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This Article is From Feb 27, 2014

प्राइम टाइम इंट्रो : दिलचस्प हुई बिहार की राजनीति

नई दिल्ली:

नमस्कार, मैं रवीश कुमार... भारत गणराज्य की राजधानी दिल्ली में एक पथ है, जनपथ। इसके दो मकानों का नंबर है 10 और 12। 10, जनपथ सोनिया गांधी का घर है और 12, जनपथ रामविलास पासवान का। दोनों की दीवार तक एक है, मगर आज मेहमान पड़ोसी नहीं, बल्कि वे थे, जिन्हें कभी पासवान सांप्रदायिक बताकर छोड़ आए थे।

पासवान बीजेपी छोड़ने के मामले में नीतीश से सीनियर हैं, तभी नीतीश के अलग होने पर तीखी टिप्पणी की थी कि चले हैं नाखून कटाकर शहीद बनने। आज पासवान 12 साल बाद एनडीए में लौट आए और अपनी 2002 वाली महान शहादत जेडीयू, आरजेडी और कांग्रेस के नोचने के लिए छोड़ गए हैं। बिहार की राजनीति आप सिनेरियो शब्द के बिना नहीं समझ सकते हैं।

सिनेरियो क्या बना इस पर आने से पहले आज के सीन सीनरी पर नज़र डालते हैं। आज दोपहर रविशंकर प्रसाद राजीव प्रताप रूडी और शाहनवाज हुसैन 12, तुगलक रोड पहुंचे। तस्वीर में तो ऐसे लग रहा है, जैसे पहली बार यहां आए हों। दरवाजे पर कोर्ट पैंट में नेता कम, हीरो ज्यादा दिख रहे संसदीय बोर्ड के चेयरमैन चिराग पासवान स्वागत करते हैं और ये तीनों लोजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष और चिराग के पिता रामविलास पासवान से मिलने चले जाते हैं।

बाहर आकर रविशंकर ने कहा कि चाय और मिठाई खाने आए थे। मीठा पर मीठा। बाप रे...एतना। इस उम्र में ठीक-ठाक फिट दिखने वाले रविशंकर या रूडी या शाहनवाज ने चाय से पहले मिठाई भी खाई होगी, मुझे नहीं लगता, क्या पता खाई भी हो। लगता है चाय के साथ नमकीन आज नीतीश और लालू खा रहे होंगे।

तत्पश्चात सीन सीनरी चेंज होता है। चिराग पासवान शाहनवाज की गाड़ी में बैठकर धर्मेंद्र प्रधान के घर जाते हैं। शाहनवाज जी की गाड़ी का नंबर भी जेम्स बांड टाइप है...007। धर्मेंद्र प्रधान के घर में क्या-क्या है, इस पर नजर जा रही हो, तो हटाकर आप सोफे पर रूडी साहब और चिराग जी को देखिए। पोज इस तरह का है कि सब फाइनले है। बस उ अररिया आप देख लीजिएगा, आ आरा हम संभाल लेंगे।

ठीक 10 साल पहले 10, जनपथ से निकलकर सोनिया पासवान के घर 12 जनपथ चली गई थीं। 27 दिसंबर, 2003 की इस तस्वीर ने खूब सनसनी पैदा की थी, जैसे आज चिराग और रूडी की तस्वीर पैदा कर रही है। तब पासवान को मिलाना सोनिया का मास्टर स्ट्रोक था, आज मोदी ने उस मास्टर स्ट्रोक को दोहरा दिया। बिहार में आज किस पर क्या लोट रहा होगा और कौन कहां लोट रहा होगा, यह जानने के लिए प्राइम टाइम मत देखिए, पटना फोन कीजिए।

आखिर कांग्रेस, लालू ने पासवान को क्यों जाने दिया और मोदी ने पासवान को क्यों लिया? राजनीति में गलती और गलतफहमियां गर्लफ्रैंड की तरह होती हैं। नारीवादी आज के लिए माफ करें। अब आते हैं सिनेरियो पर। क्या बिहार की राजनीति फिर से जात−पात की ओर जा रही? बिहार में मोदी लहर, आंधी ऐलान करने वाली बीजेपी को कुशवाहा और पासवान जैसे स्थानीय बवंडरों की जरूरत क्यों पड़ी? क्या नीतीश के विकास की राजनीति में जातपात नहीं था? महादलित और अतिपिछड़ा क्या है? क्या कांग्रेस, लालू के पास यादव आधार के कारण नहीं जा रही है? क्या बीजेपी और मोदी वंशवाद को समाप्त करने का मुद्दा पासवान के कारण छोड़ देंगे?

रामविलास पासवान लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, बेटे चिराग पासवान लोजपा संसदीय बोर्ड के चेयरमैन हैं। रामचंद्र पासवान लोजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं। एक और भाई पारस पासवान बिहार लोजपा के अध्यक्ष हैं। सीटों के समझौते में इन तीनों पासवानों के लिए हाजीपुर, समस्तीपुर और जमुई भी है।

वंशवाद को जड़ से मिटा देने के अभियान पर निकले मोदी जड़ों से वंशवाद को ढूंढकर निकाल रहे हैं। उनके तीनों सहयोगी अकाली दल, शिवसेना और लोजपा वंशवाद से ग्रसित हैं, लेकिन पंजाब जाकर मोदी बादल परिवार को मॉडल के रूप में बदल देते हैं। कहते हैं कि बड़े बादल साहब का दिल खेती-किसानी में लगा रहता है और छोटे बादल का दिल उद्योगों में लगा रहता है।

एक सवाल उठेगा कि इन तीनों दलों के परिवार का कोई प्रधानमंत्री पद का दावेदार नहीं है। अब अगर वंशवाद को लेकर फर्क करने का यह पैमाना है, तो आज तो मान ही लेना चाहिए, क्योंकि आज शिवरात्रि है और नीलकंठ के बारे में आप मुझसे ज्यादा जानते हैं। राजनीति में लहर से ज्यादा जहर काम आता है। पीना पड़ता है। कांग्रेस बीजेपी सबको।

दैनिक जागरण में प्रकाशित लेख में राजनीति शास्त्री एलएन शर्मा ने कुछ सवाल उठाए हैं कि वे लोग कहां हैं, जो वोटर के बदलने और जाति की राजनीति के खत्म होने की बात कर रहे थे। क्यों सुशासन की राजनीति करने वाले नीतीश को आरजेडी से नेता लाना पड़ रहा है और क्यों बीजेपी को पासवान पसंद आ रहे हैं?

एक और राजनीति शास्त्री जीतेंद्र नारायण ने फोन पर कहा कि बिहार का युवा मतदाता इससे आगे जा चुका है। वह जाति से ऊपर उठकर उन मुद्दों की पहचान करता है, जिसमें सबका हित है। यह इसलिए भी हो रहा है, क्योंकि सामाजिक न्याय की लड़ाई खत्म हो गई है। जीतेंद्र नारायण ने एक और बात कही कि जितना सुप्रीम कोर्ट की क्लीन चिट से मोदी को मान्यता नहीं मिली, उससे कहीं ज्यादा पासवान के साथ आने से मिली है।

इसी बात को एलएन शर्मा दैनिक जागरण के लेख में कहते हैं कि नीतीश कहते हैं कि मोदी समावेशी नहीं हैं। मोदी ने कुशवाहा और पासवान को मिलाकर नीतीश के इस दावे पर सवाल उठा दिया। क्या बिहार जात−पात के आधार पर ही 2014 में अपने हिस्से का जनादेश देगा। यही यथार्थ है, तो फिर जनादेश का मतलब क्या होगा? जातियों का गठबंधन या कुछ और...

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