 
                                            प्रतीकात्मक फोटो
                                                                                                                        - पीएम मोदी ने GES 2017 में जिस गार्गी का जिक्र किया वो परम विदुषी थीं
- उपनिषद काल में सभी गार्गी की विद्वता का लोहा मानते थे
- गार्गी ने एक बार ऋषि याज्ञवल्क्य को शास्त्रार्थ में कड़ी चुनौती दी
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                                                                                नई दिल्ली: 
                                        प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हैदराबाद में आयोजित ग्लोबल आंत्रप्रेन्योरशिप समिट 2017 (GES) के उद्धाटन समारोह में अपने भाषण के दौरान गार्गी का जिक्र करते हुए कहा कि भारत में हमेशा महिलाएं सशक्तिकरण का प्रतीक रही हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि पीएम मोदी ने जिस गार्गी का जिक्र किया वह आखिर कौन हैं? दरअसल, वेदों की ऋचाओं को गढ़ने में भारती की बहुत सी महिलाओं ने योगदान दिया है और उनमें से ही एक महिला थीं गार्गी. वह उपनषिद काल की एक विदुषी महिला थीं.  गर्ग वंश में पैदा होने के कारण उनका नाम गार्गी पड़ा. वो महर्षि वचक्नु की पुत्री थीं. गार्गी के बारे में एक कथा बहुत प्रचलित है.
महिलाओं की तरक्की से ही देश की तरक्की संभव: पीएम मोदी
एक बार यज्ञ के समय राजा जनक ने घोषणा की कि जो व्यक्ति स्वयं को सबसे महान् ज्ञानी सिद्ध करेगा, उसे स्वर्ण पत्रों में जड़े सींगों वाली एक हज़ार गायें उपहार में दी जाएंगी. कोई विद्वान् आगे नहीं आया. इस पर ऋषि याज्ञवल्क्य ने अपने शिष्य से उन गायों को आश्रम की ओर हांक ले जाने के लिए कहा. तब उपस्थित विद्वानों का याज्ञवल्क्य से शास्त्रार्थ हुआ. याज्ञवल्क्य ने सबके सवालों के जवाब दिए. उस सभा में गार्गी भी उपस्थित थीं. जब सभी के सवाल खत्म हो गए तब गार्गी ने याज्ञवल्क्य से शास्त्रार्थ करने की इच्छा जताई. अनुमति मिलने पर याज्ञवल्कय और गार्गी के बीच शास्त्रार्थ हुआ. गार्गी एक प्रश्न से उत्तेजित याज्ञवल्क्य ने कहा, 'गार्गी अब आप प्रश्न की सीमा का अतिक्रमण कर रही हैं. अब आगे मत पूछिए अन्यथा कहीं आपका मस्तक फट जाएगा. लेकिन फिर भी गार्गी दो सवाल और किए.
गार्गी और याज्ञवल्क्य के बीच हुआ शास्त्रार्थ कुछ इस प्रकार है:
गार्गी: ये समस्त पार्थिव पदार्थ जिस प्रकार जल मे ओतप्रोत हैं, उस प्रकार जल किसमें ओतप्रोत है?
याज्ञवल्क्य: जल वायु में ओतप्रोत है.
गार्गी: वायु किसमें ओतप्रोत है?
याज्ञवल्क्य: वायु आकाश में ओतप्रोत है.
गार्गी: अन्तरिक्ष किसमें ओतप्रोत है?
याज्ञवल्क्य: अन्तरिक्ष गन्धर्वलोक में ओतप्रोत है.
गार्गी: गन्धर्वलोक किसमें ओतप्रोत है?
याज्ञवल्क्य: गन्धर्वलोक आदित्यलोक में ओतप्रोत है.
गार्गी: आदित्यलोक किसमें ओतप्रोत है?
याज्ञवल्क्य: आदित्यलोक चन्द्रलोक में ओतप्रोत है.
गार्गी: चन्द्रलोक किसमें ओतप्रोत है?
याज्ञवल्क्य: नक्षत्रलोक में ओतप्रोत है.
गार्गी: नक्षत्रलोक किसमें ओतप्रोत है?
याज्ञवल्क्य: देवलोक में ओतप्रोत है.
गार्गी: देवलोक किसमें ओतप्रोत है?
याज्ञवल्क्य: प्रजापतिलोक में ओतप्रोत है.
गार्गी: प्रजापतिलोक किसमें ओतप्रोत है?
याज्ञवल्क्य: ब्रह्मलोक में ओतप्रोत है.
गार्गी: ब्रह्मलोक किसमें ओतप्रोत है?
तब याज्ञवल्क्य ने कहा- गार्गी! अब इससे आगे मत पूछो. कहीं ऐसा न हो कि इससे तुम्हारा मस्तक फट जाए.
गार्गी चुपचाप याज्ञवल्क्य की फटकार सुनती रहीं और सवाल पूछा: स्वर्गलोक से ऊपर जो कुछ भी है और पृथ्वी से नीचे जो कुछ भी है और इन दोनों के मध्य जो कुछ भी है, और जो हो चुका है और जो अभी होना है, ये दोनों किसमें ओतप्रोत हैं?
याज्ञवल्क्य: कोई अक्षर, अविनाशी तत्व है जिसके प्रशासन में, अनुशासन में सभी कुछ ओतप्रोत है.
गार्गी: ब्रह्मांड किसके अधीन है?
याज्ञवल्क्य: ब्रह्मांड अक्षरत्व के अधीन है.
इस बार याज्ञवल्क्य का उत्तर सुनकर गार्गी परम संतुष्ट हुईं और उनकी प्रशंसा करते हुए सभा में मौजूद सभी लोगों के सामने उन्हें परम ज्ञानी मान लिया. गार्गी वेदज्ञ और ब्रह्माज्ञानी थीं और वे सभी प्रश्नों के जवाब जानती थीं. गार्गी के प्रश्नों के कारण 'बृहदारण्यक उपनिषद की ऋचाओं का निर्माण हुआ. गार्गी आजन्म ब्रह्मचारिणी रहीं.
VIDEO: नारी शक्ति का बड़ा उदाहरण है जयपुर का ये मेट्रो स्टेशन
                                                                        
                                    
                                महिलाओं की तरक्की से ही देश की तरक्की संभव: पीएम मोदी
एक बार यज्ञ के समय राजा जनक ने घोषणा की कि जो व्यक्ति स्वयं को सबसे महान् ज्ञानी सिद्ध करेगा, उसे स्वर्ण पत्रों में जड़े सींगों वाली एक हज़ार गायें उपहार में दी जाएंगी. कोई विद्वान् आगे नहीं आया. इस पर ऋषि याज्ञवल्क्य ने अपने शिष्य से उन गायों को आश्रम की ओर हांक ले जाने के लिए कहा. तब उपस्थित विद्वानों का याज्ञवल्क्य से शास्त्रार्थ हुआ. याज्ञवल्क्य ने सबके सवालों के जवाब दिए. उस सभा में गार्गी भी उपस्थित थीं. जब सभी के सवाल खत्म हो गए तब गार्गी ने याज्ञवल्क्य से शास्त्रार्थ करने की इच्छा जताई. अनुमति मिलने पर याज्ञवल्कय और गार्गी के बीच शास्त्रार्थ हुआ. गार्गी एक प्रश्न से उत्तेजित याज्ञवल्क्य ने कहा, 'गार्गी अब आप प्रश्न की सीमा का अतिक्रमण कर रही हैं. अब आगे मत पूछिए अन्यथा कहीं आपका मस्तक फट जाएगा. लेकिन फिर भी गार्गी दो सवाल और किए.
गार्गी और याज्ञवल्क्य के बीच हुआ शास्त्रार्थ कुछ इस प्रकार है:
गार्गी: ये समस्त पार्थिव पदार्थ जिस प्रकार जल मे ओतप्रोत हैं, उस प्रकार जल किसमें ओतप्रोत है?
याज्ञवल्क्य: जल वायु में ओतप्रोत है.
गार्गी: वायु किसमें ओतप्रोत है?
याज्ञवल्क्य: वायु आकाश में ओतप्रोत है.
गार्गी: अन्तरिक्ष किसमें ओतप्रोत है?
याज्ञवल्क्य: अन्तरिक्ष गन्धर्वलोक में ओतप्रोत है.
गार्गी: गन्धर्वलोक किसमें ओतप्रोत है?
याज्ञवल्क्य: गन्धर्वलोक आदित्यलोक में ओतप्रोत है.
गार्गी: आदित्यलोक किसमें ओतप्रोत है?
याज्ञवल्क्य: आदित्यलोक चन्द्रलोक में ओतप्रोत है.
गार्गी: चन्द्रलोक किसमें ओतप्रोत है?
याज्ञवल्क्य: नक्षत्रलोक में ओतप्रोत है.
गार्गी: नक्षत्रलोक किसमें ओतप्रोत है?
याज्ञवल्क्य: देवलोक में ओतप्रोत है.
गार्गी: देवलोक किसमें ओतप्रोत है?
याज्ञवल्क्य: प्रजापतिलोक में ओतप्रोत है.
गार्गी: प्रजापतिलोक किसमें ओतप्रोत है?
याज्ञवल्क्य: ब्रह्मलोक में ओतप्रोत है.
गार्गी: ब्रह्मलोक किसमें ओतप्रोत है?
तब याज्ञवल्क्य ने कहा- गार्गी! अब इससे आगे मत पूछो. कहीं ऐसा न हो कि इससे तुम्हारा मस्तक फट जाए.
गार्गी चुपचाप याज्ञवल्क्य की फटकार सुनती रहीं और सवाल पूछा: स्वर्गलोक से ऊपर जो कुछ भी है और पृथ्वी से नीचे जो कुछ भी है और इन दोनों के मध्य जो कुछ भी है, और जो हो चुका है और जो अभी होना है, ये दोनों किसमें ओतप्रोत हैं?
याज्ञवल्क्य: कोई अक्षर, अविनाशी तत्व है जिसके प्रशासन में, अनुशासन में सभी कुछ ओतप्रोत है.
गार्गी: ब्रह्मांड किसके अधीन है?
याज्ञवल्क्य: ब्रह्मांड अक्षरत्व के अधीन है.
इस बार याज्ञवल्क्य का उत्तर सुनकर गार्गी परम संतुष्ट हुईं और उनकी प्रशंसा करते हुए सभा में मौजूद सभी लोगों के सामने उन्हें परम ज्ञानी मान लिया. गार्गी वेदज्ञ और ब्रह्माज्ञानी थीं और वे सभी प्रश्नों के जवाब जानती थीं. गार्गी के प्रश्नों के कारण 'बृहदारण्यक उपनिषद की ऋचाओं का निर्माण हुआ. गार्गी आजन्म ब्रह्मचारिणी रहीं.
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