
फाईल फोटो
चेन्नई:
मद्रास हाई कोर्ट ने उस जनहित याचिका पर दो महीने के लिए सुनवाई स्थगित कर दी जिसमें राज्य एचआर एवं सीई विभाग के एक नियम को चुनौती दी गई है जिसके तहत एक खास अवधि के दौरान महिलाओं को मंदिर में प्रवेश से रोका गया है। उस अवधि के दौरान महिलाओं को परंपराओं के अनुसार मंदिर में प्रवेश की इजाजत नहीं है।
विल्लुपुरम जिले की एस आरती द्वारा दायर जनहित याचिका जब न्यायमूर्ति टी एस शिवग्ननम और न्यायमूर्ति पुष्पा सत्यनारायण की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आई तो पीठ ने कहा, ‘‘यह रेखांकित किया जाता है कि मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को रोकने का बड़ा मुद्दा अब माननीय उच्चतम न्यायालय के विचाराधीन है।"
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यह भी पढ़ें : सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर रोक जारी रखने के पक्ष में त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड
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महिलाओं का पूजा करने का अधिकार होगा प्रभावित
उन्होंने कहा, "इस मामले में हम न ही कोई फैसला करने और न ही अधिकारियों को नोटिस जारी करने का आदेश देने का प्रस्ताव करते हैं। इसलिए मामले पर सुनवाई दो महीने तक स्थगित की जाती है।’’
उल्लेखनीय है कि इस संबंध में मद्रास हाई कोर्ट की मदुरै पीठ के एकल न्यायाधीश के आदेश के खिलाफ तमिलनाडु की ‘सदर्न डिस्ट्रिक्ट्स वीमन्स फेडरेशन’ ने भी मद्रास हाई कोर्ट की पीठ के समक्ष एक याचिका दायर की थी। संगठन का मानना है कि अगर आदेश लागू होता है तो महिलाओं का पूजा करने का अधिकार प्रभावित होगा।
विल्लुपुरम जिले की एस आरती द्वारा दायर जनहित याचिका जब न्यायमूर्ति टी एस शिवग्ननम और न्यायमूर्ति पुष्पा सत्यनारायण की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आई तो पीठ ने कहा, ‘‘यह रेखांकित किया जाता है कि मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को रोकने का बड़ा मुद्दा अब माननीय उच्चतम न्यायालय के विचाराधीन है।"
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महिलाओं का पूजा करने का अधिकार होगा प्रभावित
उन्होंने कहा, "इस मामले में हम न ही कोई फैसला करने और न ही अधिकारियों को नोटिस जारी करने का आदेश देने का प्रस्ताव करते हैं। इसलिए मामले पर सुनवाई दो महीने तक स्थगित की जाती है।’’
उल्लेखनीय है कि इस संबंध में मद्रास हाई कोर्ट की मदुरै पीठ के एकल न्यायाधीश के आदेश के खिलाफ तमिलनाडु की ‘सदर्न डिस्ट्रिक्ट्स वीमन्स फेडरेशन’ ने भी मद्रास हाई कोर्ट की पीठ के समक्ष एक याचिका दायर की थी। संगठन का मानना है कि अगर आदेश लागू होता है तो महिलाओं का पूजा करने का अधिकार प्रभावित होगा।
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