
गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी का हाल ही में एक विमान हादसे में निधन हो गया, जिसने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया. आज उनका पार्थिव शरीर उनकी प्रिय पुजित सोसाइटी में पहुंचेगा, जहां उनके परिवार, समर्थक और स्थानीय लोग अंतिम श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे. लेकिन इन सब के बीच गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी के जीवन का सबसे भावुक और मार्मिक पहलू आज फिर सबकी आंखें नम कर गया. उनके पहले बेटे पुजित का तीन साल की उम्र में निधन हो गया था. लेकिन एक पिता का वह दर्द, वह प्रेम कभी थमा नहीं. विजय रूपाणी ने न केवल अपने बेटे की याद को दिल में संजोकर रखा, बल्कि उसे समाज सेवा का माध्यम बना दिया.
एक पिता का शोक, जो सेवा में बदल गया
आज जब पुजित नाम फिर से चर्चा में है, उसका कारण कोई जीवित शख्स नहीं, बल्कि वह संवेदना है जो एक पिता ने अपने दिवंगत पुत्र के लिए आजीवन जीवित रखी. विजय रूपाणी ने अपने बाद के हर घर को 'पुजित' नाम दिया. उन्होंने अपने बेटे के नाम पर 'पुजित सेवा संस्थान' की भी स्थापना की, जो गरीब और जरूरतमंद बच्चों के लिए काम करती है. यह संस्था शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक कल्याण के क्षेत्र में सैकड़ों बच्चों की मदद कर चुकी है.
सोसाइटी में होगी श्रद्धांजलि सभा
आज विजय रूपाणी अपने पुत्र के नाम पर बनी सोसाइटी 'पुजित सोसाइटी' में पहुंचेंगे. वहां एक श्रद्धांजलि सभा रखी गई है जहां परिजनों, सहयोगियों और आम नागरिकों के साथ मिलकर वो फिर उस मासूम की याद में सिर झुकाएंगे जिसने अपने तीन साल के छोटे से जीवन में पिता के दिल में एक अमिट छाप छोड़ दी.
पुजित' नाम नहीं, संवेदना का प्रतीक बना
यह कहानी केवल एक राजनीतिक नेता की नहीं है. यह कहानी है उस इंसानी रिश्ते की, जहां एक पिता अपने पुत्र को केवल एक स्मृति नहीं बनने देता, बल्कि समाज की भलाई में तब्दील कर देता है. रूपाणी की राजनीतिक यात्रा भी प्रेरणादायक रही. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के एक समर्पित कार्यकर्ता और गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में, उन्होंने कई कल्याणकारी योजनाओं को लागू किया. उनके सहयोगी और विपक्षी नेता भी उनके सौम्य स्वभाव और समर्पण की प्रशंसा करते हैं.
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