विज्ञापन
This Article is From May 01, 2018

Narad Jayanti 2018: जब पिता ब्रह्मा ने नारद को दिया जीवन भर कुंवारा रहने का श्राप

नारद जयंती का बड़ा महत्‍व है. हिन्‍दू मान्‍यताओं के अनुसार नारद मुनि का जन्‍म सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी की गोद से हुआ था. कहा जाता है कि कठिन तपस्या के बाद नारद को ब्रह्मर्षि का पद प्राप्त हुआ था.

Narad Jayanti 2018: जब पिता ब्रह्मा ने नारद को दिया जीवन भर कुंवारा रहने का श्राप
नारद जयंती: नारद मुनि को ब्रह्मा जी का मानस पुत्र माना जाता है
नई द‍िल्‍ली: हर साल ज्‍येष्‍ठ महीने की कृष्‍ण पक्ष द्व‍ितीया को नारद जयंती मनाई जाती है. हिन्‍दू शास्‍त्रों के अनुसार नारद को ब्रह्मा के सात मानस पुत्रों में से एक माना गया है. नारद को देवताओं का ऋष‍ि माना जाता है. इसी वजह से उन्‍हें देवर्षि भी कहा जाता है. मान्‍यता है कि नारद तीनों लोकों में विचरण करते रहते हैं.  इस बार नारद जयंती 1 मई को मनाई जा रही है.

अब गुजरात के सीएम विजय रूपाणी ने Google से की नारद मुनि की तुलना

कौन हैं नारद मुनि? 
हिन्‍दू मान्‍यताओं के अनुसार नारद मुनि का जन्‍म सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी की गोद से हुआ था. कहा जाता है कि कठिन तपस्या के बाद नारद को ब्रह्मर्षि का पद प्राप्त हुआ था. नारद बहुत ज्ञानी थे और इसी वजह से राक्षस हो या देवी-देवता सभी उनका बेहद आदर और सत्‍कार करते थे. देवर्षि नारद को महर्षि व्यास, महर्षि बाल्मीकि और महाज्ञानी शुकदेव का गुरु माना जाता है. कहते हैं कि नारद मुनि के श्राप के कारण ही भगवान राम को देवी सीता से वियोग सहना पड़ा था. 

जब नारद मुनि को मिला श्राप 
शास्त्रों के अनुसार ब्रह्रााजी ने नारद जी से सृष्टि के कामों में हिस्सा लेने और विवाह करने के लिए कहा लेकिन उन्होंने अपने पिता की आज्ञा का पालन करने से मना कर दिया. तब क्रोध में बह्रााजी ने देवर्षि नारद को आजीवन अविवाहित रहने का श्राप दे दिया. पुराणों में ऐसा भी लिखा गया है कि राजा प्रजापति दक्ष ने नारद को श्राप दिया था कि वह दो मिनट से ज्यादा कहीं रुक नहीं पाएंगे. यही वजह है कि नारद अक्सर यात्रा करते रहते थे. 

विष्‍णु के भक्‍त हैं नारद मुनि 
मान्‍यता है कि देवर्षि नारद भगवान विष्‍णु के परम भक्‍त हैं. श्री हरि विष्‍णु को भी नारद अत्‍यंत प्रिय हैं. नारद हमेशा अपनी वीणा की मधुर तान से विष्‍णु जी का गुणगान करते रहते हैं. वे अपने मुख से हमेशा नारायण-नारायण का जप करते हुए विचरण करते रहते हैं. यही नहीं माना जाता है कि नारद अपने आराध्‍य विष्‍णु के भक्‍तों की मदद भी करते हैं. मान्‍यता है कि नारद ने ही भक्त प्रह्लाद, भक्त अम्बरीष और ध्रुव जैसे भक्तों को उपदेश देकर भक्तिमार्ग में प्रवृत्त किया.

परम ज्ञानी हैं नारद 
देवर्षि नारद को श्रुति-स्मृति, इतिहास, पुराण, व्याकरण, वेदांग, संगीत, खगोल-भूगोल, ज्योतिष और योग जैसे कई शास्‍त्रों का प्रकांड विद्वान माना जाता है. देविर्षि नारद के सभी उपदेशों का निचोड़ है- सर्वदा सर्वभावेन निश्चिन्तितै: भगवानेव भजनीय:। अर्थात् सर्वदा सर्वभाव से निश्चित होकर केवल भगवान का ही ध्यान करना चाहिए.

नारद जयंती के दिन कैसे करें पूजा 
नारद जयंती के दिन भगवान विष्‍णु और माता लक्ष्‍मी का पूजन करें. इसके बाद नारद मुनि की भी पूजा करें. गीता और दुर्गासप्‍तशती का पाठ करें. इस दिन भगवान विष्णु के मंदिर में भगवान श्री कृष्ण को बांसुरी भेट करें. अन्‍न और वस्‍त्र का दान करें. इस दिन कई भक्‍त लोगों को ठंडा पानी भी पिलाते हैं.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
डार्क मोड/लाइट मोड पर जाएं
Previous Article
Pitru Paksha 2024: पितृ पक्ष में पितरों को अर्पित किया जाता है जल, जानिए जल अर्पित करने की सही विधि
Narad Jayanti 2018: जब पिता ब्रह्मा ने नारद को दिया जीवन भर कुंवारा रहने का श्राप
कब है सावन के आखिरी सोमवार का व्रत, और क्यों आखिरी सोमवार का उद्यापन करना है जरूरी
Next Article
कब है सावन के आखिरी सोमवार का व्रत, और क्यों आखिरी सोमवार का उद्यापन करना है जरूरी
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com