27 जुलाई को होगा इस सदी का सबसे लंबा चन्द्र ग्रहण
नई दिल्ली:
27 जुलाई को इस सदी का सबसे लंबा चन्द्र ग्रहण दिखाई देगा. अधिकारियों ने बताया कि ग्रहण के दौरान चन्द्रमा करीब चार घंटे के लिए धरती की छाया में आ जाएगा. इस ग्रहण को कम से कम तीन महाद्वीपों में स्पष्ट रूप से देखा जा सकेगा. दुबई एस्ट्रोनॉमी ग्रुप के अनुसार, यह ग्रहण सदी का सबसे लंबा ग्रहण होगा जो करीब एक घंटे 43 मिनट का होगा.
भारत में आंशिक तौर पर देखा गया इस साल का पहला पूर्ण चंद्र ग्रहण
इस दौरान 'ब्लड मून' दिखेगा. 'ब्लड मून' (Blood Moon) पूर्ण चन्द्र ग्रहण (Total Lunar Eclipse) के दौरान बनने वाले चन्द्रमा के 'रिंग' को कहते हैं. आंशिक चन्द्र ग्रहण दो घंटे बारह मिनट (22:24 से देर रात 2:19) जबकि पूर्ण चन्द्र ग्रहण एक घंटे 43 मिनट (रात 23:30 से देर रात 1:13) का होगा.
इस पूर्ण चंद्र ग्रहण का नजारा भारत समेत दुबई, अफ्रीका, मिडिल ईस्ट और दक्षिण एशिया में खुली आंखों से देखा जा सकेगा.
Longest Lunar Eclipse: 27 जुलाई को लगेगा 21वीं सदी का सबसे लंबा चंद्र ग्रहण
क्या होता है ब्लड मून (Blood Moon)?
चंद्रग्रहण के दौरान चांद लाल दिखता है जिसे ब्लड मून अर्थात रक्तिम चांद कहा जाता है. दरअसल, पूर्ण चंद्रग्रहण के दौरान चांद जब धरती की छाया में रहता है तो इसकी आभा रक्तिम हो जाती है जिसे रक्तिम चंद्र या लाल चांद कहते हैं. ऐसा तब होता है जब चांद पूरी तरह से धरती की आभा में ढक जाता है. ऐसे में भी सूरज की 'लाल' किरणें 'स्कैटर' होकर चांद तक पहुंचती है.
Super Blue Blood Moon : अंतरिक्ष से चंद्रग्रहण का अद्भुत नजारा, देखें खूबसूरत तस्वीरें
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इस दौरान 'ब्लड मून' दिखेगा. 'ब्लड मून' (Blood Moon) पूर्ण चन्द्र ग्रहण (Total Lunar Eclipse) के दौरान बनने वाले चन्द्रमा के 'रिंग' को कहते हैं. आंशिक चन्द्र ग्रहण दो घंटे बारह मिनट (22:24 से देर रात 2:19) जबकि पूर्ण चन्द्र ग्रहण एक घंटे 43 मिनट (रात 23:30 से देर रात 1:13) का होगा.
इस पूर्ण चंद्र ग्रहण का नजारा भारत समेत दुबई, अफ्रीका, मिडिल ईस्ट और दक्षिण एशिया में खुली आंखों से देखा जा सकेगा.
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क्या होता है ब्लड मून (Blood Moon)?
चंद्रग्रहण के दौरान चांद लाल दिखता है जिसे ब्लड मून अर्थात रक्तिम चांद कहा जाता है. दरअसल, पूर्ण चंद्रग्रहण के दौरान चांद जब धरती की छाया में रहता है तो इसकी आभा रक्तिम हो जाती है जिसे रक्तिम चंद्र या लाल चांद कहते हैं. ऐसा तब होता है जब चांद पूरी तरह से धरती की आभा में ढक जाता है. ऐसे में भी सूरज की 'लाल' किरणें 'स्कैटर' होकर चांद तक पहुंचती है.
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