उज्जैन:
मध्यप्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन में चल रहे सिंहस्थ कुंभ में एक तरफ जहां श्रद्धालु क्षिप्रा नदी में स्नान कर पुण्य अर्जित कर रहे हैं और साधु-संत कर्मकांड कर रहे हैं, वहीं देशभर के चित्रकार अपनी तूलिका (ब्रश) से उज्जैन के धार्मिक स्थलों, धरोहर व अपने आराध्य के चित्र उकेरने में लगे हैं।
उज्जैन के कालिदास अकादमी में देशभर के कलाकार चित्रकारी की विभिन्न विधाओं पर सिंहस्थ को केंद्रित करते हुए आकर्षक पेंटिंग बना रहे हैं। इन पेंटिंग में महाकाल मंदिर, क्षिप्रा नदी के घाट, साधु-संतों की विभिन्न मुद्राएं, भगवान शंकर की नृत्य की विभिन्न मुद्राएं, अमृत मंथन, उज्जैन के प्रसिद्ध तीर्थ स्थान प्रमुख हैं।
आदिवासी कलाकारों ने भी पेंटिंग के जरिए आदिवासी जनजीवन को आकर्षक ढंग से प्रस्तुत किया है। इसी तरह लोक कला को पेंटिंग के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है।
केंद्र सरकार के संस्कृति मंत्रालय के कार्यक्रम अधिकारी गोपाल बेतावार ने बताया कि 22 अप्रैल से 21 मई के दौरान सात मंचों पर 500 से अधिक कलाकार समसामायिक, लोककला और आदिवासी शैली में चित्र बना रहे हैं। इन चित्रों पर कॉफी टेबल बुक तैयार कराई जाएगी। इस बुक का विमोचन नई दिल्ली में होगा।
चंडीगढ़ की कलाकार मोनिका कपूर पहली बार उज्जैन आई है। उन्होंने बताया कि वे अमृत मंथन को लेकर पेंटिंग बना रही है। केरल के भवानी शंकर भगवान शंकर के नृत्य मुद्राओं पर केंद्रित पेंटिंग बना रहे हैं। वे पहली बार मध्यप्रदेश आए हैं।
उन्होंने उज्जैन के प्रसिद्ध महाकाल मंदिर के दर्शन भी किए।
चित्रकारी की 14 कार्यशालाओं में मधुबनी, कांगरा, बसौली, गौंड, भीली, रजबा, निमाड़ी, पिंगली, मैथिली आदि शैली पर भी चर्चा की गई। इसके अलावा रांगोली पर भी कलाकारों को जानकारी दी गई। कलाकारों ने आकर्षक रंगोलियां तैयार की हैं।
उज्जैन के कालिदास अकादमी में देशभर के कलाकार चित्रकारी की विभिन्न विधाओं पर सिंहस्थ को केंद्रित करते हुए आकर्षक पेंटिंग बना रहे हैं। इन पेंटिंग में महाकाल मंदिर, क्षिप्रा नदी के घाट, साधु-संतों की विभिन्न मुद्राएं, भगवान शंकर की नृत्य की विभिन्न मुद्राएं, अमृत मंथन, उज्जैन के प्रसिद्ध तीर्थ स्थान प्रमुख हैं।
आदिवासी कलाकारों ने भी पेंटिंग के जरिए आदिवासी जनजीवन को आकर्षक ढंग से प्रस्तुत किया है। इसी तरह लोक कला को पेंटिंग के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है।
केंद्र सरकार के संस्कृति मंत्रालय के कार्यक्रम अधिकारी गोपाल बेतावार ने बताया कि 22 अप्रैल से 21 मई के दौरान सात मंचों पर 500 से अधिक कलाकार समसामायिक, लोककला और आदिवासी शैली में चित्र बना रहे हैं। इन चित्रों पर कॉफी टेबल बुक तैयार कराई जाएगी। इस बुक का विमोचन नई दिल्ली में होगा।
चंडीगढ़ की कलाकार मोनिका कपूर पहली बार उज्जैन आई है। उन्होंने बताया कि वे अमृत मंथन को लेकर पेंटिंग बना रही है। केरल के भवानी शंकर भगवान शंकर के नृत्य मुद्राओं पर केंद्रित पेंटिंग बना रहे हैं। वे पहली बार मध्यप्रदेश आए हैं।
उन्होंने उज्जैन के प्रसिद्ध महाकाल मंदिर के दर्शन भी किए।
चित्रकारी की 14 कार्यशालाओं में मधुबनी, कांगरा, बसौली, गौंड, भीली, रजबा, निमाड़ी, पिंगली, मैथिली आदि शैली पर भी चर्चा की गई। इसके अलावा रांगोली पर भी कलाकारों को जानकारी दी गई। कलाकारों ने आकर्षक रंगोलियां तैयार की हैं।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं