‘गुरु गोविंद सिंह प्रकाशोत्सव’ में लंगर का अद्भुत नजारा, 'परसादा' में दिए जा रहे हैं पिज्जा और बर्गर भी

‘गुरु गोविंद सिंह प्रकाशोत्सव’ में लंगर का अद्भुत नजारा, 'परसादा' में दिए जा रहे हैं पिज्जा और बर्गर भी

हरमंदिर साहिब, पटना (फाइल फोटो)

पटना:

गुरु गोविंद सिंह के 350वें प्रकाशोत्सव के रंग में रंगे बिहार की राजधानी में इस उत्सव को लेकर अलग-अलग रंग देखने को मिल रहे हैं. पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में अस्थायी गुरु दरबार में चल रहे लंगर में अद्भुत नजारा देखने को मिल रहा है.
 
इस लंगर में प्रतिदिन लाखों लोग 'परसादा' छक रहे हैं. इस लंगर में रोजाना तीन लाख रोटियां विभिन्न सेवदार महिलाओं द्वारा बनाई जा रही हैं, तो लंगर में पंगत के लोगों को पिज्जा भी छकने को मिल रहा है. हाथों में रोटी की टोकनी, चावल, दाल लिए 'परसादा वाहेगुरु दा' की पुकार लगाते सेवादार आने वाले श्रद्धालुओं के लिए सेवादारी कर रहे हैं.
 
देश-विदेश के लाखों श्रद्धालु गुरु गोविंद सिंह की जन्मस्थली पटना पहुंचे हैं. आने वाले लोगों को रहने के लिए गांधी मैदान सहित तीन स्थानों पर टेंट सिटी बनाई गई है. आने वाले लोगों को प्रकाशोत्सव को लेकर की गई तैयारी भी खूब रास आ रही है.
 
गांधी मैदान में लंगर के लिए तीन हॉल बनाए गए हैं. लंगर में रोटी बनाने के लिए तीन हजार महिलाएं सेवादार के रूप में लगातार लगी हैं. बुधवार को लंगर में आए श्रद्धालुओं को पिज्जा दिया गया.
 
पिछले 40 वर्षो से लंगरों में सेवा दे रहे हरियाणा के कुरुक्षेत्र से आए संत बाबा मान सिंह ने आईएएनएस को बताया कि सोमवार से सभी तीनों लंगर प्रारंभ कर दिए गए हैं. उन्होंने बताया कि बुधवार सुबह लंगर की पंगत में बैठे लोगों को पिज्जा और बर्गर परोसा गया.
 
बाबा मान सिंह ने कहा, "तीन मशीनों की व्यवस्था की गई है, जिनसे पिज्जा बनाई जा रही है. एक-एक मशीन में कम से कम 10 पिज्जा तैयार होते हैं. 10,000 पीस पिज्जा बनाया जाएगा. इन्हें काटकर 40 हजार पीस बनाकर श्रद्धालुओं को दिए जा रहे हैं. एक अनुमान के अनुसार, लगभग एक लाख लोगों के लिए पिज्जा की व्यवस्था की गई है."
 
इधर, एक अन्य लंगर में महिला सेवादार आटा गूंथने से लेकर रोटी तैयार करने में लगी हैं. ये महिलाएं लगातार रोटी तैयार कर रही हैं. इस लंगर में समूह के रूप में सेवादार महिलाएं आटा गूंथ रही हैं, तो कई रोटियों को आकर देने में लगी हैं, जबकि कुछ सेवादार रोटियां सेंकने में जुटी हुई हैं. एक अनुमान के मुताबिक, प्रतिदिन करीब तीन लाख रोटियां यहां बन रही हैं.
 
लंगर में सेवा दे रहीं अमृतसर से आई बुजुर्ग महिला सुखविंदर कौर कहती है, "हम सुबह से रोटी बनाने बैठते हैं. बैठने का समय तो होता है, परंतु उठने का समय नहीं होता. वाहे गुरु की सेवा में कोई कमी नहीं रहे. सब वाहे गुरु की कृपा है."
 
एक अन्य महिला परमजीत कौर बताती हैं कि यहां कई महिलाएं 14 से 15 घंटे तक सेवा दे रही हैं, परंतु उनके उत्साह में कोई कमी नहीं है. जब तक लंगर चलता है, महिलाएं इसमें लगी रहती हैं. वे बताती हैं कि गेहूं और मक्के की प्रतिदिन करीब तीन लाख रोटियां बनाई जा रही हैं.
 
आने वाले श्रद्धालु भी लंगर में सेवा देकर खुद को सौभाग्यशाली समझ रहे हैं. लंगर में सेवा देने वालों में कई बड़े व्यवसायी हैं, तो कई एनआरआई सिख श्रद्धालु भी शामिल हैं. उनका कहना है कि धर्म से बड़ा कोई काम नहीं, इसलिए ऐसा करते हैं.
 
उल्लेखनीय है कि लंगर में परसादा पाने वालों की भी लंबी कतार लग रही है. गुरु दरबार के दर्शन के लिए आए लोग लंगर की पंगत में बैठकर खुद को धन्य समझ रहे हैं.

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)


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