क्या आपने कभी सोचा है कि अरविंद केजरीवाल के प्रचार का सबसे बड़ा हथियार क्या है? क्या आपने कभी इस बात पर गौर किया है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में ऐसी कौन सी चीज थी, जिससे केजरीवाल का प्रचार बाकियों से अलग दिखा...
दिल्ली विधानसभा चुनाव के वक्त कांग्रेस−बीजेपी ने रैली की, तो केजरीवाल छोटी नुक्कड़ सभा और थोड़ी बड़ी हो, तो जनसभा करते थे। लेकिन इस सबके अलावा एक और चीज थी, जिसने केजरीवाल के लिए दिल्ली में माहौल बनाया…रोडशो… रोडशो यानी जनता के बीच किसी आबादी या भीड़भाड़ वाली सड़क, गली, मोहल्ले से खुली जीप में निकलना और पब्लिक का अभिवादन स्वीकार करना।
नवंबर के महीने में केजरीवाल ने रोडशो शुरू किया और चुनाव प्रचार खत्म होने तक करते रहे। इसका नतीजा सबके सामने है। दिल्ली में चुनाव के नतीजों ने सबको फेल किया, केवल केजरीवाल पास हो पाए। असल में रोडशो आजकल के लोगों के लाइफ−स्टाइल से मेल खाता है। पब्लिक अब ऐसी नहीं रह गई है, जो मीलों दूर जाकर, घंटों भीड़ में खड़े होकर किसी नेता को सुने। इसके भी कई कारण हैं। पहला तो यह कि जनता को अब नेता से कोई खास उम्मीद नहीं रह गई है। दूसरा, आजकल शहरों में लोगों के पास समय की खासी कमी रहती है, ऐसे में रैली के लिए पब्लिक को जुटाना मुश्किल काम है।
गांव के लोग तो फिर भी आ जाते हैं, लेकिन शहरों में यह मुश्किल होता जा रहा है। चुनाव के समय नेता को जनता की जरूरत होती है, न कि जनता को नेता की। अब केजरीवाल का मेन टारगेट शहर का वोटर ही है, ऐसे में पब्लिक के बीच पहुंचने के लिए क्या करें... रैली करने पर भीड़ आने पर माहौल बनता है और संदेश जाता है कि किस पार्टी का कितना हल्ला है। लेकिन सवाल फिर कि रैली में कितने लोग आएंगे या नहीं आएंगे। ये सब सवाल केजरीवाल के सामने थे दिल्ली विधानसभा चुनाव के वक्त और केजरीवाल ने इन सवालों का जवाब दिया रोडशो से।
हालांकि कहने में आसान लगता है, लेकिन सुबह से शाम तक लोगों के बीच घूमते रहना, उनसे बातें करना, उनकी बातें सुनना कोई आसान काम नहीं है, खासतौर से जब आप डायबिटीज के मरीज हों।
यह रामकहानी इसलिए सुनाई कि केजरीवाल अब लोकसभा चुनाव में भी अपना यह हथियार जमकर चलाने वाले हैं। वह थोड़ी बहुत रैली, कुछ ज्यादा जनसभा और जमकर रोड शो करेंगे। शुरुआत होगी शनिवार 1 मार्च से जब केजरीवाल अपने काफिले के साथ दिल्ली से कानपुर तक रोड शो करते जाएंगे। 2 मार्च को कानपुर में रैली और 3 मार्च को फिर कानपुर से दिल्ली लौटते हुए रोड शो।
इसके बाद वह होने वाला है, जिसका जनता, मीडिया और तमाम पॉलिटिकल पार्टी अंदाजा लगाकर काम चला रही है। 8 मार्च को अरविंद केजरीवाल नरेंद्र मोदी के गढ़ अहमदाबाद में रोडशो करेंगे और इसके बाद जनसभा भी करेंगे। शनिवार 8 मार्च का दिन अहम रहेगा, नजर मत हटाइएगा। 9 मार्च को दिल्ली से मथुरा तक फिर रोडशो और मथुरा में रैली। 11 मार्च को गोवा में पहले रोडशो और फिर जनसभा।
केजरीवाल के पहले के रोडशो और अब के रोडशो में बहुत बड़ा अंतर है। पहले रोडशो एक नई-नवेली पार्टी के नेता के तौर पर किए गए थे, लेकिन अब रोडशो दिल्ली का पूर्व मुख्यमंत्री करेगा। एक ऐसा शख्स जो पिछले तीन साल में टीवी पर जितना दिखा, उतना तो पूरी जिंदगी में बड़े-बड़े सूरमा भी नहीं दिखे।
'आप' मानती है कि उसका असली मुकाबला बीजेपी से है और इसलिए अरविंद केजरीवाल नरेंद्र मोदी पर लगातार तीखे हमले कर रहे हैं। अब ऐसे में यह निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि मोदी की रैली का जवाब केजरीवाल का रोडशो होगा।
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