Importance of Annakut on Govardhan Puja; कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाए जाने वाले पर्व गोवर्धन पूजा को अन्नकूट पूजा (Annakut ) के रूप में भी जाना जाता है. यह त्योहार दीवाली के एक दिन बाद मनाया जाता है. इस वर्ष गोवर्धन पूजा शनिवार 2 नवंबर को मनाई जाएगी. गोवर्धन पूजा को इंद्र देव पर भगवान श्रीकृष्ण के विजय के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है. गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja) पर लोग अपने घर में साबुत अनाज से भगवान श्रीकृष्ण और गोवर्धन पर्वत की आकृति तैयार करते हैं और उनकी पूजा करते हैं. आइए जानते हैं गोवर्धन पूजा पर अन्नकूट का महत्व (Importance of Annakut) और इससे जुड़ी प्रमुख बातें….
गोवर्धन पूजा में गोबर से बनाए जाते हैं भगवान श्री कृष्ण और गोवर्धन पर्वत, जानिए इसके पीछे की मान्यता
भगवान श्रीकृष्ण को 56 या 108 व्यंजनों का भोग
गोवर्धन पूजा के अवसर पर भक्त भगवान श्रीकृष्ण को 56 व 108 तरह के पकवान बनाकर भोग लगाते हैं और विधि विधान से पूजा करते हैं. 56 व 108 तरह के पकवान के भोग को अन्नकूट कहा जाता है. सभी तरह के पकवान तैयार कर भगवान की प्रतिमा के सामने सजाकर कर रखा जाता है. गोवर्धन पूजा की पूजा अन्नकूट के बगैर पूरी लहीं होती है. इसके बिना इस दिन की पूजा अधूरी मानी जाती है. मान्यता है कि गोवर्धन पूजा के दिन अन्नकूट अवश्य बनाना चाहिए.
अन्नकूट में शामिल पकवान
गोवर्धन पूजा के दिन भगवान श्रीकृष्ण को लगाए जाने वाले भोग अन्नकूट में तरह तरह की सब्जियां, कढ़ी-चावल, खीर, मिठाइयां, रबड़ी, पेड़े, पुआ, मक्खन, मिश्री, पूरी जैसी चीजें शामिल होती है.
गोवर्धन पूजा में अन्नकूट का महत्व
पौराणिक कथाओं के अनुसार गोवर्धन पूजा भगवान श्रीकृष्ण के इंद्रदेव के क्रोध से ब्रजवासियों की रक्षा की याद में मनाया जाता है. इस दिन प्रभु ने देवराज इंद्र के अभिमान को पूरी तरह से समाप्त कर दिया था और गोवर्धन पर्वत के नीचे समूचे वृंदावनवासियों को शरण देकर उनकी भारी बारिश से रक्षा की थी. लोगों तक यह सीख भी मिली कि प्रकृति से मिलने वाली हर चीजें महत्वपूर्ण हैं. भगवान श्रीकृष्ण के प्रति अपनी कृतज्ञता जताने के लिए लोग गोवर्धन पूजा के दिन उन्हें 56 या 108 तरह के पकवानों का भोग लगाते हैं. उस भोग को अन्नकूट कहा जाता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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