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This Article is From May 25, 2014

पहले आधिकारिक बयान ने की पुष्टि, मोदी का मंत्रिमंडल होगा छोटा, कई मंत्रालयों का होगा विलय

नई दिल्ली:

देश के प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण की पूर्वसंध्या पर जारी एक आधिकारिक बयान में इस बात की पुष्टि की गई है कि मोदी का मंत्रिमंडल पूर्ववर्ती मनमोहन सिंह के मंत्रिमंडल की तुलना में काफी छोटा होगा। इसके लिए उन्होंने कई मंत्रालय के स्वरूप में बड़े फेरबदल किए हैं।

प्रधानमंत्री पद की शपथ ग्रहण करने से एक दिन पहले मोदी की ओर से कहा गया है कि विभिन्न मंत्रालयों की गतिविधियों को साथ लाने पर जोर दिया जा रहा है, जहां एक-एक कैबिनेट मंत्री उन मंत्रालयों के समूह की अगवाई करेंगे को एक दूसरे के पूरक के रूप काम कर रहे हैं। मोदी के गुजरात भवन स्थित सचिवालय से जारी एक बयान में कहा गया है कि अपने मंत्रिमंडल के गठन में मोदी ने 'न्यूनतम सरकार और अधिकतम शासन' और 'कार्य संस्कृति एवं शासन की शैली में बदलाव लाने की प्रतिबद्धता के साथ युक्तिसंगत होने' के सिद्धांत को अपनाया है।

गुजरात भवन में पिछले चार दिनों से मोदी मंत्रिमंडल के गठन को लेकर व्यस्त रहे और उन्होंने प्रभावी शासन, विभिन्न मंत्रालयों में तालमेल के लिए विभिन्न विकल्पों पर चर्चा की। बयान में कहा गया है कि मोदी का लक्ष्य ‘चुस्त दुरुस्त प्रशासन’ है जहां सरकार के शीर्ष स्तर को छोटा किया जाएगा और जमीनी स्तर पर विस्तार होगा।

इस बीच सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, कई मंत्रालयों का आपस में विलय किया जा सकता है। अलग−अलग विभागों के बीच समन्वय बनाने की कोशिश के तहत यह कदम उठाया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि रेल परिवहन, उड्डयन, जहाजरानी और मेट्रो को परिवहन मंत्रालय के अधीन लाया जा सकता है। वहीं प्रवासी भारतीय मंत्रालय को विदेश मंत्रालय के साथ मिलाए जाने की संभावना है। इसके अलावा, पंचायती राज को ग्रामीण विकास मंत्रालय के साथ मिलाया जा सकता है और कृषि, रसायन एवं खाद और उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय को एक किया जा सकता है।

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, शहरी विकास, गरीबी उन्मूलन और पर्यटन मंत्रालय को एक नया इंफ्रास्ट्रक्चर मंत्रालय बनाया जा सकता है। इसके अलावा, सामाजिक न्याय और जनजातिय मामलों का मंत्रालय मिलाए जाने की संभावना है।

वहीं सूत्रों से एक नई जानकारी जो हमें मिल रही है, उसके मुताबिक आंतरिक सुरक्षा विभाग गृह मंत्रालय के साथ ही रह सकता है। हालांकि इससे पहले खबर आ रही थी इसे गृह मंत्रालय से अलग कर पीएमओ के अधीन किया जा सकता है। (एजेंसी इनपुट के साथ)

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