौरा महत्वपूर्ण हो जाता है. उम्मीद की जा रही है कि विधायकों के फीडबैक के आधार पर ही पार्टी आलाकमान नेतृत्व परिवर्तन पर फैसला ले. अगर मुख्यमंत्री पद पर बदलाव होता है तो कांग्रेस को अपना प्रदेश अध्यक्ष भी बदलना पड़ेगा. ऐसे में प्रदेश अध्यक्ष पर डीके शिवकुमार के विकल्प की भी तलाश करनी होगी. इसलिए सुरजेवाला का यह दौरा काफी महत्वपूर्ण हो जाता है. कांग्रेस अगर कर्नाटक संकट का समाधान नहीं कर पाती है, तो उसकी मुश्किलें और बढ़ेंगी, जो उसके पास पहले से ही बहुत हैं.
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