विज्ञापन
This Article is From Jun 04, 2020

Vat Purnima Vrat 2020: 5 जून को है वट पूर्णिमा व्रत, यहां जानें शुभ मुहुर्त और पूजा विधि

Purnima June 2020: 'स्कंद' और 'भविष्योत्तर' पुराण' के मुताबिक वट सावित्री का व्रत हिन्‍दू कैलेंडर की ज्येष्ठ शुक्ल पूर्णिमा तिथि पर करने का विधान है.

Vat Purnima Vrat 2020: 5 जून को है वट पूर्णिमा व्रत, यहां जानें शुभ मुहुर्त और पूजा विधि
Vat Purnima Vrat 2020: 5 जून को है वट पूर्णिमा
नई दिल्ली:

वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Vrat) या फिर वट पूर्णिमा (Vat Purnima 2020) का व्रत हिंदू धर्म की स्‍त्रियों के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है. माना जाता है कि इस व्रत को रखने से पति पर आए संकट दूर हो जाते हैं और उन्हें लंबी आयु प्राप्त होती है. इतना ही नहीं यदि दांपत्य जीवन में कोई परेशानी चल रही हो तो वो भी इस व्रत को रखने मात्र से दूर हो जाती है. सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुखद वैवाहिक जीवन की कामना करते हुए वट यानी कि बरगद के पेड़ के नीचे पूजा-अर्चना करती हैं. वट पूर्णिमा पर सावित्री (Savitri) और सत्यवान (Satyavan) की कथा सुनने का विधान है. 

वट सावित्री व्रत कब है 
'स्कंद' और 'भविष्योत्तर' पुराण' के मुताबिक वट सावित्री का व्रत हिन्‍दू कैलेंडर की ज्येष्ठ शुक्ल पूर्णिमा तिथि पर करने का विधान है. वहीं, 'निर्णयामृत' इत्यादि ग्रंथों के अनुसार वट सावित्री व्रत पूजा ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की अमावस्या पर की जाती है. उत्तर भारत में यह व्रत ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या को रखा जाता है. ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार यह व्रत हर साल मई या जून महीने में आता है. इस बार वट पूर्णिमा 5 जून को है. 

वट सावित्री व्रत की तिथि और शुभ मुहूर्त 
अमावस्‍या तिथि प्रारंभ: 05 जून 2020 को सुबह 03 बजकर 15 मिनट से 
अमावस्‍या तिथि समाप्‍त: 06 जून 2020 को सुबह 12 बजकर 41 मिनट तक 

वट सावित्री पूजन सामग्री 
सत्यवान-सावित्री की प्रतिमा, धूप, मिट्टी का दीपक, घी, फूल, फल, 24 पूरियां, 24 बरगद फल (आटे या गुड़ के) बांस का पंखा, लाल धागा, कपड़ा, सिंदूर, जल से भरा हुआ पात्र और रोली. 

वट पूर्णिमा व्रत विधि 
- महिलाएं सुबह उठकर स्‍नान कर नए वस्‍त्र पहनें और सोलह श्रृंगार करें. 
- अब निर्जला व्रत का संकल्‍प लें और घर के मंदिर में पूजा करें. 
- अब 24 बरगद फल (आटे या गुड़ के) और 24 पूरियां अपने आंचल में रखकर वट वृक्ष के पूजा के लिए जाएं. 
- अब 12 पूरियां और 12 बरगद फल वट वृक्ष पर चढ़ा दें. 
- इसके बाद वट वृक्ष पर एक लोटा जल चढ़ाएं. 
- फिर वट वक्ष को हल्‍दी, रोली और अक्षत लगाएं. 
- अब फल और मिठाई अर्पित करें. 
- इसके बाद धूप-दीप से पूजा करें. 
- अब वट वृक्ष में कच्‍चे सूत को लपटते हुए 12 बार परिक्रमा करें. 
- हर परिक्रमा पर एक भीगा हुआ चना चढ़ाते जाएं. 
- परिक्रमा पूरी होने के बाद सत्‍यवान और सावित्री की कथा सुनें. 
- 12 कच्‍चे धागे वाली एक माला वृक्ष पर चढ़ाएं और दूसरी खुद पहन लें. 
- अब 6 बार माला को वृक्ष से बदलें और अंत में एक माला वृक्ष को चढ़ाएं और एक अपने गले में पहन लें. 
- पूजा खत्‍म होने के बाद घर आकर पति को बांस का पंख झलें और उन्‍हें पानी पिलाएं.
- आखिर में 11 चने और वट वृक्ष की लाल रंग की कली को पानी से निगलकर अपना व्रत तोड़ें. 

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com