प्रतीकात्मक फोटो
नई दिल्ली:
चुनाव आयोग ने आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों के लाभ के पद के मामले में बीजेपी, कांग्रेस और दिल्ली सरकार की वह याचिका खारिज कर दी है जिसमें उनको भी इस मामले में पार्टी बनाने की मांग की गई थी। हालांकि चुनाव आयोग का कहना है कि चुनाव आयोग को जब इनकी मदद की जरूरत होगी तो वह बता देगा।
आयोग में घेरने और बचाव करने की रणनीति असफल
कांग्रेस और बीजेपी इस मामले में आम आदमी पार्टी को घेरने के लिए पार्टी बनना चाहती थी जबकि दिल्ली सरकार इसलिए पार्टी बनना चाहती थी क्योंकि आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों को उसने ही संसदीय सचिव नियुक्त किया था। ऐसे में उसके पार्टी बनने से आप विधायकों को मजबूती मिलती। लेकिन चुनाव आयोग ने सबकी याचिका खारिज कर दी है।
मामले में सिर्फ दो ही पक्ष
चुनाव आयोग ने कहा कि "इस मामले में कौन-कौन पक्ष हैं यह प्रेजिडेंट रिफरेन्स से तय हुआ है और 10 नवम्बर के प्रेजिडेंट रिफरेन्स में प्रशांत पटेल, याचिकाकर्ता बनाम 21 विधायक हैं। इसलिए दिल्ली सरकार समेत किसी भी पक्ष को इस मामले में पार्टी नहीं बनाया जा सकता।' हालांकि चुनाव आयोग ने तीनों पक्षों को आगे के लिए थोड़ी राहत जरूर दी है। चुनाव आयोग ने कहा है कि 'जब भी जरूरत होगी तो इनसे मदद ली जा सकती है।'
10 अगस्त को होगी अगली सुनवाई
आयोग इस मामले में अब अगली सुनवाई 10 अगस्त को करेगा। चुनाव आयोग की आज की कार्रवाई से जहां बीजेपी, कांग्रेस को अब केवल बाहर बैठकर कानूनी की बजाय राजनीतिक तरीके से ही आम आदमी पार्टी को घेरना होगा वहीं दिल्ली की केजरीवाल सरकार भी अपने विधायकों को बचाने के लिए अब केवल बाहर से ही कोशिश कर पाएगी। विधायकों को अपना पक्ष खुद या वकील के जरिए रखना होगा।
माना यह भी जा रहा है कि अब जब चुनाव आयोग में लड़ाई केवल याचिकाकर्ता और 21 विधायकों के बीच ही रह गई है तो इस मामले की सुनवाई में तेजी आ सकती है।
आयोग में घेरने और बचाव करने की रणनीति असफल
कांग्रेस और बीजेपी इस मामले में आम आदमी पार्टी को घेरने के लिए पार्टी बनना चाहती थी जबकि दिल्ली सरकार इसलिए पार्टी बनना चाहती थी क्योंकि आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों को उसने ही संसदीय सचिव नियुक्त किया था। ऐसे में उसके पार्टी बनने से आप विधायकों को मजबूती मिलती। लेकिन चुनाव आयोग ने सबकी याचिका खारिज कर दी है।
मामले में सिर्फ दो ही पक्ष
चुनाव आयोग ने कहा कि "इस मामले में कौन-कौन पक्ष हैं यह प्रेजिडेंट रिफरेन्स से तय हुआ है और 10 नवम्बर के प्रेजिडेंट रिफरेन्स में प्रशांत पटेल, याचिकाकर्ता बनाम 21 विधायक हैं। इसलिए दिल्ली सरकार समेत किसी भी पक्ष को इस मामले में पार्टी नहीं बनाया जा सकता।' हालांकि चुनाव आयोग ने तीनों पक्षों को आगे के लिए थोड़ी राहत जरूर दी है। चुनाव आयोग ने कहा है कि 'जब भी जरूरत होगी तो इनसे मदद ली जा सकती है।'
10 अगस्त को होगी अगली सुनवाई
आयोग इस मामले में अब अगली सुनवाई 10 अगस्त को करेगा। चुनाव आयोग की आज की कार्रवाई से जहां बीजेपी, कांग्रेस को अब केवल बाहर बैठकर कानूनी की बजाय राजनीतिक तरीके से ही आम आदमी पार्टी को घेरना होगा वहीं दिल्ली की केजरीवाल सरकार भी अपने विधायकों को बचाने के लिए अब केवल बाहर से ही कोशिश कर पाएगी। विधायकों को अपना पक्ष खुद या वकील के जरिए रखना होगा।
माना यह भी जा रहा है कि अब जब चुनाव आयोग में लड़ाई केवल याचिकाकर्ता और 21 विधायकों के बीच ही रह गई है तो इस मामले की सुनवाई में तेजी आ सकती है।
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