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This Article is From May 03, 2014

चुनाव डायरी : बनारस का पोस्टर रस

चुनाव डायरी : बनारस का पोस्टर रस
वाराणसी:

बनारस में कांग्रेस के प्रत्याशी हैं अजय राय। आप बीजेपी के नरेंद्र मोदी को हराने के लिए उतार दिए गए हैं। मगर अजय राय के पोस्टरों से ऐसा लगता है कि वे बनारस में चुनाव नहीं लड़ रहे हैं, बल्कि भजन कर रहे हैं। मानो मां गंगा की अराधना में इतने तल्लीन हैं कि पता ही नहीं चला कब चुनाव आ गया। एक पोस्टर में अजय जी हाथ जोड़े और आंख मूंदे मगन हैं तो दूसरे में ऐसा लगता है कि पर्यटन विभाग की तरफ ब्रांड बनारसी बना दिए गए हैं। किसी में घाट पर खड़े हैं तो किसी में नाव पर बैठे हैं। कुल मिलाकर यही संदेश जा रहा है कि भैया हमारी चिन्ता मत करो हम मस्त हैं।

चुनाव में पोस्टरों की अपनी एक देह भाषा होती है। जहां भाजपा के पोस्टर आक्रामक हैं, उनके नारे भविष्य की दावेदारी कर रहे हैं वहीं अजय राय मोक्ष प्राप्त हो चुका है की मुद्रा में है। लचर तरीके से नारे लिखे गए हैं। ‘काशी की एक ही राय अजय राय-अजय राय’।  मोदी के सामने अजय राय को अपनी स्थानीकता में घोर विश्वास है। मीडिया अरविंद केजरीवाल से रोज़ पूछता है कि आप हार रहे हैं मगर कोई अजय राय की तरफ देख भी नहीं रहा। अजय राय भी अपने पोस्टर में किसी को देख नहीं रहे हैं।

दूसरी तरफ नरेंद्र मोदी ने टीवी पर अपना प्रोमो बदल दिया है। इतनी जगहों पर मोदी ने बड़ी रैलियां की मगर वहां आई भीड़ को प्रोमों का हिस्सा नहीं बनाया। जहां तक मुझे ध्यान है। अचानक इन दिनों टीवी पर मोदी के नामांकन के समय की भीड़ का प्रोमो आने लगा है। उसकी बारंबारता काफी अधिक है। ध्यान से देखने पर लगता है कि इस प्रोमो का टारगेट बनारस का मतदाता है।

यही नहीं बनारस में अलग अलग कंपनियों और ट्रैवेल एजेंसियों के होर्डिंग नजर आने लगे हैं। इनमें अहमदाबाद की सड़क से लेकर सोमनाथ मंदिर व अन्य धार्मिक पर्यटन स्थलों की तस्वीर है। ब्रांड गुजरात को बनारस में उतार दिया गया है। ट्रैवल एजेंसियों के इन पोस्टरों को चुनाव खर्चे में जोड़े जाने से बचाने के लिए तो नहीं लगाया गया है। क्या ऐसा तो नहीं कि सोमनाथ और सूर्य मंदिर के बहाने एक किस्म के धार्मिक संबंध याद दिलाए जा रहे हैं। जब मोदी जीत ही रहे हैं, तो यह सब क्यों हो रहा है।

सपा और बसपा के पोस्टर बहुत कम हैं। नतीजा जो आए मगर आने से पहले कोई आराम से बैठ भी नहीं सकता। बनारस का चुनाव दिलचस्प है। एक तरफ बीजेपी की टोलियां नजर आधी हैं तो दूसरी तरफ आम आदमी की टोलियां। बनारस का चुनाव सही में मजेदार लग रहा है।

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