रामभक्तों के लिए रामेश्वरम (Rameswaram) तक एक खास पुल तैयार किया जा रहा है, जिससे रामेश्वर तक रामभक्त जल्द पहुंच सकेंगे. यह देश का पहला वर्टिकल पुल होगा, जो पानी के जहाज के आने जाने के लिए खुल सकता है. पम्बन ब्रिज का काम पहले सुस्त था, लेकिन अब दो साल के भीतर इसे पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं. इस ब्रिज के बन जाने से रामभक्तों को रामेश्वरम तक पहुंचने में ज़्यादा सहूलियत होगी. पम्बन का नया ब्रिज क़रीब 2 किलोमीटर (2.05 किलोमीटर) लंबा होगा.
यह पुल मंडपम् से समुद्र के बीच मौजूद रामेश्वरम के बीच बनाया जा रहा है. मंडपम् भारतीय प्रायद्वीप में ज़मीनी सीमा में रेलवे का अंतिम स्टेशन है, जबकि रामेश्वरम मन्नार की खाड़ी में मौजूद है. इस पुल के बन जाने से यहां ट्रेनों को ज़्यादा स्पीड से चलाया जा सकेगा. साथ ही इससे मालगाड़ियों की भी क्षमता बढ़ जाएगी. सबसे खास बात यह है कि नए पुल से एक बार में बड़ी संख्या में श्रद्धालु रामेश्वरम् तक जा सकेंगे. बता दें कि पम्बन ब्रिज का निर्माण करीब 250 करोड़ रुपये की लागत से हो रहा है. इसके लिए आधारशिला मार्च 2019 में रखी गई थी.
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लेकिन कोरोना और लॉकडाउन की वजह से ब्रिज बनाने का काम भी प्रभावित हुआ है. पम्बन ब्रिज बनाने की ज़िम्मेदारी रेल विकास निगम लिमिटेड को दी गई है. पम्बन में नए पुल के अलावा रेलवे की योजना रामेश्वरम् से धनुषकोडी तक एक बार फिर से रेल लाइन बनाने की है. यह रेल लाइन 18 किलोमीटर लंबी होगी. धनुषकोडी में ही रामसेतु ( एडम्स ब्रिज) का एक छोर मौजूद है. 1964 में आए साइक्लोन में यह रेल लाइन पूरी तरह तबाह हो गई थी. उस वक्त एक ट्रेन इसकी चपेट में भी आ गई थी जिसमें सवार सभी लोग मारे गए थे.
धनुषकोडी का अपना धार्मिक महत्व है. माना जाता है कि भगवान राम ने विभीषण को इसी जगह पर शरण दी थी. लंका विजय के बाद राम ने यहीं पर धनुष का एक शिरा तोड़ दिया था, जिससे इसका नाम धनुषकोडी पड़ा. श्रीलंका की सीमा से महज 20 किलोमीटर दूर बन रहे इस पुल के निर्माण से यहां धार्मिक पर्यटन को खासा बढ़ावा मिलेगा.
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