Krishna ashtami 2024 : जन्माष्टमी का त्यौहार बहुत धूमधाम से मनाया जाता है, खास तौर पर मथुरा में, जहां कृष्ण का जन्म हुआ था और पड़ोसी वृंदावन में, जहां उन्होंने अपना बचपन बिताया था. इस दिन, भक्त व्रत रखते हैं, पारंपरिक कपड़े पहनते हैं, स्नान करते हैं और भगवान कृष्ण की मूर्तियों को नए कपड़े और आभूषण पहनाते हैं, और अपने परिवार की खुशहाली के लिए आशीर्वाद मांगते हैं. जन्माष्टमी पर अन्य अनुष्ठानों में कृष्ण मंदिरों में जाना और प्रार्थना करना शामिल है. ऐसे में आज हम आपको यहां पर जन्माष्टमी के मौके पर कौन से 5 कृष्णा मंदिर जा सकते हैं उसके बारे में बताएंगे.
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मथुरा का श्री कृष्ण जन्मस्थान मंदिरमथुरा का श्री कृष्ण जन्मस्थान मंदिर उस जेल की कोठरी के चारों ओर बना है, जहां भगवान कृष्ण के माता-पिता, वासुदेव और देवकी को उनके मामा कंस ने बंदी बनाकर रखा था. परिसर में भगवान कृष्ण को समर्पित अन्य मंदिर भी हैं, जिन्हें जन्माष्टमी के दिन सजाया और रोशन किया जाता है. दिवाली, बसंत पंचमी और होली जैसे अन्य अवसरों पर भी यहां भारी भीड़ उमड़ती है.
केरल के गुरुवायुर में कृष्ण मंदिरकेरल में श्री कृष्ण मंदिर को अक्सर दक्षिण भारत का द्वारका कहा जाता है. इसे देश के सबसे प्रतिष्ठित तीर्थस्थलों में गिना जाता है. केरल में स्थित यह मंदिर पारंपरिक केरल अनुष्ठानों, भक्ति संगीत और भक्तों की बड़ी भीड़ के साथ अपने भव्य जन्माष्टमी समारोहों के लिए जाना जाता है.
वृंदावन में स्थित यह मंदिर जन्माष्टमी समारोहों का केंद्र बिंदु है, जहां भक्त पारंपरिक भक्ति गायन और नृत्य के साथ उत्सव की पोशाक में सजे बांके बिहारी (कृष्ण) के दर्शन करने के लिए उमड़ पड़ते हैं. जन्माष्टमी के दिन भक्त बांके बिहारी की मंगला आरती देख सकते हैं. दर्शन सुबह 2 बजे शुरू होते हैं और अगले दिन सुबह 6 बजे तक चलते हैं.
कर्नाटक के उडुपी में श्री कृष्ण मंदिरश्री कृष्ण मंदिर दक्षिण भारत का एक प्रसिद्ध तीर्थस्थल है. ऐसा माना जाता है कि यह भगवान कृष्ण की सबसे सुंदर मूर्तियों में से एक है, जिसे जन्माष्टमी पर सजाया जाता है. भक्त मूर्ति को सीधे नहीं देख सकते, बल्कि नवग्रह किटिकी या नौ छेद वाली खिड़की से देख सकते हैं.
गुजरात में द्वारकाधीश मंदिरमाना जाता है कि द्वारकाधीश मंदिर की स्थापना भगवान कृष्ण के परपोते वज्रनाभ ने 2,500 साल से भी पहले की थी.यह एक छोटी पहाड़ी के ऊपर स्थित है और 50 से ज़्यादा सीढ़ियां चढ़कर यहां पहुंचा जा सकता है. जन्माष्टमी इस मंदिर में जाने का सबसे अच्छा समय है, जहां इस त्यौहार पर भव्य उत्सव मनाया जाता है.
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