सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद छिड़ी सियासी बहस के बीच शुक्रवार को जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने आगामी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के समर्थन का ऐलान करते हुए कहा कि केंद्र में सत्तारूढ़ दल से उन्हें अब भी 'बहुत शिकायतें' हैं, लेकिन देश में 'सांप्रदायिक ताकतों' को रोकने के लिए यह फैसला करना पड़ा है। उन्होंने पश्चिम बंगाल में हालांकि, कांग्रेस की बजाय 'सिर्फ' तृणमूल कांग्रेस को वोट देने की अपील की।
बुखारी ने अपने आवास पर 'सांप्रदायिकता को भ्रष्टाचार से भी ज्यादा खतरनाक' करार देते हुए संवाददाताओं से कहा, 'इस समय सबसे बड़ा सवाल देश की एकता, अखंडता और धर्मनिरपेक्षता का है। इसलिए मेरी ही नहीं, करोड़ों हिंदुस्तानी जनता की यह ख्वाहिश है कि एक मजबूत राष्ट्र का निर्माण हो जहां भ्रष्टाचार, सांप्रदायिकता और अत्याचार के लिए कोई स्थान नहीं हो। तमाम पहलुओं पर विचार करने के बाद हमने आगामी लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस के समर्थन का फैसला किया है।'
उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष से मुलाकात का जिक्र करते हुए कहा, 'सोनिया गांधी से सांप्रदायिक दंगों, सच्चर कमेटी और रंगनाथ मिश्रा आयोग की सिफारिशों को लागू करने तथा मुसलमानों की जानमाल की सुरक्षा जैसे मुद्दों पर विस्तृत बातचीत हुई। हम इसलिए कांग्रेस को समर्थन दे रहे हैं ताकि आने वाले समय में वह अपने वादों को पूरा करे।'
इसके साथ ही शाही इमाम ने ममता बनर्जी के कार्यो की तारीफ करते हुए 'धर्मनिरपेक्ष लोगों से' पश्चिम बंगाल में कांग्रेस की बजाय 'सिर्फ तृणमूल कांग्रेस' का साथ देने की अपील की। उन्होंने कहा, 'पश्चिम बंगाल की सरकार ने मुसलमानों की समस्याओं के समाधान के लिए कुछ कार्य किए हैं और ऐसा आभास होता है कि ममता बनर्जी भविष्य में भी गंभीरता से कार्य करेंगी। उन्होंने यह भी वादा किया है कि वह भविष्य में राजग के साथ नहीं जाएंगी। ऐसे में मैंने उनके समर्थन का फैसला किया है।'
धार्मिक गुरू होने के बावजूद राजनीति करने के आरोपों के संदर्भ में शाही इमाम ने कहा, 'भारत एक लोकतांत्रिक देश है और यहां हर नागरिक को अपनी बात रखने का अधिकार है। मैं एक नागरिक की हैसियत से अपनी राय रख रहा हूं। यह कोई फतवा नहीं, बल्कि अपील है। यह अपील सिर्फ मुसलमानों से नहीं, बल्कि देश के तमाम धर्मनिरपेक्ष लोगों से है कि वे देश के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों को बचाने के लिए एकजुट हो जाएं।'
सपा, बसपा और आम आदमी पार्टी पर निशाना साधते हुए बुखारी ने कहा, 'कुछ तथाकथित धर्मनिरपेक्ष दल धर्मनिरपेक्ष मतों का बंटवारा करने की कोशिश में हैं। ये पर्दे के पीछे से सांप्रदायिक ताकतों की मदद कर रहे हैं। ऐसे में हमारी कोशिश होनी चाहिए कि किसी भी सूरत में सांप्रदायिक मतों का बंटावारा नहीं हो।'
उन्होंने कहा, 'उत्तर प्रदेश में हमने मुलायम के जुबानी वादों पर सपा को समर्थन दिया था, लेकिन उत्तर प्रदेश की सरकार न सिर्फ मुसलमानों को उनका अधिकार देने में नाकाम रही, बल्कि वह उनकी जानमाल की हिफाजत भी नहीं कर पाई। राज्य में 100 से अधिक दंगे हुए। उच्चतम न्यायालय ने भी राज्य सरकार की भूमिका पर सवाल खड़े किए हैं। बसपा के बारे में यह आशंका है कि वह चुनाव के बाद भाजपा के साथ जा सकती है।'
बुखारी ने बीते 22 फरवरी को सैकड़ों उलेमाओं और मुस्लिम बुद्धिजीवियों की बैठक की थी जिसमें देश के राजनीतिक हालात का जायजा लेने के लिए 11 सदस्यीय एक समिति का गठन किया गया। इस समिति की सिफारिशों के आधार पर बुखारी ने कांग्रेस का समर्थन करने का ऐलान किया।
बुखारी ने स्पष्ट किया कि कांग्रेस को उनका समर्थन सशर्त है। उन्होंने बिहार के संदर्भ में कहा कि वहां कांग्रेस और लालू प्रसाद की राजद दोनों को उनका समर्थन है। बिहार में ये दोनों गठबंधन के तहत चुनाव लड़ रहे हैं। पिछले दिनों कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से बुखारी ने मुलाकात की थी।
जामा मस्जिद के सूत्रों ने कहा कि इस मुलाकात के दौरान सोनिया ने धर्मनिरपेक्ष मतों को बंटने नहीं देने पर जोर दिया था। इस मुलाकात को लेकर नरेंद्र मोदी ने सोनिया गांधी पर जमकर निशान साधा था।निया और बुखारी की मुलाकात की भाजपा द्वारा चुनाव आयोग में शिकायत किए जाने के संदर्भ में जामा मस्जिद के प्रवक्ता राहत महमूद चौधरी ने कहा, 'भाजपा को बाबा रामदेव के योग वाले मंच पर नरेंद्र मोदी की मौजूदगी की शिकायत भी करनी चाहिए थी। दो लोगों की मुलाकात से आचार संहिता का उल्लंघन कैसे हो गया।'
शाही इमाम ने कांग्रेस का समर्थन किए जाने के फैसले का अपने भाई सैयद यहया बुखारी द्वारा खुलकर विरोध करने के बारे में पूछे जाने पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
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