
हिंदू धर्म में क्यों है आज का दिन खास,जानें यहां
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चैत्र नवरात्रि की शुरुआत आज से
गुड़ी पड़वा की महाराष्ट्र में धूम
आंध्र प्रदेश में उगादि का उत्सव
Navratri 2018: चैत्र नवरात्रि 18 मार्च से शुरू, जानें इन 9 दिनों में पूजी जाने वाली सभी माताओं के नाम और उनका महत्व
चैत्र नवरात्रि
चैत्र नवरात्रि की शुरुआत आज 18 मार्च से हो गई है, जिसका समापन 26 मार्च को होगा. नवरात्रि एक बहुत प्रमुख हिंदु त्यौहार है, इस दौरान मां दुर्गा के भक्त उनके 9 रूपों की पूजा की जाती है. पूरे साल में 4 बार नवरात्रि आती हैं इनके नाम हैं शरद नवरात्रि, चैत्र नवरात्रि, गुप्त नवरात्रि और माघ नवरात्रि. चैत्र नवरात्रि मार्च-अप्रैल या हिंदू कैलेंडर के चैत्र महीने में पड़ती है. इसके नौवें दिन को राम जी के जन्मदिन के तौर पर मनाया जाता है. इसे राम नवमी भी बोलते हैं. चैत्र नवरात्रि को राम नवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है. इसी के साथ यह नवरात्रि वसंत के बाद गर्मियों की शुरुआत मानी जाती है.
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गुड़ी पड़वा
चैत्र माह की पहली तिथि को गुड़ी पड़वा मनाई जाती है, जो कि आज 18 मार्च को है. गुड़ी का अर्थ होता है ‘विजय पताका‘. इसे महाराष्ट्रियों का नया साल भी कहते हैं. गुड़ी पड़वा को महाराष्ट्र में धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन हर घर में पूरन पोली बनाई जाती है. यह गुड़, नमक, नीम के फूल, इमली और कच्चे आम के मिश्रण से तैयार होती है. इस पर्व से जुड़ी कहानी प्रसिद्ध है कि शालिवाहन नामक एक कुम्हार के बेटे ने मिट्टी के सैनिकों की सेना बनाई और उस पर पानी छिड़ककर उनमें प्राण फूंक दिए. इसी सेना की मदद से शिक्तशाली शत्रुओं को पराजित किया. इस विजय के प्रतीक के रूप में शालिवाहन शक का प्रारंभ हुआ. वहीं, कई लोगों की मान्यता है कि इसी दिन भगवान राम ने वानरराज बाली के अत्याचारी शासन से दक्षिण की प्रजा को मुक्ति दिलाई. बाली के त्रास से मुक्त हुई प्रजा ने घर-घर में उत्सव मनाकर ध्वज (गुड़िया) फहराए. इसी वजह से महाराष्ट्र में आज के दिन घर के आंगन में गुड़ी खड़ी करने की प्रथा प्रचलित है. इसीलिए इस दिन को गुड़ी पड़वा नाम दिया गया.
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नया साल
भारतीय पंचांग में चैत्र शुक्ल प्रतिपदा (पहली तिथि) को नए साल का आरंभ माना जाता है, इसे ही हिंदू नववर्षोत्सव भी कहा जाता है. वहीं, शास्त्रों के मुताबिक भगवान ब्रह्मा ने आज ही के दिन संसार की रचना की थी. यही कारण है कि इसे सृष्टि का प्रथम दिन कहते हैं. इसके अलावा कलयुग का आरंभ भी आज ही के दिन हुआ था. हिंदु कैलेंडर के हिसाब से चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, आश्विन, कार्तिक, मार्गशीर्ष, पौष, माघ और फाल्गुन...यह बारह महीने होते हैं.
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उगादि
तेलुगु वर्ष का आरंभ भी चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को होता है, इसे प्रतिपदा, उगड़ी या उगादि कहते हैं. आंध्र प्रदेश में यह पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. मान्यता है कि इस दिन को फसलों के पकने की खुशी में मनाते हैं. इस दिन आंध्र प्रदेश के हर घर में एक विशेष प्रकार का पेय पदार्थ पच्चड़ी/प्रसादम बनाया जाता है और इसे प्रसाद के तौर पर सभी को बांटा जाता है.












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