दिल्ली के चुनावी दंगल में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने पूरे 70 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है, लेकिन इनमें सिर्फ एक ही अल्पसंख्यक चेहरा हैं - मटियामहल विधानसभा सीट से शकील अंजुम देहलवी, जिनके बारे में दिलचस्प तथ्य यह है कि वह 'इम्पोर्टेड' चेहरा हैं। दरअसल, शकील अंजुम देहलवी ने पिछला चुनाव आम आदमी पार्टी के टिकट से लड़ा था।
वैसे, ऐसा नहीं है कि बीजेपी के पास मुस्लिम चेहरे नहीं हैं। उनके पास पूरा अल्पसंख्यक सेल है, और इतना ही नहीं, अल्पसंख्यक सेल के प्रदेशाध्यक्ष आतिफ रशीद टिकट की उम्मीद में कतार में भी थे। ख़बर थी कि आतिफ ने ओखला से टिकट पाने का मन बना रखा था, लेकिन ब्रह्म सिंह विधूड़ी ने वहां 'पैराशूट' से उतरकर बाज़ी मार ली। आतिफ बताते हैं कि टिकट पाने की आस में तो थे, लेकिन मटियामहल से खड़ा नहीं होना चाहते थे। लिहाजा मुस्लिम-बहुल वोट बैंक में किसी अल्पसंख्यक को टिकट देना ही था, सो, पार्टी ने देहलवी पर दांव खेलने का मन बना लिया। वैसे, ब्रह्म सिंह भी पिछला विधानसभा चुनाव ओखला सीट से ही बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की टिकट पर लड़े थे, और हासिल वोट के मामले में चौथे नंबर पर रहे थे।
हालांकि बीजेपी में 'पैराशूट' से उतरकर टिकट पाने वालों में ब्रह्म सिंह विधूड़ी भी अकेले नहीं हैं। इस बार दिल्ली के चुनावी दंगल में बीजेपी के कुल 11 पैराशूट उम्मीदवार हैं, जो अलग-अलग पार्टियों से अचानक बीजेपी में शामिल हुए और टिकट पाने में कामयाब रहे।
जहां तक अल्पसंख्यकों का सवाल है, दिल्ली में कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और बीजेपी ने कुल मिलाकर 12 अल्पसंख्यक उम्मीदवारों को टिकट से नवाज़ा है, जिनमें सबसे ज़्यादा - छह - प्रत्याशी कांग्रेस की टिकट पर लड़ रहे हैं। आम आदमी पार्टी ने पांच अल्पसंख्यक चेहरों को मौका दिया है, जबकि बीजेपी ने सिर्फ एक ही 'इम्पोर्टेड' चेहरे को उतारा है।
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