महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान भले ही ना हुआ हो, लेकिन सियासी पारा गरमाता जा रहा है। शिवसेना के कार्यकारी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने खुद चुनाव लड़ने की संभावनाओं को खारिज कर दिया है। उद्धव के मैदान पर हटने के बाबत सवाल पूछे जाने पर कांग्रेस के नेता नारायण राणे ने उनपर चुटकी लेते हुए कहा, 'वह भाग गए क्या?'
दरअसल कांग्रेस ने विधानसभा चुनावों के मद्देनजर मुंबई के गांधी भवन में दो पुस्तकों का विमोचन किया एक में उसके उपलब्धियों का बखान था, तो दूसरे में मोदी सरकार को जमकर कोसा गया। इस मौके पर मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा 15 साल के राज में राज्य में विपक्ष हमारे सामने कहीं खड़ा नहीं हुआ। लोगों ने मोदी सरकार के वायदों पर भरोसा किया, उन्हें चुनकर लाए। ऐसे में हमने उनके सौ दिन के कार्यकाल पर सवाल उठाया है।
शिवसेना के कुछ नेताओं ने थोड़े दिन पहले राज्य में मुख्यमंत्री पद की दौड़ में उद्धव का नाम उछाला था, लेकिन उद्धव ने खुद साफ कर दिया कि वह इस रेस में नहीं हैं। नांदेड की एक रैली में उन्होंने कहा, 'राज्य में शिवशाही स्थापित करना मेरा मकसद है, लेकिन मैं मुख्यमंत्री बनने का सपना नहीं देखता।'
मुंबई में महाराष्ट्र के लोगों के लिए टेलिमेडिसन योजना के उद्घाटन के मौके पर उद्धव से जब ये पूछा गया कि उनकी योजना का नाम कांग्रेस से मिलता है, तो उद्धव ने कहा नाम बदलने से ज्यादा ज़रूरी है, सरकार बदलना और हम ये करके दिखाएंगे।
कांग्रेस−एनसीपी की तरह शिवसेना−बीजेपी में भी सीटों को लेकर खींचतान चल रही है, लेकिन उद्धव ठाकरे और अमित शाह की मातोश्री में मुलाकात के बाद माना जा रहा है कि इस बात पर सहमति बन गई है कि जिस पार्टी की ज्यादा सीटें आएंगी मुख्यमंत्री पद की दावेदारी उसकी होगी।
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