आम आदमी पार्टी ने साफ किया है कि लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद पार्टी किसी भी मोर्चे का समर्थन नहीं करेगी। आम आदमी पार्टी ने एक प्रेस रिलीज जारी कर कहा है कि पार्टी ने लोकसभा चुनाव देश को वैकल्पिक राजनीति देने के लिए लड़ा है और यह कहना गलत होगा कि नतीजे आने के बाद पार्टी किसी मोर्चे का समर्थन करेगी। आम आदमी पार्टी के मुताबिक वह ऐसे किसी भी ऐसे फ्रंट का हिस्सा नहीं बन सकती, जिसके नेता भ्रष्टाचार में शामिल हों।
इससे पहले पार्टी के वरिष्ठ नेता गोपाल राय ने एक समाचार एजेंसी से बातचीत में कहा था कि आम आदमी पार्टी चुनाव के नतीजों के बाद बीजेपी को रोकने के लिए तीसरे मोर्चे का समर्थन कर सकती है। राय ने कहा था कि वह गैर-कांग्रेसी धर्मनिरपेक्ष गठजोड़ को मुद्दों पर आधारित समर्थन दे सकती है।
लोकसभा चुनावों के मतदान का दौर सोमवार को समाप्त हो जाएगा और इस बीच गोपाल राय ने कहा था कि अगर 16 मई को चुनाव परिणाम आने के बाद तीसरे मोर्चे की सरकार के लिए पहल होती है, तो पार्टी उसे मुद्दों पर आधारित समर्थन की पेशकश करने पर विचार कर सकती है।
गोपाल राय ने कहा, अगर ऐसी स्थिति बनती है, जिसमें तीसरे मोर्चे की सरकार को हमारे समर्थन की जरूरत होती है तो हां, हम मुद्दों पर आधारित समर्थन दे सकते हैं। पिछले कुछ दिनों में बीजेपी को सत्ता में आने से रोकने के लिए धर्मनिरपेक्ष कहलाने वाली ताकतों के साथ में आने की संभावना पर बातचीत तेज हुई है।
सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव और अन्य कई नेताओं ने इस तरह की संभावना जताई थी। आप संयोजक अरविंद केजरीवाल के करीबी समझे जाने वाले राय ने हालांकि साफ किया कि पार्टी की भविष्य की भूमिका के बारे में फैसला चुनाव परिणाम का विश्लेषण करने के बाद किया जाएगा। उन्होंने कहा, हमारा आंदोलन आम आदमी के लिए है और निश्चित रूप से मुद्दा आधारित समर्थन होगा। भविष्य की कार्रवाई के बारे में अंतिम फैसला 16 मई के बाद किया जाएगा, जब चुनाव परिणामों की घोषणा होगी।
आप ने 422 लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं और केजरीवाल ने दावा किया था कि उनकी पार्टी कम से कम 100 सीटों पर जीत दर्ज करेगी। हालांकि राय ने आप की सीटों की संख्या को लेकर अनुमान नहीं जताया और कहा कि पार्टी का प्रदर्शन उम्मीद के अनुरूप नहीं रहने पर भी संघर्ष जारी रहेगा।
हाल ही में दिल्ली विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी के जबरदस्त प्रदर्शन के बाद पार्टी के आला नेताओं ने लोकसभा चुनाव में भी आश्चर्यजनक परिणाम की उम्मीद जताई है। पार्टी को पंजाब, हरियाणा और दिल्ली में अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद है।
राय ने कहा, हमारा उद्देश्य यह सुनिश्चित करना होगा कि ईमानदार राजनीति की आवाज संसद में पहुंचे। फिर यह मायने नहीं रखता कि हमें 10 सीटें मिलती हैं या 30 सीटें। उन्होंने कहा, हम वहां पहुंचेंगे और व्यवस्था परिवर्तन के लिए दबाव बनाएंगे।
पिछले हफ्ते माकपा नेता प्रकाश करात ने कहा था कि 1996 जैसी स्थिति बनने की संभावना है और कांग्रेस केंद्र में बीजेपी को आने से रोकने के लिए धर्मनिरपेक्ष दलों की सरकार को समर्थन देने के लिए मजबूर हो सकती है। उन्होंने कहा था कि गैर-कांग्रेसी और गैर-बीजेपी दलों का मोर्चा कांग्रेस के बाहरी समर्थन से बहुमत हासिल कर सकता है।
बसपा नेता मायावती ने शनिवार को कहा था कि उनकी पार्टी किसी मोर्चे में शामिल नहीं होगी। पर्याप्त संख्या में उनके सांसद आने से धर्मनिरपेक्ष ताकतें उनकी ओर मुखातिब होंगी। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कुछ दिन पहले तीसरे मोर्चे की सरकार को समर्थन देने की संभावना को खारिज करते हुए विश्वास जताया था कि यूपीए-3 सरकार बनेगी, लेकिन मुलायम ने उम्मीद जताई थी कि कांग्रेस तीसरे मोर्चे की सरकार को समर्थन देगी।
राय ने कहा कि केजरीवाल वाराणसी में नरेंद्र मोदी के खिलाफ महा-मुकाबले में जीत के प्रति आश्वस्त हैं, क्योंकि बनारस की जनता बदलाव चाहती है। उन्होंने कहा, अगर केजरीवाल जीतते हैं, तो ईमानदार राजनीति आगे बढ़ेगी, वहीं अगर मोदी जीतते हैं, तो नफरत, धर्म और भ्रष्टाचार की राजनीति चलती रहेगी।
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