गुजरात विधानसभा में विपक्ष के नेता शंकरसिंह वाघेला ने बुधवार को भावी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से संवैधानिक ढांचे के दायरे में अयोध्या में राम मंदिर बनाने को कहा क्योंकि भाजपा को पूर्ण बहुमत मिला है।
उनके इस बयान से कांग्रेस को असहज स्थिति का सामना करना पड़ सकता है।
उन्होंने विधानसभा के एक विशेष सत्र में कहा, 'जब (लालकृष्ण) आडवाणी जी ने रथयात्रा निकाली, भाजपा मतों के लिहाज से चरम पर थी। लेकिन राजग के कारण अटल बिहारी वाजपेयी को समझौता करना पड़ा।'
वाघेला ने कहा, 'अब भाजपा को अपने दम पर ही बहुमत मिल गया है। अगर राजग साथ आता है, तो ठीक है, अगर नहीं, तो संविधान के ढांचे के दायरे में अयोध्या में राम मंदिर बनाइए।'
विधानसभा के विशेष सत्र का आयोजन मोदी को विदाई देने के लिए किया गया था। वह करीब 12 साल तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे।
अतीत में आरएसएस और भाजपा से जुड़े रहे वाघेला ने समान नागरिक संहिता लागू करने और कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास के संबंध में भाजपा के वादों का भी जिक्र किया।
भाजपा से अलग होकर वाघेला ने 1996 में अपनी राष्ट्रीय जनता पार्टी बनाई थी और मुख्यमंत्री भी बने। बाद में वह कांग्रेस में शामिल हो गए।
व्यंग्यात्मक लहजे में दिए गए भाषण में वाघेला ने विभिन्न विवादित मुद्दों के साथ ही गोधरा मुद्दे का भी जिक्र किया। गोधरा में 2002 में साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन अग्निकांड में कारसेवकों के जलने के बाद गुजरात में सांप्रदायिक दंगे हुए थे।
वाघेला ने कहा कि गुजरात के दो लोगों के जीवन में गोधरा की महत्वपूर्ण भूमिका रही है जो भारत के प्रधानमंत्री बने। (आजादी के पहले हुए) गोधरा के दंगों के समय मोरारजी देसाई वहां के डिप्टी कलेक्टर थे और उन पर (इससे निपटने में) पक्षपात करने का आरोप लगा था। इसके बाद उन्होंने नौकरी छोड़ दी और राजनीति में शामिल हो गए। बाद में प्रधानमंत्री बने। उसके बाद मोदी की ओर मुखातिब होते हुए वाघेला ने कहा, 'आपने प्रचारक के रूप में गोधरा और वडोदरा में काफी समय बिताया और मैं उसका जिक्र नहीं करना चाहता हूं जो 2002 में हुआ।'
उन्होंने कहा, 'चुनाव अभियान के दौरान युवाओं से रोजगार, महंगाई हटाने जैसे कई वादे किए गए। एक बार आप शपथ ले लें तो इन वादों को पूरा करने के लिए आप पर दबाव आ जाएगा।'
वाघेला ने कहा, 'आपने कहा है कि अगले छह महीने में आप मुद्रास्फीति में 25 प्रतिशत तक कमी लाएंगे। हम आपके कार्यकाल का एक साल पूरा होने तक आपसे कोई सवाल नहीं करेंगे। लेकिन हम एक साल बाद मुद्रास्फीति के बारे में सवाल पूछेंगे।'
काले धन के मुद्दे पर वाघेला ने योगगुरु रामदेव की अध्यक्षता में एक समिति गठित करने का सुझाव दिया ताकि उसे वापस लाया जा सके। रामदेव अपनी कंपनियों द्वारा कथित वित्तीय गड़बड़ियों को लेकर कई आपराधिक मामलों का सामना कर रहे हैं और उन्होंने चुनाव प्रचार में भाजपा का समर्थन किया था।
वाघेला ने मोदी से कहा कि वे गुजरात के उन सभी लंबित मुद्दों को भी हल करें जो केंद्र की संप्रग सरकार के साथ उठाए जाने थे।
वाघेला के मोदी के साथ मधुर संबंध थे। बाद में दोनों की राहें अलग हो गईं। वाघेला ने भावी प्रधानमंत्री को बधाई दी। उन्होंने मोदी को एक शॉल भी भेंट की। दोनों ने सदन में एक दूसरे को शुभकामनाएं दीं।
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