
प्रतीकात्मक तस्वीर
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पुरष ने मजिस्ट्रेट अदालत के आदेश को सत्र अदालत में चुनौती दी
महिला इस पुरष से शादी करने से पहले शादीशुदा थी
हिंदू विवाह अधिनियम के तहत इस मामले में तलाक याचिका दायर हो चुकी है
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश जगदीश कुमार ने कहा, ‘मेरा यह मानना है कि जब तक पति और पत्नी की शादी समाप्त नहीं हो जाती है तब तक महिला घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत लाभ और सुरक्षा की अधिकारी है क्योंकि यह अधिनियम महिला के लिए उदार है. हिंदू विवाह अधिनियम के तहत इस मामले में तलाक याचिका दायर हो चुकी है.’ अदालत ने पुरष की याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि निचली अदालत के आदेश में कुछ भी न्यायविरूद्ध या अनुचित नहीं है. अदालत ने कहा कि गुजारा भत्ता वाला एक अंतरिम आदेश था जिसे मुख्य याचिका के निपटान के समय संशोधित किया जा सकता है.
पुरष ने निचली अदालत के आदेश को यह कहते हुए चुनौती दी थी कि निचली अदालत ने उनकी शादी को लेकर इस तथ्य पर विचार नहीं किया कि महिला के पहले से शादीशुदा होने की वजह से उन दोनों की शादी अमान्य है.