स्वास्थ्य कारणों से फारूक अब्दुल्ला भले ही देश से दूर हैं, लेकिन तीन बार जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री रहे वरिष्ठ नेता राज्य का विशेष दर्जा समाप्त करने के भाजपा के 'खतरनाक' इरादों को लेकर चिंतित हैं और उनका मानना है कि ऐसा हुआ तो 'बड़े पैमाने पर अशांति' पैदा होगी।
पिछले चार दशक में यह पहला मौका है, जब सत्तारूढ़ नेशनल कांफ्रेंस के 77 वर्षीय अध्यक्ष राज्य विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी का नेतृत्व नहीं कर पा रहे हैं। वह पिछले तीन महीने से किडनी के इलाज के सिलसिले में लंदन आए हुए हैं।
यहां पीटीआई भाषा के साथ एक मुलाकात में उन्होंने कहा, 'मैं एक बल्लेबाज हूं, जिसका इलाज चल रहा है, लेकिन मैदान पर वापस जाने के लिए बेताब हूं।' उन्होंने बताया कि वह अगले वर्ष फरवरी से पहले स्वदेश नहीं लौट पाएंगे और उस समय तक राज्य विधानसभा के नवंबर-दिसंबर में होने वाले चुनाव हो चुके होंगे।
उन्होंने कहा, 'यकीन जानिए मेरी बड़ी चिंता संविधान के अनुच्छेद 370 को समाप्त करने के भाजपा के जाहिरा इरादों को लेकर है, जिससे हमारे राज्य को विशेष दर्जा मिला हुआ है और जिसके लिए महात्मा गांधी और भारत सरकार द्वारा वचन दिया गया था।'
अब्दुल्ला ने कहा, 'वह (भाजपा) अपना मकसद हासिल करने के लिए कुछ भी कर सकते हैं। वह इस संवेदनशील राज्य में ध्रुवीकरण करेंगे, जैसा कि उन्होंने देश के बाकी हिस्सों में किया है।'
अनुच्छेद 370 को समाप्त करने के गंभीर परिणामों के प्रति आगाह करते हुए उन्होंने कहा, 'युवाओं के जहन में बड़ी उथल-पुथल मचेगी और हम कभी शांति नहीं पा सकेंगे।' प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में वरिष्ठ नेता ने कहा, 'मैं नहीं जानता कि वह अनुच्छेद 370 पर आरएसएस के हुक्म के खिलाफ जा पाएंगे। पूरे देश के लिए वह बहुत बड़ा दिन होगा, जब वह जम्मू और कश्मीर की जनता की दिल की धड़कनों को समझ पाएंगे।'
पृथकतावादी नेता सज्जाद लोन, जो हाल ही में मोदी से मिले थे, से नजदीकियां बढ़ाने की भाजपा की कोशिशों की आलोचना करते हुए अब्दुल्ला ने कहा, 'जो लोग स्वतंत्र कश्मीर के कट्टर पैरोकार रहे हैं, भाजपा उनसे नजदीकियां बढ़ा रही है, क्या ये वही लोग नहीं हैं, जिन्होंने राज्य को जहन्नुम बना दिया?'
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