विज्ञापन
Story ProgressBack
This Article is From Jul 24, 2017

क्या आप वाकिफ हैं वैद्यनाथ धाम में मुंडन के बाद 'बाबा नीर' से स्नान की अनोखी परंपरा से

मान्यता है कि ऐसा करने से जहां सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, वहीं मुंडन कराने वालों के सभी कष्ट भी दूर हो जाते हैं.

Read Time: 4 mins
क्या आप वाकिफ हैं वैद्यनाथ धाम में मुंडन के बाद 'बाबा नीर' से स्नान की अनोखी परंपरा से
झारखंड में भगवान भोलेनाथ के द्वादश ज्योतिर्लिगों में से एक ज्योतिर्लिग को वैद्यनाथ धाम के नाम से जाना जाता है. वैद्यनाथ धाम स्थित ज्योतिर्लिग 'कामना लिंग' को भगवान शंकर के द्वादश ज्योतिर्लिगों में सर्वाधिक महिमामंडित माना जाता है. वैसे तो अन्य तीर्थस्थलों की तरह यहां मंदिर परिसर में भी 'मुंडन' की प्रथा है, परंतु यहां बाल मुंडन के बाद बाबा नीर (भगवान के ज्योतिर्लिग पर जलाभिषेक किए गए जल) से स्नान करने की अनोखी परंपरा है. मान्यता है कि ऐसा करने से जहां सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, वहीं मुंडन कराने वालों के सभी कष्ट भी दूर हो जाते हैं.

हजारों श्रद्धालु मनोकामना पूर्ति के लिए कामना लिंग पर प्रतिदिन जलाभिषेक करने पहुंचते हैं, परंतु भगवान शिव के सबसे प्रिय महीने सावन में यहां उनके भक्तों का हुजूम उमड़ पड़ता है.

मान्यता है कि श्रद्धापूर्वक जो भी यहां बाबा के द्वार पहुंचता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. कुछ लोग यहां अपनी मनोकामना मांगने आते हैं तो कुछ अपनी मनोकामनापूर्ण होने पर शिव का आभार प्रकट करने आते हैं.

वैद्यनाथ धाम के पुजारी जय कुमार द्वारी आईएएनएस से कहते हैं, "यहां मुंडन की पंरपरा काफी पुरानी है. मुंडन संस्कार कराने के लिए यहां लोगों की भारी भीड़ जुटती है. ऐसे में पौराणिक काल से ही यहां मुंडन संस्कार के बाद 'बाबा नीर' से स्नान करने की भी प्रथा है. उन्होंने कहा कि बच्चों के अलावा व्यस्क भी मनोकामना पूर्ण होने के बाद मुंडन कराने पहुंचते हैं."

वह कहते हैं, "यजुर्वेद के अनुसार मुंडन संस्कार बल, आयु, आरोग्य तथा तेज की वृद्धि के लिए किया जाने वाला अति महत्वपूर्ण संस्कार है. जन्म के बाद पहले वर्ष के अंत या फिर तीसरे, पांचवें या सातवें वर्ष की समाप्ति से पहले शिशु का मुंडन संस्कार करना आमतौर पर प्रचलित है."

उन्होंने बताया कि आमतौर पर मुंडन संस्कार किसी तीर्थस्थल पर इसलिए कराया जाता है, जिससे उस स्थल के दिव्य वातावरण का लाभ शिशु को मिले तथा उसके मन में सुविचारों की उत्पत्ति हो सके. ऐसे में इस बाबा दरबार की प्रसिद्धि काफी है.

जयकुमार कहते हैं कि कई लोग पहले संकल्प ले लेते हैं और जब उनकी मान्यता पूरी हो जाती है तब वे वहां आकर मुंडन करवाते हैं. मुंडन कराकर लोग इसी बाबा नीर से स्नान करते हैं और तब फिर भगवान की पूजा अर्चना करते हैं.

एक अन्य पंडा मौनी द्वारी बताते हैं कि यह प्रथा यहां काफी पुरानी है.

उन्होंने बताया, "प्रतिदिन हजारों लोग मंदिर के गर्भगृह में बाबा के ज्योतिर्लिग पर जलाभिषेक करते हैं. इस जलाभिषेक किए गए नीर को बाहर निकासी के लिए मंदिर प्रशासन द्वारा उचित व्यवस्था की गई है. इसी नीर से मुंडन के बाद लोग स्नान करते हैं. कई लोग तो इस बाबा नीर को प्रसाद के रूप में अपने घर ले जाना नहीं भूलते. मुंडन कराने का भाव समर्पण से माना जाता है."

इनपुट आईएएनएस से 

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
डार्क मोड/लाइट मोड पर जाएं
Our Offerings: NDTV
  • मध्य प्रदेश
  • राजस्थान
  • इंडिया
  • मराठी
  • 24X7
Choose Your Destination
Previous Article
कांवड़ यात्रा पर UP सरकार के दिशा-निर्देश जारी, राज्य सरकारें कांवड़ियों को उपलब्ध कराएं आईडी
क्या आप वाकिफ हैं वैद्यनाथ धाम में मुंडन के बाद 'बाबा नीर' से स्नान की अनोखी परंपरा से
आज मनाई जा रही है दया और करुणा के प्रतीक भगवान बुद्ध की जयंती, जानिए बुद्ध पूर्णिमा की तिथि और महत्व
Next Article
आज मनाई जा रही है दया और करुणा के प्रतीक भगवान बुद्ध की जयंती, जानिए बुद्ध पूर्णिमा की तिथि और महत्व
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com
;