अंकित श्वेताभ: उत्तर प्रदेश के अयोध्या में भगवान श्री राम की जन्मभूमि पर भव्य राम मंदिर (Ram Mandir in Ayodhya) लगभग बनकर तैयार है. अगले महीने, नए साल 2024 में प्रधानमंत्री मोदी इस मंदिर में राम लला की मूर्ति को स्थापित करेंगे. इसके बनने से अयोध्या शहर और शहरवासियों को बहुत फायदा होने वाला है. सरकार इस पूरे शहर को एक स्पेशल टूरिस्ट स्पॉट (Ayodhya tourist spots) बनाने की तैयारी में है. इससे लोगों को रोजगार मिलेगा और पूरे देश-दुनिया में सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार होगा. ऐसे खास समय में अयोध्या के इतिहास (History of Ayodhya) को जानना भी जरूरी है. आइए आपको बताते हैं राम जन्मभूमि, अयोध्या, राम मंदिर और अवध से जुड़ा जरूरी इतिहास.
अवध नगरी का इतिहास | History of Awadh
आज के उत्तर प्रदेश राज्य का अयोध्या शहर पहले अवध के नाम से जाना जाता था. ये तब की कौशल प्रदेश की प्राचीन राजधानी हुआ करती थी. बौद्धकाल में इसी जगह को साकेत के नाम से जाना गया. इस शहर को भगवान सूर्य के पुत्र वैवस्वतु मनु ने बसाया था. सूर्यवंशी बृहद्बल यहां के आखिरी राजा थे. जिसके बाद से अवध उजड़ने लगी.
इसके बाद राजा विक्रमादित्य ने इस जगह का उद्धार किया और श्री राम की जन्मभूमि पर एक भव्य मंदिर का निर्माण कराया. 84 स्तंभों पर उन्होंने एक विशाल मंदिर का निर्माण कराया. उनके बाद के भी कई राजओं ने इस मंदिर की देखभाल की.
कई सारे अभिलेखों से ये पता चलता है कि गुप्त वंश के चन्द्रगुप्त द्वितीय के समय और उनके बाद भी काफी समय तक अयोध्या गुप्त साम्राज्य की राजधानी रही. महाकवि कालिदास ने इसका उल्लेख रघुवंश में कई बार किया है.
पानीपत की युद्ध में देश के कई धार्मिक स्थानों को छति पहुंचाई गई लेकिन 14वीं सदी तक भी अयोध्या में राम मंदिर बिल्कुल सुरक्षित था. लेकिन 1527 से 1528 के बीच मंदिर को तोड़कर बाबरी मस्जिद का ढांचा बनाया गया. इस समय तक मुगलों का साशन शुरू हो गया था. इस साशन के बाबर के एक सेनापति ने बिहार अभियान के समय इसे तुड़वाया था. बाबरनामा में इसका उल्लेख भी मिलता है.
नए मंदिर का निर्माण | Construction of New Mandir
6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद को भीड़ के द्वारा तोड़ दिया गया था. 9 नवंबर 2019 को बाबरी मस्जिद और राम मंदिर केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद यहां राम मंदिर के लिए भूमि आवंटन का काम शुरू हुआ. इसके बाद 5 अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री मोदी द्वारा भूमि पूजन करने के बाद से इस मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हुआ. अब अगले महीने 22 जनवरी 2024 को भगवान राम की मूर्ति को मंदिर के गर्भ गृह में स्थापित किया जाएगा.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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