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This Article is From Jan 14, 2022

Magh Bihu 2022: आज धूमधाम से मनाया जा रहा है बिहू का पर्व

असम में तीन दिन तक बिहू का पर्व मनाया जाता है. इसे माघ महीने में माघ बिहू, वैशाख में बोहाग बिहू और कार्तिक में काटी बिहू के रूप से मनाया जाता है. आइए आपको बताते हैं असम में किस तरह मनाया जाता है ये पर्व.

Magh Bihu 2022: आज धूमधाम से मनाया जा रहा है बिहू का पर्व
Magh Bihu 2022: जानें किस तरह मनाया जाता है माघ बिहू यह त्योहार
नई दिल्ली:

कहते हैं सूर्य देव (Surya Dev) वर्षभर सभी राशियों में भ्रमण करते हैं. इसी तरह सूर्य देव (Lord Surya) का एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करना संक्रांति कहलाता है और जब सूर्य देव धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तो इसे मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है. आज देशभर में मकर संक्रांति (Makar Sankranti) कापर्व बेहद धूमधाम से मानाया जा रहा है. असम में इसे बीहू (Bihu In Asam), दक्षिण भारत में इसे पोंगल (Pongal In South India) और गुजरात व महाराष्ट्र में इसे उत्तरायणी पर्व (Utrayani Festival) के नाम से मनाया जा रहा है. इस साल मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2022) का पर्व 14 जनवरी यानि आज (शुक्रवार) मनाया जा रहा है. असम में तीन दिन तक बिहू का पर्व मनाया जाता है. इसे माघ महीने में माघ बिहू, वैशाख में बोहाग बिहू और कार्तिक में काटी बिहू के रूप से मनाया जाता है. आइए आपको बताते हैं असम में किस तरह मनाया जाता है ये पर्व.

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कैसे मनाया जाता है माघ बिहू

जिस प्रकार सूर्य देव के उत्तरायण होने पर उत्तर भारत में लोहड़ी, दक्षिण में पोंगल मनाया जाता है उसी उत्तर पूर्वी राज्य असम में माघ बिहू मनाया जाता है. दक्षिण भारत की तरह ही असम में भी माघ बिहू (Magh Bihu 2022) या भूगाली बिहू फसल पकने और तैयार होने की खुशी में मनाया जा रहा है. बताया जाता है कि माघ बिहू की शुरुआत लोहड़ी के दिन होती है, इसे उरुका भी कहते हैं. माघ बिहू के दिन किसान परिवार के लोग ब्राई शिबराई का विधि-विधान से पूजन करते हैं. इस दिन किसान अपनी मेहनत से उगाई पहली फसल को ब्राई शिबराई को अर्पित करते हैं. इस दिन लोग पारंपरिक धोती, गमोसा और अन्य रंगीन कपड़े पहन कर टोली बनाकर डांस करते हैं. बिहू पर्व के दिन असम के लोग खार, आलू पितिका, जाक, मसोर टेंगा आदि खाते हैं.

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असम में धूमधाम से मनाया जाता है बिहू

आज के दिन कई राज्यों में लोग पवित्र नदियों और सरोवरों में आस्था की डुबकी लगाई जाती है. इस स्थल पर उरुका की रात्रि को भोज का आयोजन किया जाता है. इसमें सात्विक भोजन बनाते है. इस भोजन को सबसे पहले भगवान को भोग लगाया जाता है. भेलाघर यानी पुआल की छावनी के समीप बांस और पुआल की मदद से झोपड़ियों का निर्माण किया जाता है. इस गुंबद या झोपड़ी को मेजी कहा जाता है. माघ बिहू (मकर संक्रांति) के दिन लोग स्नान के बाद नए कपड़े पहनते हैं और मेजी में आग लगाते हैं. सभी लोग मेजी के चारों ओर इच्छा अनुसार खाद्य सामग्री डालते हैं. इस अवसर लोग-नाचते गाते हैं. आखिर में भगवान शुभ और मंगल की कामना करते हैं. मेजी की राख को अगले दिन खेतों छिड़का जाता है, इसके पीछे मान्यता है कि ऐसा करने से खेतों की उर्वरा शक्ति का विकास होता है.

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साल में 3 बार मनाया जाता है बिहू

आपको बता दें कि माघ बिहू के साथ ही असम में बोहाग बिहू और कोंगाली बिहू भी मनाया जाता है. बोहराग बिहरू को बैसाख माह में मनाया जाता है, जबकि कोंगाली बिहू को कार्तिक के माह में मनाया जाता है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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