Famous Temple: पांडवों ने बनाए थे दिल्ली के ये 2 मंदिर, जहां प्रसाद के रूप में चढ़ती है मदिरा

Famous Temple: पांडवों (Pandavas) द्वारा दिल्ली (Delhi) में दो भैरों नाथ (Bhairavnath Mandir Delhi) के मंदिर का निर्माण करवाया गया था.

Famous Temple: पांडवों ने बनाए थे दिल्ली के ये 2 मंदिर, जहां प्रसाद के रूप में चढ़ती है मदिरा

पांडवों (Pandavas) द्वारा दिल्ली (Delhi) में दो भैरों नाथ (Bhairavnath Mandir Delhi) के मंदिर का निर्माण करवाया गया था.

Famous Temple: भारत में कई ऐसे मंदिर (Temples in India) हैं जहां भगवान (Lord) को प्रसन्न करने के लिए भोग के रूप में अनेक चीजें चढ़ाई जाती हैं. वहीं कुछ मंदिर (Temple) ऐसे भी हैं जहां प्रसाद के रूप में अजीब चीजें चढ़ाई जाती हैं. पांडवों (Pandavas) द्वारा दिल्ली (Delhi) में दो भैरों नाथ (Bhairavnath Mandir Delhi) के मंदिर का निर्माण करवाया गया था. कहा जाता है कि इन मंदिरों में प्रसाद के रूप में मदिरा चढ़ाई जाती है. आइए जानते हैं इन मंदिरों की खासियतें क्या-क्या हैं. साथ ही ये मंदिर और किन वजहों से प्रसिद्ध हैं..  

बटुक भैरों नाथ मंदिर (Batuk Bhairav Temple)

मान्यतानुसार पांडवों ने दिल्ली में बटुक भैरों नाथ मंदिर (Batuk Bhairav Temple) और किलकारी बाबा भैरों नाथ मंदिर (Kilkari Baba Bhaironath Mandir)  का निर्माण करवाया था. जिसमें बटुक भैरों नाथ मंदिर (Batuk Bhairav Temple) भगवान भैरों को समर्पित माना जाता है. यह मंदिर दिल्ली के नेहरू पार्क चाणक्यपुरी में स्थित है. कहते हैं कि दिल्ली के मुख्य मंदिरों में इस मंदिर की गिनती होती है. इसके अलावा यह मंदिर साढ़े पांच हजार साल पुराना है. हालांकि इस मंदिर की बनावट बहुत पुरानी नहीं है. ऐसा इसलिए, क्योंकि समय-समय पर इस मंदिर का जीर्णोद्धार कार्य होता रहा है. कहा जाता है कि यह मंदिर पांडव के युग का है. इस मंदिर में भगवान भैरों नाथ की बड़ी-बड़ी आंखें नजर आती हैं. इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत है कि यहां बाबा भैरों नाथ को प्रसाद के रूप में मदिरा चढ़ाई जाती है.  इसके अलावा यह भी कहा जाता है कि जो भी मदिरा भैरों की मूर्ति के ऊपर चढ़ाई जाती है, वो मंदिर के नीचे बने हुए कुएं में चली जाती है.  

किलकारी बाबा भैरों​ नाथ मंदिर (Kilkari Baba Bhaironath Mandir)

किलकारी बाबा भैरों नाथ मंदिर (Kilkari Baba Bhaironath Mandir) पुराने किला के बाहर और प्रगति मैदान के सामने स्थित है. मान्यता है कि पांडवों ने अपने किले की सुरक्षा हेतु कई बार यज्ञ का आयोजन करवाया था, लेकिन राक्षसों द्वारा यज्ञ को बार-बार भंग कर दिया जाता था. कहते हैं कि इस स्थिति को देखते हुए भगवान श्रीकृष्ण ने पांडवों को किले की सुरक्षा के लिए किले में भगवान भैरों की स्थापना करने का सुझाव दिया. जिसके बाद भीम ने भैरों बाबा को लाने के लिए काशी गए. कहते हैं कि भीम की विनती पर बाबा भैंरो इस शर्त पर चलने के लिए तैयार हुए कि उन्हें जहां रख दिया जाएगा वे वहां पर स्थापित हो जाएंगे. पुराने किले के पास आकर भीम ने बाबा भैरों नाथ को नीचे रखा. जहां वे स्थापित हो गए. वह स्थान आज भी  किलकारी बाबा भैरों नाथ मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)