स्विट्ज़रलैंड में भारतीय राजदूत श्री संजय भट्टाचार्य ने लिया दुर्गोत्सव का आनंद, ढाक खेलते हुए उठाया नवरात्रि का लुफ्त

प्रांगन स्विटजरलैंड का एकमात्र संगठन है जिसकी पहल, नेतृत्व और संगठन पूरी तरह से महिलाओं द्वारा किया जाता है. इस बार इस संगठन द्वारा स्विटजरलैंड में भव्य दुर्गा पूजा का आयोजन किया गया है.

स्विट्ज़रलैंड में भारतीय राजदूत श्री संजय भट्टाचार्य ने लिया दुर्गोत्सव  का आनंद, ढाक खेलते हुए उठाया नवरात्रि का लुफ्त

स्विटजरलैंड में प्रांगन दुर्गोत्सव आयोजन करने वाले भारतीय मूल या भारत से हैं.

PrangaN Durgotsab 2022: दुर्गा पूजा वह समय है जब हर कोई भारत को याद करता है, विशेष रूप से वे लोग जो कोलकाता से होते हैं. नवरात्रि के दौरान माता की पूजा, भक्ति, मौज-मस्ती, भोजन और रंग इस समय बेहद खास नजर आते हैं. स्विट्ज़रलैंड में भारतीय राजदूत श्री संजय भट्टाचार्य ने प्रांगन दुर्गोत्सव 2022 में हिस्सा लिया. इस दौरान वे ढाक खेलते हुए कहा-"घर से दूर रहते हुए हमें घर जैसा महसूस करने का ऐसा अवसर प्रदान करने के लिए हम प्रांगन के आभारी हैं."

इस वर्ष प्रांगन ने पनीर, चॉकलेट, भूमि मिष्टी दही और रसगुल्ला जो कि बंगाल के फेमस भोज्य पदार्थ हैं, इसकी खास व्यवस्था की है. प्रांगन, इस साल दूसरी बार लुसाने में दुर्गा पूजा मना रहा है. बता दें कि महामारी के बीच पिछले साल अपनी पहली दुर्गा पूजा सामान्य रूप से आयोजित की गई थी. प्रांगन स्विटजरलैंड का एकमात्र संगठन है जिसकी पहल, नेतृत्व और संगठन पूरी तरह से महिलाओं द्वारा किया जाता है. 


इस पूजा का आयोजन करने वाले भारतीय मूल या भारत से हैं. भारतीय बंगाली कैलेंडर- 'तिथि' के अनुसार दुर्गा पूजा अनुष्ठान का पालन करते हैं और 'कुमारटुली' से मूर्ति और ढाक की आउटसोर्सिंग से लेकर भारत से अपना 'पुरोहित' प्राप्त करने तक, वे कोलकाता दुर्गा के सार को फिर से बनाने के लिए बेहद समर्पित हैं. प्रांगन, पूरे स्विस रोमंडे क्षेत्र में पारंपरिक तरीके से आयोजित करने वाला पहली पूजा समिति है.

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प्रांगन, इस साल दूसरी बार लुसाने में दुर्गा पूजा मना रहा है.


सांस्कृतिक विविधता और वर्ष के इस समय के आसपास मनाए जाने वाले उत्सवों के अखिल भारतीय प्रतिनिधित्व को ध्यान में रखते हुए, इस वर्ष प्रांगण समिति ने उत्तर भारत से "राम नवमी", 'गरबा, डांडिया और आरती' मनाने का एक अनूठा विचार रखा. पश्चिम भारत से, दक्षिण भारत से 'गोलू' और 4 दिनों के उत्सव के दौरान बंगाल से 'धुनुची नृत्य' के साथ समाप्त हुआ.


प्रांगन को ब्यूरो लौसानोइस प्योर लेस इमिग्रेस (BLI) द्वारा समर्थित किया जाता है जो क्रॉस-सांस्कृतिक एकीकरण का अवसर प्रदान करता है. यह आकर्षक है कि कैसे प्रांगन इस अवसर का फायदा उठाकर कई कार्यक्रमों जैसे माला बुनाई, योग, डांडिया सजावट और भारतीय खाना पकाने की कक्षाएं आयोजित कर रहा है ताकि आबादी में भारत की सांस्कृतिक विरासत का प्रसार हो सके. इसके अलावा, प्रांगन का स्विस अकादमिक और सांस्कृतिक स्कूलों के साथ कई सहयोग हैं, जिसके कारण प्रसिद्ध स्विस ओपेरा गायकों और 'आइका अकादमी' द्वारा अद्वितीय पंक्तिबद्ध प्रदर्शनों का अद्भुत समामेलन हुआ है, जो 'महिषासुर मर्दिनी' पर प्रदर्शन करेंगे.  इस आयोजन को सफल बनाने के लिए कई महीनों से कड़ी मेहनत कर रही प्रांगण की महिलाओं- सुलता ब्रूसोज, स्वयंवर, मधुरिमा रॉय, किंकिनी भद्रा, ईशा रणदिवे, अनीशा, दुर्बा प्रमुख हस्तियां हैं.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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