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This Article is From Mar 19, 2014

भाजपा संसदीय बोर्ड में हुआ फैसला : गांधीनगर से चुनाव लड़ें लालकृष्ण आडवाणी, आडवाणी नाराज़

फाइल फोटो

नई दिल्ली:

भारतीय जनता पार्टी की संसदीय समिति ने फैसला किया है कि पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को गांधीनगर से चुनाव लड़ाया जाए। वहीं, पीटीआई के अनुसार लालकृष्ण आडवाणी ने लोकसभा चुनाव में खुद को भोपाल की बजाय गांधीनगर से उम्मीदवार बनाए जाने को लेकर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को अपनी अप्रसन्नता से अवगत कराया है। पार्टी सूत्र कह रहे हैं कि आडवाणी ने गांधीनगर सीट से चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है। साथ ही उनका कहना है कि वह चाहते हैं कि गांधीनगर के बजाय उन्हें भोपाल की सीट से टिकट दिया जाए।

कहा जा रहा है कि पार्टी के इस ऐलान के बाद पार्टी के वरिष्ठ नेता नितिन गडकरी और सुषमा स्वराज ने आडवाणी से मुलाकात की  और फिर वह पार्टी प्रमुख राजनाथ सिंह के घर भी गए।

सूत्रों के हवाले से खबर है कि आडवाणी ने गडकरी और स्वराज को अपनी नाराजगी से अवगत करा दिया है।  पार्टी के सूत्र यह भी  कह रहे हैं कि आडवाणी से इस बात से भी नाराज हैं कि उनका नाम पहली सूची में नहीं रखा गया था और न ही नरेंद्र मोदी और राजनाथ सिंह के नामों की घोषणा के साथ उनका नाम घोषित किया गया।

इससे पहले, आडवाणी ने बुधवार को यह कहकर पार्टी खलबली मचा दी थी कि वह गुजरात की गांधीनगर सीट के बजाय मध्यप्रदेश में भोपाल से लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं, लेकिन इस बारे में अंतिम निर्णय उन्होंने पार्टी की केन्द्रीय चुनाव समिति पर छोड़ दिया था।

सूत्रों के अनुसार, समझा जाता है कि आडवाणी ने पार्टी प्रमुख राजनाथ सिंह से कहा है कि चूंकि आज पार्टी के अधिकतर वरिष्ठ नेता अपनी इच्छा के अनुसार अपने लिए लोकसभा सीट का निर्णय कर रहे हैं तो उन्हें भी अपनी पसंद की सीट चुनने की अनुमति होनी चाहिए।

आडवाणी ने हालांकि साथ ही कहा था कि उन्हें अपनी वर्तमान सीट गांधीनगर से चुनाव लड़ने में कोई समस्या नहीं है, लेकिन उनकी इच्छा है कि वह भोपाल से लड़ें, जिसे अपेक्षाकृत सुरक्षित माना जा रहा है।

पार्टी के यह वरिष्ठ नेता आज हुई भाजपा की शीर्ष निर्णय करने वाली इकाई भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठक में भी शामिल नहीं हुए थे जिसमें पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी सहित अन्य सभी सदस्य उपस्थित हुए।

खबरें यह भी आईं थी कि आडवाणी पर दबाव बनाया जा रहा था कि वह गांधीनगर से ही चुनाव लड़ें, क्योंकि ऐसा नहीं होने के 'गलत संकेत' जाएंगे। गुजरात के मुख्यमंत्री को पार्टी का प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए जाने के बाद से आडवाणी के मोदी से पहले जैसे संबंध नहीं रह गए हैं।

सूत्रों ने बताया था कि आडवाणी को अगर भोपाल से टिकट दिया जाता तो मोदी के विश्वासपात्र अमित शाह को गांधीनगर से उम्मीदवार बनाया जा सकता था।

भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठक में उत्तर प्रदेश, गुजरात, राजस्थान और मध्यप्रदेश की सीटों के उम्मीदवारों पर विचार किया जा रहा है।

सूत्रों ने बताया कि आडवाणी इसलिए इस बैठक में उपस्थित नहीं हुए क्योंकि उनके मुद्दे पर चर्चा होनी थी। ऐसे में उनका वहां मौजूद रहना उचित नहीं होता।

भोपाल लोकसभा सीट से वर्तमान सांसद और भाजपा के वरिष्ठ नेता कैलाश जोशी ने आज कहा कि वह इस बार वहां से लड़ने के इच्छुक नहीं हैं और उन्होंने यह सीट आडवाणी को देने की पेशकश की है।

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