मंदिर को हिन्दू धर्म में सबसे पवित्र स्थल माना जाता है. यही कारण है पूरे भारतवर्ष में लाखों मंदिर हैं, जहां करोड़ों लोग प्रतिदिन पूजा करते हैं. साथ ही, अनेक हिन्दू घरों में भी छोटा-सा मंदिर बनाया जाता है ताकि घर में सुख, शांति और समृद्धि का वास हो. लेकिन भारतीय वास्तुशास्त्र में घर में मंदिर बनवाने के कई विधान बताये गए हैं, तभी घर-परिवार में सही से खुशहाली आती है. आइए जानते हैं, भारतीय वास्तुशास्त्र के अनुसार घर के किस हिस्से में मंदिर होना चाहिए.
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- भारतीय वास्तुशास्त्र के मुताबिक से घर में पूजा का स्थान पूर्व, उत्तर या उत्तर-पूर्व दिशा में शुभ माना जाता है. दक्षिण या पश्चिम की दिशा में पूजा का स्थान अशुभ फलों का कारण बन सकता है.
- अनेक घरों में देखा जाता है कि लोग दो जगह पूजा का स्थान बना लेते हैं. लेकिन भारतीय वास्तुशास्त्र इसके विरुद्ध है, क्योंकि अलग-अलग स्थानों पर भी देवी-देवताओं की प्रतिमाएं और चित्र लगाना सही नहीं माना जाता.
- भारतीय वास्तुशास्त्र के मुताबिक मंदिर के आसपास शौचालय नहीं होना चाहिए. साथ ही मंदिर को रसोईघर में बनाना भी वास्तु के हिसाब से उचित नहीं माना जाता.
- भारतीय वास्तुशास्त्र के मुताबिक के अनुसार, सीढ़ियों के नीचे या फिर तहखाने में भूलकर भी मंदिर नहीं बनवाना चाहिए. इसे बहुत अशुभ और अलाभकारी माना गया है.
- लौकिक मान्यताओं के अनुसार, घर में जहां पर मंदिर बना हो, उस ओर पैर करके नहीं सोना चाहिए.
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