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This Article is From Nov 25, 2022

Mokshada Ekadashi 2022: मोक्षदा एकादशी पर भूल से भी ना करें ये गलतियां, मान्यता है फिर नहीं मिलता है व्रत का पूरा फल !

Mokshada Ekadashi 2022: मोक्षदा एकादशी का व्रत इस साल 03 दिसंबर को रखा जाएगा. वहीं इस व्रत का पारण 4 दिसंबर, रविवार को किया जाएगा. आइए जानते हैं मोक्षदा एकादशी की कथा और व्रत-नियम.

Mokshada Ekadashi 2022: मोक्षदा एकादशी पर भूल से भी ना करें ये गलतियां, मान्यता है फिर नहीं मिलता है व्रत का पूरा फल !
Mokshada Ekadashi 2022: मोक्षदा एकादशी व्रत में ये कार्य नहीं किए जाते हैं.

Mokshada Ekadashi 2022, Date, Time, Muhurat: मार्गशीर्ष यानी अगहन शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोक्षदा एकादशी के तौर पर जाना जाता है. इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा-अर्चना करने का विधान है. धार्मिक मान्यता के अनुसार मोक्षदा एकादशी व्रत के शुभ प्रभाव से व्रती को मोक्ष की प्राप्ति होती है. इसलिए इस एकादशी को मोक्षदा एकादशी कहा जाता है. पुराणों के अनुसार, इस एकादशी के व्रत से व्यक्ति जन्म-जन्मांतर के बंधनों से मुक्त हो जाता है. यही वजह है कि इस एकादशी को अन्य एकादशी की तुलना में अधिक महत्व दिया जाता है. साल 2022 में अगहन यानी मार्गशीर्ष मास की एकादशी 03 दिसंबर, शनिवार को है. आइए जानते हैं कि मोक्षदा एकादशी व्रत के दौरान क्या नहीं करना चाहिए.

कब है मोक्षदा एकादशी 2022

हिंदू पंचांग के अनुसार, साल 2022 में मोक्षदा एकादशी का व्रत 03 दिसंबर, शनिवार को रखा जाएगा. वहीं एकादशी व्रत पारण 04 दिसंबर, रविवार को किया जाएगा. बता दें कि दृक पंचांग के मुताबिक एकादशी तिथि की शुरुआत 3 दिसंबर को सुबह 5 बजकर 39 मिनट से शुरू हो रही है, जबकि एकादशी तिथि की समाप्ति 4 दिसंबर को सुबह 5 बजकर 34 मिनट पर होगी. ऐसे में उदया तिथि के मुताबिक मोक्षदा एकादशी का व्रत 3 दिसंबर, शनिवार को ही रखना उचित और अच्छा रहेगा. इसके अलावा मोक्षदा एकादशी व्रत के पारण के लिए 4 दिसंबर को दोपहर 1 बजकर 14 मिनट से 3 बजकर 19 मिनट तक का समय शुभ है. ध्यान रहे कि हरिवासर के दौरान एकादशी व्रत का पारण नहीं किया जाता है. पारण तिथि के दिन हरि वासर समय खत्म होने का समय सुबह 11 बजकर 40 मिनट है.

मोक्षदा एकादशी व्रत के दौरान क्या ना करें

- एकादशी व्रत नियम के मुताबिक मोक्षदा एकादशी का व्रत रखने से एक दिन पहले यानी दशमी तिथि से ही प्याज, लहसुन, मसूर की दाल, बैंगन, जौ इत्यादि का सेवन नहीं करना चाहिए. व्रत के पारण तक इस नियम का पालन करना अनिवार्य होता है. 


- शास्त्रीय मान्यता के अनुसार, किसी व्रत के दौरान मन, कर्म और वचन की शुद्धता का पूरा ख्याल रखा जाता है. ऐसे में व्रत के दौरान किसी को भी ऐसी बातें नहीं कहनी चाहिए जिससे कि उसे किसी प्रकार का नुकसान पहुंचे. मोक्षदा एकादशी व्रत में इस बात का खास ख्याल रखा जाता है. 

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- एकादशी व्रत से एक दिन पहले से ही यानी दशमी तिथि से ही तामसिक भोजन से परहेज करें. इसके साथ ही इस दौरान नशीली पदार्थों का सेवन करने से भी बचें. अन्यथा व्रत का फल प्राप्त नहीं होता है. 

- एकादशी व्रत की मान्यता के अनुसार, मोक्षदा एकादशी व्रत के दिन बाल, दाढ़ी और नाखून काटने से बचना चाहिए और इस दिन झाड़ू का भी इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. 

- मोक्षदा एकादशी व्रत-नियम के मुताबिक इस दिन किसी दूसरे व्यक्ति से प्राप्त अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए. 

- मोक्षदा एकादशी के दिन फूल, पत्ते आदि नहीं तोड़ने चाहिए. ऐसी स्थिति में फूल और तुलसी के पत्तों को पहले ही तोड़कर रख लें. एकादशी के दिन तुलसी का पत्ता तोड़ना भी निषेध माना गया है. 

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मोक्षदा एकादशी की व्रत कथा | Mokshda Ekadashi 2022 Vrat Katha


पुराणों में वर्णित कथा के अनुसार, किसी समय में गोकुल धाम में वैखानस नाम का राजा रहता था. एक रात उन्होंने सपने में अपने पिता को मृत्यु के बाद नरक की यातनाएं झेलते हुए देखा. अपने पिता की ऐसी हालत देखकर राजा बहुत दुखी था. जिसके बाद अगले दिन उसने राज पुरोहित को बुलाया और अपने पिता की मुक्ति का उपाय पूछा. इस पर पुरोहित ने कहा कि समस्या का समाधान त्रिकालदर्शी महात्मा जिनका नाम पर्वत है वही कर सकते हैं. इसके बाद राजा पर्वत महात्मा के आश्रम गए. वहां राजा ने पर्वत महात्मा से अपने पिता की मुक्ति का मार्ग पूछा. इस पर महात्मा ने कहा कि उनके पिता ने पिछले जन्म में एक पाप किया था. इस कारण वे नर्क की यातनाएं भोग रहे हैं. इसके बाद राजा ने इस पाप से मुक्ति का रास्ता पूछा. इस पर महात्मा ने मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोक्षदा एकादशी का विधि पूर्वक व्रत और पूजन करने को कहा. साथ ही कहा कि इस व्रत से आपके पिता को मुक्ति मिलेगी. इसके बाद राजा ने मोक्षदा एकादशी का व्रत और पूजन किया. इस व्रत और पूजन के पुण्य प्रभाव से राजा के पिता को मुक्ति मिली और मुक्त आत्मा ने राजा को आशीर्वाद दिया. मोक्षदा एकादशी व्रत कथा का पाठ करना शुभ माना गया है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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